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Tuesday, 24 December, 2024
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पीएमएलए मामले में शीर्ष अदालत ने कहा: प्रकाश से ज्यादा तेज है नकदी की गति

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नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) भारी मात्रा में अवैध धनशोधन संबंधी खुफिया सूचना प्राप्त होने पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मामले की त्वरित जांच पर जोर देते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ‘नकदी की गति प्रकाश से ज्यादा तेज होती है।’

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ऐसी परिस्थिति का हवाला दिया, जहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अवैध तरीके से धन के लेन-देन की कार्रवाई योग्य सूचना मिले, और सवाल किया कि क्या उसे (ईडी को) धन शोधन की जांच शुरू करने से पहले पुलिस या एन्य एजेंसी द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने का इंतजार करना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘नकदी की गति प्रकाश (रोशनी) से तेज होती है। अगर एजेंसी (ईडी) प्राथमिकी दर्ज होने का इंतजार करेगी तो साक्ष्य खत्म हो सकते हैं।’’

पीठ ने फिर से अपने सवाल का हवाला दिया कि क्या अपराध होने के संबंध में शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुए बगैर पीएमएलए के तहत धन शोधन मामले की जांच करने का अधिकार ईडी को है या नहीं।

धन शोधन निषेध कानून (पीएमएलए) के तहत ईडी ईसीआईआर (एंफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज करता है ताकि जिस अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसमें क्या हुआ है, वह इसकी जांच कर सके।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने कहा कि ईडी को वह अधिकार नहीं मिल सकता है, जो उसे कानून के तहत नहीं दिया गया है।

देसाई ने यहां पीएमएलए के प्रावधान 19 का संदर्भ देते हुए कहा कि ईडी को गिरफ्तारी या संपत्ति कुर्क/जब्त करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि ऐसे अधिकार तानाशाही होंगे।

पीठ ने प्रावधान की भाषा का संदर्भ देते हुए कहा कि गिरफ्तारी का अधिकार निदेशक, उप निदेशक, सहायक निदेशक या केन्द्र सरकार के सामान्य या विशेष आदेश द्वारा अधिकार प्राप्त अधिकारी को होता है।

उसने कहा, इसके अलावा अधिकारी को आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले उसके पास मौजूद साक्ष्यों की छंटनी कर उसका कारण बताना होता है।

पीठ ने कहा, ‘‘कोई पीयून (चपरासी) या क्लर्क के पास कानून के प्रावधान 19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार नहीं है… वास्तव में गिरफ्तारी के इस अधिकार को संविधान का अनुच्छेद 21 समर्थन करता है।’’

न्यायालय इस मामले में आगे की सुनवाई कल, बुधवार को करेगा।

भाषा अर्पणा सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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