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Monday, 17 June, 2024
होमदेशसबसे बड़ी टमाटर मंडी कोलार भी चपेट में; कम बारिश, पौधे की बीमारी का पड़ा असर

सबसे बड़ी टमाटर मंडी कोलार भी चपेट में; कम बारिश, पौधे की बीमारी का पड़ा असर

किसानों का कहना है कि पहले उन्हें हर 4 पौधों में ही 1 पेटी टमाटर निकल आता था, अब 4 गुना ज्यादा पौधों की जरूरत है.

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कोलार: जहां तक नजर जाती है वहां तक छोटे-बड़े हर आकार के टमाटर व्यस्त बेंगलुरु-चेन्नई राजमार्ग के किनारे कुछ दूरी तक फैले हुए थे. कोलार कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) महाराष्ट्र के नासिक में पिंपलगांव के बाद एशिया में टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है.

नासिक में टमाटर को तोड़ने का मौसम जल्दी खत्म होने के कारण हर साल तीन महीने के लिए कोलार पूरे महाद्वीप में टमाटर का सबसे बड़ा बाजार बन जाता है. कोलार एपीएमसी की सचिव एन. विजयलक्ष्मी ने कहा, “जून-अगस्त तक, केवल कोलार में टमाटर होते हैं जो देश के सभी राज्यों में भेजे जाते हैं और यहां तक कि बांग्लादेश जैसे देशों में भी निर्यात किए जाते हैं.”

लेकिन देश के कुछ हिस्सों में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं, कोलार में भी उच्च गुणवत्ता वाले टमाटर की थोक कीमतें 15 किलोग्राम टमाटर के लिए 3,000 रुपये के करीब हैं.

किसानों और थोक विक्रेताओं के अनुसार, कीमते बढ़ने का मूल कारण इस साल बारिश की कमी और लगातार तीसरे साल उपज में कमी और जलवायु परिस्थितियों व लीफ कर्ल रोग का मिला-जुला प्रभाव रहा है.

कोलार एपीएमसी के आंकड़ों से पता चलता है कि, जून में यहां से कम से कम 3,30,928 क्विंटल टमाटर का कारोबार हुआ, जबकि पिछले साल इसी महीने में 5,45,981 क्विंटल टमाटर का कारोबार हुआ था. 1 से 11 जुलाई के बीच, यहां कारोबार किए गए टमाटरों की औसत मात्रा (1,31,570 क्विंटल) में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में एक तिहाई की गिरावट दर्ज की गई.

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श्रीनिवासपुर के एक किसान श्रीनिवास ने कहा, “एक हजार क्रेट्स 200 रुपये (प्रत्येक) और 10 क्रेट्स 2,000 रुपये (प्रत्येक) में बेचने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. दरअसल, उर्वरक, परिवहन और रखरखाव की लागत बहुत अधिक है. कोविड-19 महामारी के बाद से, हमने कोई लाभ नहीं देखा है. सिर्फ नुकसान ही हुआ है.”

“हमें हर चार पौधों से एक पेटी टमाटर मिला करता था. अब, हमें चार गुना अधिक पौधों की जरूरत है,” उन्होंने इशारों में बताया कि कैसे टमाटर के पौधों की ऊंचाई पांच फीट से घटकर दो-तीन फीट रह गई है.

एपीएमसी से जुड़े लोगों का कहना है कि जून में उत्पादन हाल की यादों में सबसे कम रहा है. कोलार के एपीएमसी यार्ड के एक कमीशन एजेंट सद्दाम हुसैन ने कहा, “हमें प्रतिदिन प्रति शेड 2,000 से 4,000 क्रेट मिलते थे. अब, यह मुश्किल से 200 से 300 है.”

उन्होंने कहा, “यहां तक कि ये गोली टमाटर (संगमरमर के आकार) की कीमत इस साल 1,000 रुपये (प्रति क्रेट) से अधिक हो रही है.”


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प्रति एकड़ लागत और पौधों की कीमत में वृद्धि

कोलार एपीएमसी में व्यापार की जाने वाली अधिकांश उपज आसपास के जिलों और पड़ोसी राज्यों से आती है, जो अगले दिन दोपहर तक नीलाम होने के लिए चौबीस घंटे पहुंचती है. कोई भी सैकड़ों ट्रक ड्राइवरों, कमीशन एजेंटों, खुदरा विक्रेताओं, ग्राहकों और लोडरों को व्यापार की सुविधा के लिए नीलामीकर्ता के उनके निर्धारित लॉट पर पहुंचने के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार करते हुए देख सकता है.

एपीएमसी का एक सदस्य व्यापार का लेखा-जोखा रखने के लिए प्रत्येक नीलामीकर्ता के साथ जाता है क्योंकि एक छोटी भीड़, जिसमें बड़े पैमाने पर खरीदार शामिल होते हैं, एक लॉट से दूसरे लॉट में तैरती रहती है.

आधार मूल्य से शुरू करते हुए, नीलामीकर्ता प्रक्रिया शुरू करता है, तीन अलग अलग भाषाओं में बोली लगाता है और अपने आस-पास के खरीददारों के सबसे छोटे-छोटे इशारों को समझकर बोलियां बढ़ाता है.

बुधवार को 15 किलो के टोकरे के लिए 2050 रुपये की बोली दिन की सबसे ऊंची बोली थी. विक्रेता या खुदरा विक्रेता तक पहुंचने से पहले ही, थोक स्तर पर यह लगभग 137 रुपये प्रति किलोग्राम है.

हालांकि, जबकि कई बाजारों में टमाटर की खुदरा कीमत 150 रुपये के स्तर को पार कर गई है, कीमतों में इस बढ़ोत्तरी से टमाटर किसानों या इसकी आपूर्ति से जुड़े अन्य लोगों को शायद ही फायदा हुआ है.

At the Kolar APMC | Sharan Poovanna | ThePrint
कोलार APMC | शरण पूवन्ना | दिप्रिंट

एपीएमसी के किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ उत्पादन लागत पिछले साल के लगभग 40,000 रुपये प्रति एकड़ से इस बार काफी बढ़ गई है. वे कहते हैं कि पौधों की कीमत भी 2021 की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है.

टमाटर का 90 दिनों की साइकिल होती है.

पिछले साल से मुदुवथी गांव में अपने 5 एकड़ के टमाटर के खेत में लगभग 1.5-2 लाख रुपये का निवेश करने के बाद, एम.एम. वेंकटेशप्पा ने कहा कि वह केवल 20,000 रुपये की मामूली राशि ही रिकवर कर पाए हैं. उन्होंने कहा, “पिछले दो वर्षों में मुझ पर 18 लाख रुपये से अधिक का कर्ज और देनदारियां हो गई हैं.”

इससे पहले कि वह अपना वाक्य पूरा करता, एक नीलामीकर्ता उच्च गुणवत्ता वाले टमाटरों की एक खेप की कीमत बताता है – 15 किलोग्राम के लिए 2,000 रुपये.

इस सप्ताह बेंगलुरु में खुदरा कीमतें 120-130 रुपये प्रति किलोग्राम और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इससे भी अधिक हो गई हैं. बुधवार को, केंद्र सरकार ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के माध्यम से, राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) को कर्नाटक की मंडियों से टमाटर “तुरंत खरीदने” का निर्देश दिया.

अकेले कर्नाटक में पिछले 10 दिनों में टमाटर लूट की दो घटनाएं सामने आई हैं. इसमें एक महिला की शिकायत भी शामिल है, जिसने आरोप लगाया था कि हासन जिले के हलेबीडु में उसके खेत से 2.5 लाख रुपये मूल्य के 50-60 बोरे टमाटर चोरी हो गए. दूसरा मामला चिक्काजला से सामने आया, जहां 2,000 किलोग्राम टमाटर ले जा रहे एक ट्रक को तीन लोगों के एक गिरोह ने कथित तौर पर लूट लिया.

यह पूछे जाने पर कि टमाटर की कीमतों में बढ़ोत्तरी ने उनके व्यवसाय को कैसे प्रभावित किया है, होसाकोटे में एक रेस्टोरेंट चलाने वाले एक होटल व्यवसायी ने मजाक में कहा कि कई लोग अब विकल्प के रूप में “इमली” का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि इसमें अम्लता और तीखापन समान स्तर का होता है. उन्होंने कहा कि यहां तक कि उपज की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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