scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशदिल्ली दंगों में लगी गोली से तो जान बच गई लेकिन शायद ही चल पाएंगे 14 साल के फ़ैज़ान

दिल्ली दंगों में लगी गोली से तो जान बच गई लेकिन शायद ही चल पाएंगे 14 साल के फ़ैज़ान

फ़ैज़ान की ऐसा हालत की वजह से दोनों दादी-पोता पिछले एक हफ्ते से काम नहीं कर पा रहे. परिवार को इसकी चिंता है कि अगर लड़का फिर से उठ खड़ा नहीं हुआ तो उसके भविष्य का क्या होगा?

Text Size:

नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर दिल्ली में 14 साल का फ़ैज़ान जब चाय के साथ खाने के लिए टोस्ट लेने निकल था तब उसने इसकी कल्पना भी नहीं की थी कि बाहर का माहौल उसकी ज़िदगी पर कहर बनाकर टूटने वाला है. पिछले सोमवार से इस सोमवार तक उसकी ज़िंदगी इतनी बदल गई है अब विस्तर से उठने के लिए भी उसे सहारे की दरकार है.

कर्दमपुरी में 24 फरवरी की सुबह फ़ैज़ान जब सामान ख़रीदने बाहर निकले तो इलाके़ में बहुत भीड़ थी. अफर-तफरी के माहौल में अचानक से भगदड़ मची और वो गिर गए. जब तक वो संभले, एक गोली उनके शरीर को लहूलुहान कर चुकी थी.

इसके बाद उन्हें होश नहीं रहा. फ़ैज़ान बताते हैं, ‘मुझे नहीं पता कि मुझे किसकी गोली आकर लगी. गोली लगने के बाद और इलाज के दौरान का मुझे कुछ भी याद नहीं है.’ फ़ैज़ान की मां का इंतक़ाल इनके जन्म के समय ही हो गया था. पिता ने दूसरी शादी कर ली और अब दूसरी बीबी के साथ उत्तर प्रदेश के रामपुर में रहते हैं.

फ़ैज़ान अपनी दादी बिल्किस के साये तल पल रहे हैं. उनकी रीढ़ में लगी गोली तो निकाल दी गई लेकिन गोली निकाले जाने के बाद से उनका दायां पैर काम नहीं कर रहा है. ऊपर से परिवार की आर्थिक हालत काफ़ी तंग है.

तंग गलियों में बेहद साधारण घर में किराए पर रह रहे फ़ैज़ान ने कहा, ‘मैं दादी के साथ धागों का काम करता हूं, उसी से हमारा ख़र्च चलता है.’

तनाव का आलम ऐसा है कि दादी-पोता दोनों ही काम नहीं कर पा रहे. ऊपर से डॉक्टर ये साफ़ नहीं बता रहे कि ये कब तक ठीक हो जाएगा और क्या ये फिर से ठीक से चलने लगेंगे.

आपको बता दें कि दिप्रिंट से बातचीत में फ़ैज़ान ने कई बार बताया कि उनके दाहिने पैर में काफ़ी दर्द है. ये ठीक से काम नहीं कर रहा और वो ठीक से चल नहीं पा रहे.

उन्होंने ये भी बताया कि हॉस्पिटल वालों ने उन्हें आठ दिन बाद एक बार चेकअप के लिए आने को कहा है. इस दुख भरे हालत से जूझ रहीं फ़ैज़ान की दादी ने उस दिन की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘हम पहले इसे पास के नर्सिंग होम ले गए, वहां इसकी मरहम-पट्टी की गई और घर ले जाने को कहा.’

नर्सिंग होम वालों को इसका अंदाज़ा नहीं था कि लड़के को गोली लगी है. हालांकि, ज़्यादा ख़ून बहने से परिवार वालों को इसका शक हुआ लेकिन फिर भी वो बड़ी देर तक इसे हॉस्पिटल नहीं ले जा सके. उस समय के भय के मंज़र का ज़िक्र करते हुए दादी ने कहा, ‘बहुत डर और तनाव का माहौल था, इसलिए गोली लगने के बाद भी हम इसे इलाज के लिए नहीं ले जा पा रहे थे.’

news on delhi violence
गोली लगने के बाद फ़ैज़ान को उठाकर अस्पताल ले जाने में मदद करते लोग | फोटो- मनीषा मोंडल

दादी बताती हैं कि जब मीडिया वाले वहां पहुंचे तो लड़के को हॉस्पिटल ले जाने में मदद की. उन्होंने कहा, ‘एम्बुलेंस नहीं आई तो हमें पुलिस की गाड़ी में बच्चे को हॉस्पिटल ले जाना पड़ा.’

उन्होंने ये भी कहा कि डॉक्टरों ने इसके ठीक होने की कोई गारंटी नहीं दी है.

फ़ैज़ान की ऐसी हालत की वजह से दोनों दादी-पोता पिछले एक हफ्ते से काम नहीं कर पा रहे. पहले से आर्थिक तंगी से जूझते परिवार को इसकी गहरी चिंता है कि अगर लड़का फिर से उठ खड़ा नहीं हुआ तो इसके भविष्य का क्या होगा?

share & View comments