कोलकाता, 12 सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल पुलिस ने अगस्त में झाड़ग्राम जिले में एक गर्भवती हाथिनी को मार डालने से संबंधित प्राथमिकी में शस्त्र अधिनियम का मामला भी जोड़ा है।
पेटा (पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) इंडिया ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि झाड़ग्राम के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने उसे बताया कि शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 27 (1) को प्राथमिकी में जोड़ा गया है। यह धारा हथियारों के अवैध उपयोग से संबंधित है और एक गैर-जमानती अपराध है।
इस मामले में गिरफ्तार दो व्यक्ति फिलहाल जेल में हैं, क्योंकि उनकी जमानत याचिका दो बार खारिज हो चुकी है। पेटा ने कहा कि धारा 27(1) के शामिल होने से आरोपी के लिए जमानत पाना और भी मुश्किल हो जाएगा।
अधिक कठोर धाराओं को शामिल किए जाने की पुष्टि करते हुए राज्य के एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा कि विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि गर्भवती हथिनी को गर्म छड़ों से मार डालने के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के अनुसार दंडित किया जाए।
पेटा इंडिया ने कहा कि 16 अगस्त को वन विभाग द्वारा अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद, उन्होंने अनुरोध किया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 325 और पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) को प्राथमिकी में जोड़ा जाए।
उसने शस्त्र अधिनियम, 1959 के किसी भी उल्लंघन का पता लगाने के लिए हथियार और गोला-बारूद के अवैध उपयोग की जांच करने की भी मांग की थी।
मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि हथिनी को अब वापस तो नहीं लाया जा सकता, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि तीन स्थानीय समितियां बनाई गई हैं, जिनमें से एक हाथियों के खिलाफ जलती मशालों के इस्तेमाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
पेटा एक गैर-सरकारी संगठन है जो व्यवसाय एवं समाज में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार को समाप्त करने और रोजमर्रा के निर्णय लेने और सामान्य नीतियों और प्रथाओं में जानवरों के हितों पर ध्यान दिये जाने को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
भाषा
अमित नरेश
नरेश
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