नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) ‘इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेकुलर डेमोक्रेसी’ (आईएमएसडी) ने भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई टिप्पणी और उन्हें मिली कथित धमकियों की निंदा की है तथा इसके साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति समर्थन जताया है।
आईएमएसडी ने उत्तर प्रदेश समेत अन्य भाजपा शासित राज्यों में हिंसा के बाद आरोपियों के घरों को तोड़ने पर भी सवाल खड़े किए और अदालतों से इसका संज्ञान लेने का आग्रह किया है। संगठन ने भारत में ईशनिंदा कानून बनाने की मांग का भी विरोध किया है।
आईएमएसडी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वह “ भाजपा की अब निलंबित की जा चुकीं प्रवक्ता नुपुर शर्मा के बयानों के पीछे की विभाजनकारी और घृणित राजनीति की निंदा करता है। साथ ही, वह उन्हें मिल रही धमकियों की भी निंदा करता है।”
उसमें कहा गया है कि आईएमएसडी इसके जवाब में आतंकवादी हमले करने की अल कायदा की धमकी की भी निंदा करता है।
इस बयान पर गीतकार और पूर्व सांसद जावेद अख्तर, अभिनेत्री शबाना आज़मी, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड, फिल्म निर्देशक आनंद पटवर्धन एवं अंजुम राजाबली, सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखक राम पुनियानी, लेखक शम्स-उल-इस्लाम, पत्रकार अस्करी ज़ैदी और डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार शमा जै़दी समेत अलग-अलग क्षेत्रों के 100 से ज्यादा प्रतिष्ठित शख्सियतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर हैं।
बयान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए कहा गया है कि सभी स्वस्थ लोकतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और घृणित भाषा पर प्रतिबंध के बीच स्पष्ट और सैद्धांतिक अंतर करते हैं।
बयान के मुताबिक, आईएमएसडी भाजपा शासित राज्यों, खासकर उत्तर प्रदेश में ‘बुलडोजर राज’ की कड़ी निंदा करता है, जहां प्रशासन और पुलिस ‘तत्काल न्याय’ प्रदान कर रहे हैं। संगठन ने इस तरह ‘कानून का उपहास उड़ाने’ की घटनाओं को रोकने के लिए न्यायपालिका से इसका ‘स्वत: संज्ञान’ लेने का आग्रह किया।
खासकर मुसलमानों से शांति की अपील करते हुए संगठन ने कहा कि उन्हें ‘इस्लाम संकट’ में है जैसी बातों के झांसे नहीं आना चाहिए और मौजूदा प्रदर्शनों में लोगों की जान जा चुकी है और इसके बाद बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां भी उन्हीं की होंगी।
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