बेंगलुरु, 29 मई (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे अपने उपग्रहों को टकराने से बचाने के लिए उसने गत 14 साल में 122 बार उनके मार्ग में बदलाव किया है जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘कॉलिजन अवॉइडेंस मैन्युवर’(सीएएम) कहा जाता है।
इसरो ने अपनी अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट में कहा है कि वह भारतीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के निकट आने वाली अन्य वस्तुओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए नियमित रूप से विश्लेषण करता है।
इसमें कहा गया है कि किसी भी वस्तु के अति निकट पहुंचने की स्थिति में, संभावित टकराव को टालने के लिए उक्त उपग्रह के लिए सीएएम का प्रयोग किया जाता है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसरो के पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष कमान के संयुक्त अंतरिक्ष परिचालन केंद्र (सीएसपीओसी) द्वारा जारी 53,000 से अधिक ‘अलर्ट’ का विश्लेषण अधिक सटीक कक्षीय आंकड़ो का उपयोग करके किया गया।
इसरो ने बताया कि विश्लेषण के मुताबिक 2010 से 2024 तक 122 बार सीएएम किये गए और 2022 और 2023 के बीच अधिकतम 23 बार यह प्रक्रिया अपनाई गई। उसने बताया कि 2023 और 2024 के बीच 10 सीएएम किये गए।
इसरो ने बताया, ‘‘पिछले साल (2024) में सीएएम की संख्या 2023 की तुलना में कम थी। ऐसा इसलिए है क्योंकि नजदीक आने वाली वस्तु की अधिक सटीकता से विश्लेषण किया गया, वृहद आंकड़ों पर निगरानी रखी गई और सटीक पंचाग के आधार पर कई अवसरों पर उपग्रहों की कक्षा को समायोजित किया गया जिससे संभावित टकराव की वजह से कक्षा में बदलाव की आवश्यकताओं को टालने में मदद मिली।’’
इसरो ने यह भी कहा कि 31 दिसंबर 2024 तक कुल 136 भारतीय प्रक्षेपण यान, जिनमें निजी ऑपरेटरों या शैक्षणिक संस्थानों के यान भी शामिल हैं, पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किए गए हैं।
वर्ष 2024 के अंत तक भारत सरकार के स्वामित्व वाले परिचालन उपग्रहों की संख्या पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ)में 22 और भू-समकालिक पृथ्वी कक्षा (जीईओ) में 31 थी।
इसके अतिरिक्त, पृथ्वी से परे अंतरिक्ष के लिए भारत के दो मिशन, अर्थात् चंद्रयान-2 ऑर्बिटर (सीएच2ओ) और सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु पर आदित्य-एल1 भी सक्रिय हैं।
भाषा धीरज वैभव
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