नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13 सितंबर को मणिपुर की संभावित यात्रा की चर्चाओं के बीच, केंद्र सरकार कुकी-जो सशस्त्र समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते को बढ़ाने की शर्तों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. इसे राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के बड़े कदमों में से एक माना जा रहा है. यह जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
गृह मंत्रालय बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में कुकी-जो सशस्त्र समूहों के घटकों, जिन्होंने 2008 में केंद्र के साथ SoO समझौते पर साइन किए थे, और मणिपुर सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगा. दो लोगों ने बताया कि इस बैठक में तौर-तरीकों पर चर्चा होगी.
SoO समझौते का विस्तार, जातीय रूप से बंटे राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में अहम कदम माना जाता है. अगर प्रधानमंत्री वास्तव में मणिपुर का दौरा करते हैं—जो मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद पहला होगा—तो SoO समझौते का विस्तार केंद्र द्वारा जनजातीय कुकी-जो समुदाय तक पहुंचने का एक बड़ा प्रयास माना जाएगा.
गृह मंत्रालय इस हफ्ते दिल्ली में कुकी-जो सिविल सोसाइटी समूहों से भी मुलाकात कर रहा है. एक व्यक्ति ने बताया कि बैठक के एजेंडे में से एक है सिविल सोसाइटी समूहों से यह प्रतिबद्धता लेना कि मेइती समुदाय को नेशनल हाइवे-2 (जो इंफाल को दीमापुर से जोड़ता है) पर सुरक्षा बलों की एस्कॉर्ट के साथ यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी.
हालांकि एनएच-2 बंद नहीं है, लेकिन सुरक्षा चिंताओं के कारण मेइती वहां से यात्रा करने से बचते हैं. अगर उन्हें राज्य से बाहर जाना होता है तो वे हवाई यात्रा करते हैं, जिसे कई लोग वहन नहीं कर पाते. राज्य सरकार ने यातायात सामान्य करने की कोशिश की थी लेकिन यह सफल नहीं हुई. अगर केंद्र मेइतियों को एनएच-2 पर स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति दिला पाता है, तो यह उनका विश्वास दोबारा जीतने की बड़ी पहल होगी.
SoO समझौते का विस्तार जातीय रूप से बंटे राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में अहम कदम है.
इस समझौते को हर साल नवीनीकृत करना होता है. लेकिन दो जातीय समूहों—गैर-जनजातीय मेइती और जनजातीय ईसाई कुकी—के बीच संघर्ष भड़कने के बाद, फरवरी 2024 में जब यह समझौता खत्म हुआ तो इसका विस्तार नहीं किया गया.
“हमने सभी बड़े मतभेद दूर कर लिए हैं. सभी घटक नए नियमों पर एक ही पन्ने पर हैं. हमें उम्मीद है कि कल SoO विस्तार से जुड़े तौर-तरीके अंतिम रूप ले लेंगे,” मंगलवार को दिप्रिंट को दिए बयान में एक शख्स ने कहा.
त्रिपक्षीय समझौता पहली बार 22 अगस्त 2008 को केंद्र, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के बीच हुआ था. ये संगठन मिलकर 25 उग्रवादी समूहों का प्रतिनिधित्व करते थे, जिनमें कुकी-जो, जोमी और ह्मार्स शामिल थे. यह समझौता राज्य में सक्रिय सशस्त्र समूहों के साथ राजनीतिक संवाद शुरू करने और उनके अलग मातृभूमि की मांग को सुलझाने के लिए किया गया था.
गृह मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में SoO घटकों से कई बार मुलाकात की ताकि SoO के नियमों को लेकर उभरे मतभेदों को दूर किया जा सके. इन नियमों का नवीनीकरण भी विस्तार के साथ होगा.
SoO विस्तार, सामान्य स्थिति की ओर एक कदम
इस साल जून में केंद्र ने SoO समूहों से समझौते को नवीनीकृत करने के लिए बातचीत फिर से शुरू की थी. तब से गृह मंत्रालय ने कुकी-जो सशस्त्र समूह से SoO के नियमों को नवीनीकृत करने के लिए कई दौर की चर्चा की है.
SoO समझौते के तहत, जो उग्रवादी सामने आए उन्हें शिविरों में रखा गया, जिन्हें SoO कैंप कहा जाता है. उन्हें अपने हथियार शिविर के अंदर एक सुरक्षित कमरे में जमा करने होते हैं, जिसे बंद रखा जाता है. सुरक्षा बल नियमित रूप से इन शिविरों का निरीक्षण करते हैं.
कैडर शिविर से बाहर नहीं जा सकते और न ही हथियार बाहर ले जा सकते हैं. SoO शिविरों में रहने वालों को पुनर्वास प्रक्रिया के हिस्से के रूप में हर महीने 6,000 रुपये भत्ता मिलता है. नए नियमों में केंद्र ने प्रस्ताव रखा है कि यह भत्ता सीधे कैडर के व्यक्तिगत खाते में भेजा जाएगा, बशर्ते कि मासिक निरीक्षण के दौरान वे केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी में शिविर में उपस्थित पाए जाएं. पहले यह भत्ता शिविर प्रमुख के जरिए दिया जाता था.
मूल नियमों में यह भी तय है कि जब तक SoO लागू है, सुरक्षा बल—चाहे केंद्रीय हों या राज्य—और शिविरों में मौजूद कैडर एक-दूसरे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. समझौते पर साइन करने वाले उग्रवादी समूह भी राज्य की भौगोलिक अखंडता को खतरे में डालने वाली कोई गतिविधि नहीं करेंगे.
नए बनाए जा रहे नियमों में गृह मंत्रालय ने कहा है कि SoO कैंपों की संख्या 14 से घटाकर 10 की जाए. फरवरी 2024 तक इन 14 कैंपों में SoO कैडरों की संख्या 2,181 थी.
नए नियमों के तहत SoO कैडरों का शारीरिक पुन: सत्यापन भी किया जाएगा.
कैंपों की संख्या घटाने और समझौते की उस शर्त को लेकर, जिसमें कहा गया था कि SoO समूह राज्य की भौगोलिक अखंडता को खतरे में डालने वाली कोई गतिविधि नहीं करेंगे, पहले मतभेद उभरे थे.
“अब सभी समूह एक राय पर आ गए हैं और 10 कैंप करने पर सहमत हैं,” दूसरे सूत्र ने कहा.
SoO समूहों को पहाड़ी इलाकों में निर्वाचित प्रतिनिधियों और नागरिक समाज समूहों का समर्थन मिला है, और वे समझौते को बढ़ाने के लिए चल रही बातचीत में जनजातीय समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
दूसरे सूत्र ने कहा, “गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि SoO समूहों के साथ सारी चर्चा संवैधानिक ढांचे के भीतर होगी.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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