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Friday, 22 November, 2024
होमदेशपहली बार भारत-पाकिस्तान की सेनाएं लेंगी युद्ध अभ्यास में हिस्सा, वो भी चीन की बदौलत

पहली बार भारत-पाकिस्तान की सेनाएं लेंगी युद्ध अभ्यास में हिस्सा, वो भी चीन की बदौलत

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शांति मिशन 2018 के एक हिस्से के रूप में, शंघाई सहयोग संगठन के आठ सदस्य राष्ट्रों के करीब 3000 सैनिक रूस में युद्ध अभ्यास में लेंगे हिस्सा।

नई दिल्लीः भारत, चीन और पाकिस्तान की सेनाएं एक संयुक्त युद्ध अभ्यास के लिए अगले महीने रूस की “सुंदर, रंगीन झील” के किनारे मिलने के लिए तैयार हैं।

भारत ने राजपूत रेजीमेंट की 5वीं बटालियन के लगभग 200 सैनिकों और भारतीय वायु सेना के एक छोटे से पूरक दल को चुना है जो शांति मिशन 2018 नामक अभ्यास (ड्रिल) के लिए दो परिवहन विमानों से रूस जाएंगे।

इस अभ्यास को 22-29 अगस्त को रूस में दक्षिणी यूराल की ढलानों पर स्थित चेबर्कुलस्की (अर्थ – तुर्किक में “सुंदर, रंगीन झील) की प्रशिक्षण भूमि पर आयोजित किया जाना है, `शांति मिशन` की नवीनतम श्रृंखला में शंघाई सहयोग संगठन के आठ सदस्य राष्ट्रों के करीब 3000 सैनिकों को एक ऐसे काल्पनिक शहर पर हमला करते हुए देखा जा सकेगा जिसके निवासियों को आतंकवादियों द्वारा बंधक बना लिया गया है।

यह मूल रूप से उस युद्ध अभ्यास परिदृश्य का दोहराव हो सकता है जिसे 2014 में रूस में इसी तरह के युद्ध अभ्यास में निष्पादित किया गया था जिसमें भारत और पाकिस्तान पर्यवेक्षक थे, दोनों देश उस समय शंघाई सहयोग संगठन के पूर्ण सदस्य नहीं थे। इस परिदृश्य में थल सेना और वायु सेना के तत्वों के अलावा टैंकों और मशीनीकृत बलों का उपयोग भी शामिल होता है।

एक साथ संचालन

ऐसा पहली बार होगा जब शंघाई सहयोग संगठन के अन्य सदस्यों – रूस, किर्गिजस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तजाकिस्तान – के साथ भारत, पाकिस्तान और चीन की सेनाएं एक साथ दोस्ताना सैन्य अभ्यास में शामिल होंगी।

यह युद्ध अभ्यास शंघाई सहयोग संगठन के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) द्वारा आयोजित अभ्यासों की श्रृंखला में नवीनतम होगा। भारत और पाकिस्तान को पिछले साल जून में ही शंघाई सहयोग संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा दिया गया था।

युद्ध अभ्यास बीजिंग की वन बेल्ट वन रोड योजना पर एक ओर भारत तथा दूसरी ओर चीन और पाकिस्तान के बीच मतभेदों, और जम्मू तथा कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार गोलीबारी के बावजूद भी संभव हो पा रहा है।

जम्मू और कश्मीर पर गतिरोध के बावजूद, भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने अप्रैल और मई में ताशकंद (उज्बेकिस्तान) और इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में अभ्यास के लिए सम्मेलनों के आयोजन में गुपचुप तरीके से भाग लिया है। क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (शंघाई सहयोग संगठन) का मुख्यालय ताशकंद (उज्बेकिस्तान) में है।

भारत और पाकिस्तान की सेनाएं संयुक्त राष्ट्र शांतिस्थापन के तहत कई सालों से एक साथ काम कर रही हैं, विशेष रूप से कांगो में, जहां भारत के पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह (सेवानिवृत्त) ने एक डिवीजन की कमान संभाली थी, जब कि पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने एक ब्रिगेड की अध्यक्षता की थी।

भारतीय और चीनी सेनाएँ 2007 से `हैंड-इन-हैंड` नामक गैर-निरंतर अभ्यासों की एक श्रृंखला करती हैं। `हैंड-इन-हैंड` आतंकवाद से निपटने के लिए भी एक युद्ध अभ्यास है।

भारत शंघाई सहयोग संगठन के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना के डेटाबेस के माध्यम से 3000 आतंकवादियों और 100 से अधिक प्रतिबंधित संगठनों की सूची जानने में दिलचस्पी रखता है। यह जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को भी इस डेटाबेस में शामिल करना पसंद करेगा लेकिन नई दिल्ली धीरे धीरे क़दम रख रही है क्योंकि यह एससीओ के नियमों के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहती।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने चीन के चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शिरकत की थी।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन भी जून में शंघाई सहयोग संगठन के अपने समकक्षों के साथ बैठक करने के लिए चीन में थी।

Read in English : In a first, China gets Indian and Pakistani troops to war-game together

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