नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि न्यायिक समीक्षा की कार्यवाही में अदालतों का संबंध निर्णय से नहीं बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया से है।
न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक पुलिस कांस्टेबल की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में पूर्व प्रभावी पदोन्नति को लेकर अनुरोध किया गया था।
उच्च न्यायालय ने कांस्टेबल की याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि इस तरह का चयन अधिकार का मामला नहीं है।
पीठ ने कहा, ”न्यायिक समीक्षा कार्यवाही में अदालतों का संबंध निर्णय लेने की प्रक्रिया से है, न कि निर्णय से।”
याचिका में कांस्टेबल की शिकायत थी कि उसे 2004 में ही पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए था और उसने 2008 में उनकी नियुक्ति में हुए विलंब को ”गैर-कानूनी और मनमाना” बताया था।
अपील में कहा गया था कि पुलिस महानिरीक्षक के पास पुलिस अधीक्षक की सिफारिश में हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह दावेदारी नहीं की जा सकती कि शुरुआती चरण में केवल पुलिस अधीक्षक की सिफारिश ही पदोन्नति के अधिकार का दावा करने के लिए पर्याप्त है।
भाषा शफीक अनूप
अनूप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.