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Thursday, 9 May, 2024
होमदेशIMD ने कहा - 'मानसून दिल्ली पहुंच गया है' लेकिन क्यों राजधानी के कई हिस्सों में बारिश नहीं हो रही है

IMD ने कहा – ‘मानसून दिल्ली पहुंच गया है’ लेकिन क्यों राजधानी के कई हिस्सों में बारिश नहीं हो रही है

मौसम विज्ञानियों का मानना है कि आने वाले समय में दिल्ली में उस तरह के मानसून नहीं दिखाई देंगे जैसे कि पहले 1980 या 1990 के दशक में यहां देखे गए थे.

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नई दिल्ली: मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली के निवासियों को शायद अगले चार दिनों से लेकर एक हफ्ते तक सामान्य मानसूनी बारिश से वंचित रहना पड़ सकता है. इस वक्त राष्ट्रीय राजधानी काफी अधिक तापमान और उच्च स्तर की ह्यूमिडिटी का अनुभव कर रही है जबकि बारिश के बहुत कम होने की संभावनाएं नजर आ रही हैं.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का कहना है कि मानसून ने दिल्ली में 29 जून को ही दस्तक दे दी थी. यह संस्था इस महीने की शुरुआत से ही शहर में जोरदार बारिश की भविष्यवाणी कर रही है लेकिन आईएमडी के अपने स्वयं आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान शहर में केवल 2 मिमी बारिश हुई है.

दिप्रिंट ने जिन विशेषज्ञों से बात की उनके अनुसार इसका कारण बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम और पश्चिमी हिस्सों पर कई निरंतर निम्न दबाव वाले क्षेत्रों का बनना है जो पश्चिम दिशा में गुजरात और उत्तर-पूर्व अरब सागर की ओर बढ़ रहे हैं, और उत्तर भारत को छोड़े जा रहा है.

निजी क्षेत्र की मौसम पूर्वानुमान सेवा ‘स्काईमेट’ के उपाध्यक्ष, मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, महेश पलावत ने कहा, ‘इन तीव्र मौसम प्रणालियों (वेदर सिस्टम्स) के कारण मानसून की धुरी अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण की ओर बढ़ रही है. इसलिए, जब तक मानसून की धुरी उत्तर की ओर नहीं बढ़ती, तब तक दिल्ली में बारिश से जुड़ी गतिविधियां शुरू नहीं होंगी. चूंकि इस समय कोई भी प्रमुख वेदर सिस्टम्स सक्रिय नहीं है इसलिए अगले एक सप्ताह तक तीव्र बारिश की गतिविधिएं नहीं होने की संभावना है.’

हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि शहर में बारिश बिल्कुल हो ही नहीं रही है.

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आईएमडी के एक वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने दिप्रिंट को बताया, ‘दिल्ली के आया नगर में रविवार को हल्की बूंदाबांदी हुई. शनिवार को भी, शहर के जंगली इलाकों में बारिश देखी गई थी.’ उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसा नहीं है कि दिल्ली में बारिश हो ही नहीं रही है. अभी कम बारिश हो रही है.’

उन्होंने आईएमडी के रुख को दोहराते हुए कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते कि बारिश कितनी तेज होगी लेकिन मानसून पहले ही दिल्ली में दस्तक दे चुका है.’

दूसरी तरफ, पलावत ने इस बारे में एक टाइमलाइन पेश की कि शहर में सामान्य मानसून कब शुरू होगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र कम होना शुरू हो जाएगा और मानसून की धुरी का पश्चिमी छोर उत्तर की ओर बढ़ सकता है, जिससे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर-पश्चिम भारत में 13 या 14 जुलाई तक बारिश हो सकती है.

उन्होंने कहा कि अभी ओडिशा, तेलंगाना, विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश, गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में अच्छी बारिश हो रही है.

पलावत ने इस साल के मानसून पैटर्न को ‘असामान्य’ बताते हुए कहा कि इसके के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.


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‘जलवायु परिवर्तन या पारिस्थितिक गड़बड़ी’

पलावत ने कहा कि मानसून पैटर्न में धीरे-धीरे आ रहा बदलाव एक ऐसी चीज है जिसे मौसम विज्ञानी पिछले एक दशक से देख रहे हैं. इसका मतलब यह है कि आगे चलकर, दिल्ली में उस तरह के मानसून नहीं दिखाई देंगे जैसे कि पहले 1980 या 1990 के दशक में यहां देखे गए थे.

पलावत ने कहा, ‘इस साल का पैटर्न काफी असामान्य है क्योंकि आमतौर पर बंगाल की खाड़ी के ऊपर एकाध मौसम प्रणाली विकसित होती है और पश्चिम दिशा में बढ़ती है. साथ ही, आमतौर पर दो मौसम प्रणालियों के निर्माण के बीच एक या दो सप्ताह का अंतर होता है. इसी अंतराल के दौरान, मानसून की धुरी उत्तर की ओर घूम जाती है और उत्तर भारत में वर्षा करती है लेकिन इस साल हमने देखा है कि ऐसा कोई अंतराल आया ही नहीं है. एक के बाद एक मौसम प्रणालियां विकसित हो रही हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘एक दशक या उससे भी पहले, बंगाल की खाड़ी के ऊपर विकसित होने वाली मौसम प्रणाली उत्तर-पश्चिम की ओर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब तक बढ़ जाया करती थी. लेकिन पिछले एक दशक से, अधिकांश मौसम प्रणालियां पश्चिमी दिशा में बढ़ रही हैं, इसलिए यह जलवायु परिवर्तन या पारिस्थितिकी गड़बड़ी के कारण हो सकता है.’

इस बदले हुए मॉनसून पैटर्न का एक अर्थ यह भी है कि पारंपरिक रूप से ‘सूखे’ माने जाने वाले क्षेत्रों में अब अच्छी बारिश होगी और जिन इलाकों में काफी बारिश होती थी वहां बहुत कम बरसात होगी.

पलावत ने कहा, ‘पहले उत्तरी राज्यों में अच्छी बारिश हुआ करती थी. गुजरात और राजस्थान के अधिकांश हिस्से सूखे पड़े रहते थे लेकिन अब मध्य भाग, खासतौर से मध्य प्रदेश, या महाराष्ट्र में विदर्भ और मराठवाड़ा, जो आमतौर पर ‘सूखे’ क्षेत्र थे, में भी काफी अच्छी बारिश हो रही है. इसके अलावा, शुष्क मौसम के लिए प्रसिद्ध राजस्थान और गुजरात में बाढ़ लाने वाली बारिश हो रही है. इसलिए, पिछले एक दशक में मानसून के पैटर्न में काफी बदलाव आया है और आने वाले वर्षों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में पहले से कम बारिश होगी.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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