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Thursday, 20 November, 2025
होमदेश‘ये ऑर्गन ट्रेडिंग थी’: नोएडा के निठारी में, कोली की बरी होने से पुराने घाव और थ्योरियां फिर खुले

‘ये ऑर्गन ट्रेडिंग थी’: नोएडा के निठारी में, कोली की बरी होने से पुराने घाव और थ्योरियां फिर खुले

2023 में 12 मामलों में कोली और 2 मामलों में पंढेर को बरी करते हुए, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बार-बार कहा था कि जांच एजेंसियां केस में ऑर्गन ट्रेडिंग के एंगल की जांच करने में नाकाम रहीं.

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नई दिल्ली: 12 नवंबर को लगभग 20 साल बाद, सुरिंदर कोली ग्रेटर नोएडा की लक्सर जिला जेल से आज़ाद व्यक्ति बनकर बाहर निकला. निठारी हत्याकांड में उसकी गिरफ्तारी के इतने साल बाद, कोली की बरी होने के साथ-साथ उसके मालिक मनिंदर सिंह पंढेर की अक्टूबर 2023 में हुई बरी भी, इस सनसनीखेज केस में एक और उलझन जोड़ देती है. यह मामला आज भी उतना ही अधूरा है जितना 2006 में था, जब नोएडा के निठारी गांव से लोगों के गायब होने की खबरें पहली बार सामने आई थीं.

इस रिहाई ने एक और शक को फिर सामने ला दिया है—ऑर्गन तस्करी का. 2023 में कोली को 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में बरी करते हुए, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई बार कहा था कि जांचकर्ताओं ने इस केस में ऑर्गन ट्रेड के एंगल की जांच ठीक से नहीं की.

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि इस एंगल की जांच पूरी नहीं की गई, जबकि जांच एजेंसियों को पता था कि पंढेर के पड़ोसियों में से एक डॉक्टर था जो पहले भी ऑर्गन ट्रेड के एक अलग मामले में संदिग्ध रह चुका था.

10 साल की बच्ची के पिता ने कहा, “वह 51वीं बच्ची थी जो गायब हुई. उन्होंने उसे इसलिए मारा क्योंकि वो लोग ऑर्गन ट्रेडिंग में थे. और किसी वजह से नहीं.” उनकी बेटी, जो छह बच्चों में पांचवीं थी, गर्मियों में 2005 में घर से एक दुपट्टा सिलवाने निकली थी. वह कभी वापस नहीं आई. परिवार का इस्तरी का ठेला घर नंबर डी-5 के बिलकुल सामने था.

उसके गायब होने के महीनों बाद, जब पुलिस और स्थानीय लोग खुदाई करने लगे, तो उन्हें बच्ची का नायलॉन पायजामा, सड़े-गले सूती कुर्ते के टुकड़े, एक चप्पल और एक जोड़ी बाली मिलीं, जिन्हें माता-पिता ने पहचान लिया. कई परिवारों के विपरीत, यह परिवार—जो मूल रूप से यूपी के उन्नाव से था—इसने ट्रैजेडी के बाद निठारी नहीं छोड़ा. उन्होंने सिर्फ अपनी इस्तरी की दुकान इलाके के दूसरे हिस्से में कुछ ब्लॉक दूर शिफ्ट कर ली.

जब उनसे पूछा गया कि उन्हें क्या शक है, तो पिता, जो अब 60 के दशक में हैं, कुछ देर चुप रहे, फिर बोले: “…सब लोग शुरू से ही पंढेर को बचाना चाहते थे. वह यहां ऑर्गन ट्रेडिंग रैकेट चला रहा था. उसका नौकर सुरिंदर कोली उसकी मदद करता था. सबको इसमें से हिस्सा मिलता था, इसलिए उन्होंने ये ‘कैनिबलिज़्म’ (मानव मांस खाने) वाली बकवास फैला दी.”

मां ने भी बात में साथ दिया. “उन्होंने (जांचकर्ताओं ने) शुरू से ही जांच खराब कर दी. सब जानते थे कि ये ऑर्गन ट्रेडिंग था, लेकिन नहीं… वे इसे कुछ और बनाना चाहते थे और अब देखो क्या हो गया.”

पिता ने सीबीआई की कैनिबलिज़्म वाली थ्योरी को खारिज करते हुए कहा, “अगर पुलिस और सीबीआई चाहती, तो बेहतर काम कर सकते थे, लेकिन नहीं, क्यों करेंगे? हम ना अमीर हैं, ना बड़े लोग. इतने बच्चे और औरतें मरीं, लेकिन किसी को न्याय नहीं मिला और कभी मिलेगा भी नहीं. जैसे धरती ने उन्हें निगल लिया हो.”

सीबीआई ने 2007 में निठारी मामलों में से एक की चार्जशीट में आरोप लगाया था कि कोली में ‘नेक्रोफिलियाक’ और ‘कैनिबलिस्टिक’ आदतें थीं.

पिता ने कहा, “वो (पंढेर, कोली) इंसानी मांस क्यों खाएंगे? वो दोनों बिल्कुल नॉर्मल थे. हमारा पंढेर से मिलना-जुलना था, हम उसके कपड़े प्रेस करते थे. उसके घर पर पार्टियां होती थीं, जहां डॉक्टर और नर्सें अक्सर आते थे.” मां भी उनकी बात पर सहमति में सिर हिलाती रहीं.

2005-06 के जिन मामलों में कोली को दोषी ठहराया गया था, उनमें आखिरी केस में भी उनकी बरी होने से निठारी गांव में बेचैनी और अविश्वास फैल गया है.

जिन परिवारों को अपने प्रियजनों के शवों की जगह सिर्फ हड्डियां और कपड़ों के टुकड़े मिले थे, उनके लिए यह रिहाई पुराने घाव फिर से खोल रही है.

‘कभी भी क्लोज़र नहीं मिलेगा’

जहां यह दंपत्ति अपनी इस्तरी की दुकान चलाता है, वहां से कुछ ही ब्लॉक दूर डी-5 के खंडहरों के पास वाली गली में एक और परिवार रहता है—जिसने भी अब उम्मीद छोड़ दी है.

उनके छह साल के बेटे की अपने छोटे भाइयों के साथ फोटोशॉप की हुई तस्वीर अब घर के हॉल में टंगी हुई है. लड़के की मां ने कहा, “उन्होंने किसी भी तरह की सज़ा से बच निकले. इतने सारे पीड़ित, और आखिर में नतीजा यही निकला. बार-बार वही कहानी दोहराना बहुत थकाने वाला है. सिर्फ हम जानते हैं कि हमने क्या झेला है. वह हमारा पहला बच्चा था. इसके साथ जीना बहुत मुश्किल रहा है. इसे दोहराना मतलब इसे फिर से जीने जैसा है.”

मां के मुताबिक, लड़का आइसक्रीम लेने बाहर निकला था जब “कोली ने उसे रोका और अंदर (डी-5) ले गया”.

उन्होंने आरोप लगाया, “वह फिर कभी नहीं दिखा. लोगों ने कोली को उससे बात करते देखा था.”

उस छह साल के बच्चे की तरह, एक और साढ़े तीन साल का बच्चा भी 2005-06 में इलाके से गायब होने वालों में था. उसका परिवार भी वहीं, पानी की टंकी के पास रहता था. दिसंबर 2007 में, लगभग एक साल बाद, बच्चे के गायब होने के बाद, कुछ कपड़े और चप्पलें मिलीं जिन्हें परिवार ने उसी का बताया. ये सब डी-5 के बाहर नाले से बरामद हुई थीं.

इन दोनों बच्चों—छह साल और साढ़े तीन साल के—के मामलों सहित कुल तीन मामलों में कोली और पंढेर दोनों को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था.

साढ़े तीन साल के उस लड़के के पिता ने कहा, “किसी को भी ठीक से जांच करने की परवाह नहीं थी. सब जानते हैं कि वही लोग थे लेकिन…कभी भी क्लोज़र नहीं मिलेगा, ना ही न्याय…हमारे बच्चे गायब हो गए और पीछे सिर्फ उनके कपड़े और हड्डियां रह गईं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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