लखनऊ : यूपी में महिलाओं की काउंसलिंग के लिए चल रही ‘181 महिला हेल्पलाइन’ की कर्मचारी लॉकडाउन में भी सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठाने को मजबूर हैं. दरअसल 4 साल से चल रही इस सर्विस को बंद कर दिया गया है, लगभग 361 महिला कर्मचारियों का साल भर का पेमेंट भी नहीं दिया गया है. ऐसे में ये कर्मचारी परेशान हैं. इन्होंने भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है.
दिप्रिंट से बातचीत में टीम लीडर के तौर पर कार्यरत रहीं पूजा पांडे ने बताया कि पिछले एक साल से महिला हेल्पलाइन सर्विस से जुड़ी किसी भी महिला कर्मचारी को वेतन नहीं मिला है. उन्होंने बताया, वो इस विभाग की मंत्री स्वाती सिंह समेत विभाग के तमाम अधिकारियों को कई बार पत्र लिख चुकी हैं. लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.’
पांडे आगे कहती हैं, ‘इसके अलावा उन्होंने सीएम आवास पर मुख्यमंत्री से मिलने की भी कोशिश की. लेकिन उनसे तो मुलाकात नहीं हुई. हालांकि उनके अधिकारियों से बात हुई. जिन्होंने मांग पत्र तो रख लिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की.’
इसके बाद पूजा अपनी पूरी टीम के साथ बीते सोमवार सीएम आवास के बाहर धरना करने के लिए निकलीं, तो उन्हें रोक दिया गया. जिसके बाद डीएम की ओर से आश्वासन दिया गया कि उन्हें 23 जुलाई को सीएम योगी या उनके ऑफिस के किसी अधिकारी से मिलवाया जाएगा.
मंत्री ने दिलाया न्याय का भरोसा
जब महिला हेल्पलाइन में काम कर रही इन कर्मचारियों की परेशानी को लेकर दिप्रिंट ने महिला कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह से दिप्रिंट ने बात की तो उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही वह इस समस्या का समाधान करेंगी.
स्वाति ने दिप्रिंट से कहा, ‘उनकी जानकारी में ये आया है कि कुछ ‘टेक्निकल कारणों’ से ये सैलरी रुकी थी. वह इन कारणों का पता लगा कर इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाएंगी.’
स्वाति सिंह ने यह भी कहा, ‘हमारी सरकार महिलाओं के प्रति काफी संवेदनशील है. उन्हें पूरा न्याय मिलेगा. साथ ही हम तो इस सर्विस के कॉल सेंटर की कैपेसिटी भी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि ये फैसला अभी कैबिनेट मीटिंग के अप्रूवल के बाद ही होगा.’
आश्वासन पर नहीं है भरोसा
पूजा इन आश्वासनों से ऊब चुकी हैं, उन्हें व उनकी साथियों को न्याय चाहिए. पूजा ने बताया, ‘वह तलाकशुदा हैं, दो बच्चों का पेट पालना है लेकिन घर में पैसे नहीं बचे हैं. ऐसे में सड़क पर उतरकर आंदोलन ही सहारा बचा है.’
पूजा के मुताबिक, इस सर्विस से जुड़ी कई महिलाएं तलाकशुदा हैं. जिन्हें घर से भी सपोर्ट नहीं मिलता है.
इस सर्विस में टेलीकाउंसलर के तौर पर कार्यरत रहीं नाज़नीन बताती हैं, ‘बीती जनवरी में जब टेलीकाउंसलर्स ने 5 दिन हड़ताल की तो एक महीने की सैलरी दी गई फिर उसके बाद सैलरी लटक गई.’ फिर 5 जून को डिस्कंटीन्यू लेटर थमा दिया गया. इसके बाद सर्विस ही बंद कर दी गई. अब वह सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक ये मुद्दा उठा रही हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.’
निजी फर्म और अधिकारियों के आपसी मतभेद
बता दें कि अखिलेश सरकार ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च 2016 को इस महिला हेल्पलाइन योजना शुरू की थी. इसे आशा ज्योति केंद्र नाम दिया गया था एक ही छत के नीचे महिलाओं को शेल्टर होम से लेकर कानूनी व चिकित्सकीय तक हर मदद की व्यवस्था थी. उस वक्त 11 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना लांच हुई थी. बाद में भाजपा सरकार ने नया नाम मेरी सखी-वन स्टॉप सेंटर रख दिया. 23 जून 2017 को बाकी 64 जिलों में भी इस नाम से योजना को लांच कर दिया गया और वहीं 3 शिफ्ट में इसे रखने का फैसला किया गया. कॉल सेंटर संचालन का जिम्मा 108 एवं 102 एंबुलेंस चलाने वाली जीवीके-ईएमआरआइ कंपनी को दिया गया.
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टीम लीडर पूजा पांडे के मुताबिक, निजी कंपनी और महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों के आपसी मतभेदों के कारण सबकी सैलरी रुकी है. इसकी वजह कमीशनखोरी भी हो सकती है. पूजा ने बताया कि न तो निजी फर्म के अधिकारी और न ही विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि कब तक उनकी सैलरी आएगी.
महिला कल्याण विभाग के उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी पुनीत मिश्रा के मुताबिक, जीवीके कंपनी और विभाग के बीच सैलरी को लेकर बातचीत चल रही है. कुछ बिंदुओं पर विचार चल रहा है. उनके क्लीयर होते ही सबकी सैलरी दे दी जाएगी. जब दिप्रिंट ने उनसे पूछा कि सैलरी अभी तक क्यों नहीं दी गयी और सर्विस क्यों बंद कर दी गयी तो उन्होंने जवाब नहीं दिया.
लॉकडाउन में बिना वेतन के की नौकरी
टेलीकाउंसलर नाज़नीन बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने व उनकी टीम ने जून तक अपनी पूरी सेवाएं दीं. इस दौरान एक हजार से अधिक महिलाओं की काउंसलिंग की. नाज़नीन के मुताबिक, ‘घरेलू हिंसा से जुड़े अधिकतर मामले इस हेल्पलाइन में आते थे. इसके बंद हो जाने से आम महिलाएं भी परेशान होंगी.’
‘जब सर्विस चालू थी तब कॉल आने के तुरंत बाद जिले की टीम को काउंसलिंग के लिए भेज दिया जाता था. इस सर्विस के तहत हर जिले में रेस्क्यू वैन फैसिलिटेटर या फील्ड काउंसलर पोस्टेड थीं. वहीं इस सर्विस से जुड़े ड्राइवर्स की भी पेमेंट रुकी हुई है.’
एक महिला कर्मचारी कर चुकी है सुसाइड
बीते दिनों आर्थिक तंगी के कारण ‘181 महिला हेल्पलाइन’ की उन्नाव की फील्ड काउंसलर आयुषी ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वह एक साल से वेतन न मिलने के कारण परेशान थी. इस सेवा में लगी करीब 361 महिला कर्मचारियों का हाल बेहाल है.
नहीं मिली सैलरी तो होगा आंदोलन
समाजवादी छात्रसभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूजा शुक्ला का कहना है कि अगर इन महिला कर्मचारियों की 12 महीने की सैलरी नहीं दी गई, तो समाजवादी पार्टी व छात्रसभा की ओर से आंदोलन किया जाएगा. इस सर्विस को अखिलेश सरकार के दौर में शुरू किया गया था, शायद यही कारण है कि मौजूदा सरकार इतनी बेहतरीन सर्विस को बंद होने दे रही है लेकिन हम इन कर्मिचारियों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेंगे.