संभल (उप्र), 18 मार्च (भाषा) तड़के तीन बजे हैं और सुहैल को संभल की अलग-अलग गलियों में घूमते हुए देखा जा सकता है, जो ‘रोज़ेदारों’ (रमज़ान के दौरान रोज़ा रखने वाले लोगों) को ‘सेहरी’ (उपवास से पहले भोजन करना) शुरू करने के लिए जगा रहे हैं।
गले में ढोल लटकाए और उसे बजाते हुए सुहैल को आवाज लगाते हुए देखा जा सकता है। वह ‘उठ जाओ भाइयो, सेहरी का समय हो चुका है’’ का अपना संदेश दो बार दोहराते है और फिर ढोल बजाते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद मस्जिदों में लाउडस्पीकर से घोषणा लगभग बंद हो गयी हैं। ऐसे में सुहैल के इस काम ने रमज़ान के महीने के दौरान ‘रोज़ेदारों’ को जगाने की पुरानी प्रथा को फिर से जीवित कर दिया है।
सुहैल ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘अभी सुबह के तीन बजे हैं। यह सहरी का समय है। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है, इसलिए जो लोग सो रहे हैं वे उठ नहीं पा रहे हैं। उनके लिए मैं ढोल बजाता हूं, ताकि ‘रोजेदार’ जाग सकें, अपनी ‘सहरी’ कर सकें और फिर रोजा रख सकें।’’
सुहैल ने कहा कि वह रोजेदारों को जगाने के लिए अपने ढोल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2022 में धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर हटाने का आदेश दिया था।
भाषा जफर सं नेत्रपाल राजकुमार
राजकुमार
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