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Wednesday, 9 October, 2024
होमएजुकेशनदिल्ली : उर्दू-पंजाबी के शिक्षकों की कमी के बीच मैथिली पढ़ाए जाने की घोषणा

दिल्ली : उर्दू-पंजाबी के शिक्षकों की कमी के बीच मैथिली पढ़ाए जाने की घोषणा

दिल्ली सरकार की यह घोषणा लागू होने से पहले ही निशाने पर है. सरकार को स्कूलों में उर्दू, पंजाबी और संस्कृति के शिक्षकों की कमी से जुड़ी शिकायत मिली है.

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नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार की नयी घोषणा में यह कहा गया है कि सूबे में मैथली भाषा को 8वीं से 12वीं तक वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा. राजधानी में पहले से पढ़ाई जा रही उर्दू और पंजाबी की तर्ज पर इस भाषा को पढ़ाया जाएगा. इतना ही नहीं, मैथली और भोजपुरी अकादमी से जुड़ी प्रतियोगिता परिक्षाओं की तैयारी भी कराई जाएगी.

जानकारी देते हुए दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘मैथली का कंप्यूटर फॉन्ट बनवाया जाएगा और इन भाषाओं से जुड़े अवॉर्ड भी शुरू किए जाएंगे. ऐसे कुल 12 अवार्ड्स दिए जाने की योजना है.’

डिप्टी सीएम ने यह भी कहा कि दिल्ली के कनाट प्लेस में इन भाषाओं से जुड़ा पांच दिनों का उत्सव मनाया जाएगा. भोजपुरी को संविधान की 8वीं सूची में शामिल नहीं किया गया है और इसी वजह से इसको भाषा के तौर पर नहीं पढ़ाया जा सकता. सरकार की मानें तो उनकी योजना इसे संविधान की 8वीं सूची में शामिल कराने की है.

स्कूलों में है उर्दू, पंजाबी और संस्कृति के शिक्षकों की कमी

दिल्ली सरकार की यह घोषणा लागू होने से पहले ही निशाने पर है. दरअसल, दिल्ली सरकार को स्कूलों में उर्दू, पंजाबी और संस्कृति के शिक्षकों की कमी से जुड़ी एक शिकायत मिली है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को मैथिली-भोजपुरी से जुड़ी ताज़ा घोषणा करने वाली शिक्षा मंत्री ने ख़ुद शिक्षकों की कमी से जुड़ी एक चिट्ठी शिक्षा निदेशक विनय भूषण को लिखी है.

इस चिट्ठी में ख़ुद मनीष सिसोदिया ने लिखा है कि ‘दिल्ली सरकार शिक्षा पर बजट का 25 प्रतिशत ख़र्च कर रही है. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं है अगर शिक्षक ही नहीं है.’ यह आलम तब है जब दिल्ली सरकार की सबसे ज़्यादा तारीफ शिक्षा से जुड़े कामों को लेकर होती है. वहीं, विरोधाभाषी स्थिति ये है कि मैथली-भोजपुरी से जुड़ी से घोषणा शिक्षकों की कमी से जुड़ी इस रिपोर्ट के छपने वाली दिन की गई है.

ज़र्फ फाउंडेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के चेरयमैन मंजर अली ने इससे जुड़ी एक आरटीआई लगाई थी. इसमें मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी में सरकार द्वारा चलाए जाने वाले 794 स्कूलों में से उर्दू के शिक्षकों के 650 पद ख़ाली हैं और ऐसे ही 1001 स्कूलों में पंजाबी के शिक्षकों से जुड़े 750 पद ख़ाली हैं.

आरटीआई का जवाब शिक्षा निदेशालय ने दिया है. इसमें बताया गया है कि दिल्ली सरकार के 794 स्कूलों में उर्दू के 1,029 प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (जो 6 वीं से 10 वीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाते हैं) के पद और 1,001 ऐसे ही स्कूलों में 1,024 टीजीटी पंजाबी शिक्षकों के पदों को मंजूरी दी गई है. ये भी कहा गया कि उर्दू के 650 शिक्षकों के पद और पंजाबी के 750 शिक्षकों के पद ख़ाली हैं.

वोट बैंक की राजनीति से जुड़ी एक और घोषणा?

फरवरी के करीब होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी द्वारा चलाई जा रही दिल्ली सरकार की दनादन योजनाओं की घोषणा कर रही है. हर योजना को किसी ने किसी तरह के वोट बैंक को साधने से जोड़ कर देखा जा रहा है.

दिल्ली में मेट्रो और बस के सफर को महिलाओं के लिए फ्री किए जाने को लेकर ऐसे आरोप लगे कि इसके जरिए सीएम केजरीवाल की पार्टी महिला वोटों को साधने की कोशिश कर रही है. नई घोषणा को दिल्ली में मौजूद पूर्वांचली वोटों को साधने से जोड़कर देखा जा सकता है.


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दिल्ली के चुनावों में सभी दलों का फोकस यहां के 33 प्रतिशत पूर्वांचली मतदाताओं पर होता है. सातों लोकसभा सीटों पर पूर्वांचली मतदाता पश्चिमी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली में सबसे ज़्यादा हैं. ऐसा माना जाता है कि इन वोटों का दिल्ली चुनाव के नतीजों का रुख तय करने में अहम योगदान होता है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर पूर्वी दिल्ली की सीट पर लगभग 40 प्रतिशत से अधिक पूर्वांचली वोट हैं. इसमें से ज़्यादातर आबादी अवैध कॉलनियों में रहती है. 2014 से पहले इनका वोट कांग्रेस के पास था. दिल्ली के पूर्वांचली वोटों में बड़ा फेरबदल 2015 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला जब आप 70 विधानसभा सीटों में 67 सीटें हासिल करने में सफल रही हैं.

आप ने पिछले चुनाव में एक दर्जन से अधिक पूर्वांचली उम्मीदवार खड़े किए थे. पहले पूर्वांचलियों में सिर्फ यूपी और बिहार वालों को जोड़ा जाता था. लेकिन अब इसमें झारखंड के लोगों को भी शामिल किया जाना लगा है. वर्ष 2000 के नवंबर में अलग राज्य बनने के पहले झारखंड बिहार का हिस्सा था.

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