मुंबई, छह जनवरी (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि बीड में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या मामले में पार्टी के सहयोगी और महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे के इस्तीफे की मांग करना जल्दबाजी और अनुचित है।
पूर्व मंत्री भुजबल ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही इस मामले की व्यापक जांच का आश्वासन दिया है।
बीड के मासजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख का नौ दिसंबर को अपहरण कर लिया गया और उन्हें प्रताड़ित करने के बाद उनकी हत्या कर दी गई। कहा जाता है कि क्योंकि उन्होंने एक पवनचक्की परियोजना संचालित करने वाली ऊर्जा कंपनी से पैसे वसूलने के प्रयास को विफल करने का प्रयास किया था, इसलिए उनकी हत्या कर दी गई।
धनंजय मुंडे के सहयोगी वाल्मीक कराड को जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
भुजबल ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि वे पूरी जांच करेंगे। जो भी दोषी पाया जाएगा, चाहे वह राजनीतिक दल का करीबी ही क्यों नहीं हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। तो, जांच शुरू होने से पहले मुंडे के इस्तीफे की मांग क्यों की जा रही है? क्या जांच में अभी तक कुछ सामने आया है? जांच के नतीजे आने से पहले किसी के इस्तीफे की मांग करना गलत है।’
इससे पहले, राकांपा नेता ने राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर निराशा व्यक्त की और पार्टी चलाने के अजित पवार के तरीके पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राज्य मंत्रिमंडल में अपने प्रवेश के लिए मुंडे से इस्तीफा मांगा जाएगा।
भुजबल ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं कभी नहीं सोचूंगा कि कैबिनेट में अपने लिए जगह बनाने की खातिर किसी से इस्तीफा मांगा जाए। मैं इस तरह से काम नहीं करता।’’
उन्होंने अब्दुल करीम तेलगी से जुड़े 2003 के मामले की जांच के दौरान अपने अनुभव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘2003 में, मैंने ही तेलगी को पकड़ा और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज किया। बाद में, जब मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए, तो मुझे उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उस समय, मैं सत्तारूढ़ पार्टी के साथ था, लेकिन फिर भी, मैं इस मामले को उच्चतम न्यायालय ले गया। वह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।’’
भुजबल ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तहत, सीबीआई ने मामले की जांच की और उनकी ओर से कोई गलत काम नहीं पाया, और उनका नाम कभी भी आरोपपत्र में नहीं आया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपना पद छोड़ना पड़ा। मेरी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची, और मुझे भावनात्मक रूप से परेशान होना पड़ा। हालांकि, मामला साफ होने के बाद, शरद पवार ने मुझे फिर से मंत्री नियुक्त किया। मैं खुद इस दौर से गुजर चुका हूं। बिना ठोस आधार के किसी के इस्तीफे की मांग करना उचित नहीं है।’’
भाषा अविनाश मनीषा
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