नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को हरियाणा सरकार से पूछा कि हत्या के जिस मामले में गुरुग्राम पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने दिल्ली के एक वकील को गिरफ्तार किया था, उसे सीबीआई को क्यों न सौंप दिया जाए।
बारह नवंबर को प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में वकील विक्रम सिंह की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
न्यायालय ने हरियाणा पुलिस से बृहस्पतिवार तक जवाब मांगा है।
विक्रम सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने आरोप लगाया कि वकील को हिरासत में यातना दी गई और सिर्फ़ उसके मुवक्किलों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए गिरफ़्तार किया गया।
विकास सिंह ने अपनी दलील में दावा किया, ‘‘उसे पूरी रात एक खंभे से बांधकर रखा गया। इस तरह के संचार पर अदालत की रोक के बावजूद व्हाट्सएप संदेश भेजे गए… उसे यातना दी गई। उसे धमकी दी गई कि उसके बाल काट दिए जाएंगे, और पुलिस थाने में ही उसके बाल तुरंत काट दिए गए।’’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विक्रम पर एसटीएफ अधिकारी एक गैंगवार विवाद में ‘‘समझौता’’ करने का दबाव डाल रहे थे क्योंकि वह कुछ आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
उन्होंने पूछा, ‘‘एक वकील कुख्यात गैंगस्टरों के बीच के मामलों में कैसे समझौता करा सकता है?’’
उन्होंने पीठ से, पहले से दी गई अंतरिम ज़मानत की पुष्टि करने और ‘‘आरोपों की गंभीरता को देखते हुए’’ जांच सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया।
उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि, शीर्ष अदालत ने 12 नवंबर को वकील की रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन उन्हें 13 नवंबर को रात 8:30 बजे रिहा किया गया।
हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया और कहा कि विक्रम सिंह की जमानत बॉण्ड अगले दिन ही भरी गई और उसके तुरंत बाद रिहाई हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ‘‘भ्रामक बयान’’ दे रहा है और गिरफ्तारी के आधार विधिवत प्रस्तुत किये गए हैं।
उन्होंने कहा कि वकील ने ही जांच अधिकारी के साथ व्हाट्सएप पर बातचीत शुरू की थी।
सीबीआई को शामिल करने के किसी भी कदम का विरोध करते हुए, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि हत्या का मामला एसटीएफ द्वारा देखा जा रहा है और मौजूदा शिकायतों को स्थानांतरित करना पूरी जांच को स्थानांतरित करने के समान होगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तो मामला क्या है? सीबीआई इसकी बेहतर जांच करेगी।’’ इसके साथ ही, याचिका की सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।
इससे पहले, जमानत देते हुए, न्यायालय ने निर्देश दिया था कि विक्रम सिंह को 10,000 रुपये के ज़मानत बॉण्ड पर तुरंत रिहा किया जाए और मामले की सुनवाई बुधवार के लिए तय की थी।
पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया था कि वह आदेश का तत्काल पालन सुनिश्चित करने के लिए गुरुग्राम पुलिस आयुक्त को सूचित करें।
याचिका में कहा गया है कि विक्रम सिंह को 31 अक्टूबर को गिरफ्तारी का कोई लिखित आधार या स्वतंत्र गवाह के बिना गिरफ्तार किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का हनन है।
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