नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के आखिरी रविवार को अपने मन की बात की शुरुआत युवाओं के बारे में बातचीत से की. उन्होंने कहा कि देश के युवा को अराजकता से दिक्क़त है, वो जातिवाद-परिवारवाद को सही नहीं समझते हैं और ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ भी उठाता है.
इस दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि युवा वो है जो उर्जा से भरा है और बदलाव में विश्वास रखता है. उन्होंने उम्मीद की कि 12 जनवरी को भारत जब विवेकानंद जयंती मना रहा होगा तब देश का युवा उनके उम्मीदों पर ख़रा उतरेगा.
संसद के सत्रों के बेहद सफ़ल रहने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, ‘पिछले 6 मास में, 17वीं लोकसभा के दोनों सदन बहुत ही सफल रहे हैं. लोकसभा ने 114% काम किया, तो राज्यसभा ने 94% काम किया. मैं दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों, सभी राजनैतिक दलों को, सभी सांसदों को, उनके इस सक्रिय भूमिका के लिये बधाई देना चाहता हूं.’
साल के आख़िरी मन की बात में पीएम मोदी ने कहा, ‘2019 की विदाई के पल हमारे सामने हैं, अब हम न सिर्फ नए साल में प्रवेश करेंगे, बल्कि नए दशक में प्रवेश करेंगे. इसमें देश के विकास को गति देने में वे लोग सक्रिय भूमिका निभाएंगे, जिनका जन्म 21वीं सदी में हुआ है.’
बिहार का भैरवगंज और यूपी का किया ज़िक्र
पीएम मोदी ने छात्रों की एलुमनाई मीट को सुहाना पल बताया और कहा कि कभी-कभी इनसे जुड़े पल बेहद सुहाने बन जाते हैं. उन्होंने एलुमनाई द्वारा उनके संस्थानों को दिए जाने वाले सहयोग की भी चर्चा की. उन्होंने बिहार के भैरवगंज से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स की चर्चा की.
उन्होंने बताया कि भैरवगंज के हेल्थ सेंटर में हज़ारों लोग जुट रहे हैं. उन्होंने इसकी खासियत बताते हुए कहा कि वहां के एक स्कूल के 1995 के विद्यार्थियों ने अपने एलुमनाई मीट के जरिए लोगों को स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करने का संकल्प लिया. उन्होंने बिहार के बेतिया में भी छात्रों द्वारा स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही कामों का बीड़ा उठाने का भी ज़िक्र किया.
पीएम मोदी ने कहा, ‘कुछ समय पहले (उत्तर प्रदेश के) फूलपुर की महिलाएं आर्थिक तंगी से परेशान थीं. इन महिलाओं ने कादीपुर के स्वयं सहायता समूह के साथ जुड़कर चप्पल बनाने का हुनर सीखा. मैं स्थानीय पुलिस, लोगों को बधाई देता हूं, उन्होंने इन महिलाओं द्वारा बनाई गई चप्पलों को खरीदकर, इनको प्रोत्साहित किया है.’
उत्तर प्रदेश से जुड़ी इस कहानी को उन्होंने महात्मा गांधी के स्वदेशी से भी जोड़ा और बताया कि गांधी ने इसे आत्मनिर्भरता का रास्ता बताया था. उन्होंने इसका भी ज़िक्र किया कि 2022 में भारत जिस आज़ादी की जो 75वीं सालगिरह मनाएगा उसके लिए कई लोगों ने आज़ाद भारत के सपने के लिए बलिदान दिया था.
इसके बाद उन्होंने लोगों से संकल्प लेने को कहा कि कम से कम 2022 तक लोग स्वदेशी ख़रीदें. उन्होंने इस दौरान जम्मू-कश्मीर से जुड़े हिमायत प्रोग्राम का ज़िक्र किया जिसमें 35 साल तक के अनस्किल्ड युवा शामिल हैं. उन्होंने ये भी बताया कि कैसे इस प्रोग्राम ने कश्मीर के लोगों का जीवन बदलने का काम किया है.
पीएम मोदी ने साल के आख़िरी सूर्यग्रहण की भी चर्चा की और इस दौरान आए पूर्वोत्तर के एक व्यक्ति रिपुण की भी चर्चा की जिनकी दिलचस्पी तारे देखने में. उन्होंने कहा कि रिपुण ने उन्हें लोगों के बीच खगोलशास्त्र को बढ़ावा देने की अपील की. उन्होंने इस भी दर्द जताया कि बदाल छाए रहने की वजह से वो सूर्यग्रहण नहीं देख पाए.
उन्होंने कहा, ’26 तारीख को सूर्य ग्रहण था. उस दिन मुझे इसके विशेषज्ञों से संवाद करने का अवसर मिला और वे बता रहे थे कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से काफी दूर होता है. इसलिए इसका आकार, पूरी तरह से सूर्य को ढंक नहीं पाता. इस तरह से, एक रिंग का आकार बन जाता है.’
उन्होंने भारत में खगोलशास्त्र के गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए आर्यभट्ट और भास्कर जैसे वैज्ञानिकों की चर्चा की और बताया कि कैसे जंतर-मतर भी इसी से जुड़ा है. पीएम ने ये भी कहा कि खगोलशास्त्र में भारत काफी आगे है और भारत में तमाम तरह के स्कोप की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे तारों को देखने की हॉबी को और मज़बूत किया जा सकता है.