नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि संसद के मानसून सत्र से पहले जासूसी से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है.
संसद ने उन्होंने बताया, ‘जब नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.’
आईटी मंत्री ने लोकसभा में कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमारे देश में वैध इंटरसेप्शन के लिए पहले से ही स्थापित प्रक्रिया है और उसी के जरिए ये किया जाता है.’
उन्होंने बताया, ‘भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध इंटरसेप्शन के लिए अनुरोध प्रासंगिक नियमों के अनुसार किए जाते हैं. इंटरसेप्शन के प्रत्येक मामले को सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूरी दी जाती है.’
आईटी मंत्री ने कहा, ‘जब हम इस मुद्दे को तर्क की नज़रों से देखते हैं तो पता लगता है कि इस सनीसनीखेजता के पीछे कोई कारण नहीं है.’
आईटी मंत्री ने लोकसभा में कहा, ‘सनीसनीखेज स्टोरी बीती रात एक वेब पोर्टल द्वारा जारी की गई. कई आरोप लगाए गए. ये रिपोर्ट मानसून सत्र से एक दिन पहले आई है. ये कोई संयोग नहीं हो सकता.’
उन्होंने बताया, ‘पहले भी व्हाट्सएप पर पैगासस का इस्तेमाल करने का दावा किया गया था. उन रिपोर्ट्स का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था. कल जो रिपोर्ट जारी की गई है वो भी लगता है कि भारतीय लोकतंत्र की छवि खराब करने के लिए है.’
आईटी मंत्री ने कहा, ‘हम उन लोगों को दोष नहीं दे सकते जिन्होंने खबर को विस्तार से नहीं पढ़ा है और मैं सदन के सभी सदस्यों से तथ्यों और तर्क पर मुद्दों की जांच करने का अनुरोध करता हूं. इस रिपोर्ट का आधार यह है कि एक संघ है जिसके पास 50,000 फोन नंबरों के लीक हुए डेटाबेस तक पहुंच है.’
‘आरोप है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा में फोन नंबर की मौजूदगी से यह पता नहीं चलता है कि डिवाइस पैगासस से संक्रमित था या हैक करने की कोशिश की गई थी.’
Without subjecting the phone to this technical analysis, it's not possible to conclusively state whether it witnessed an attempted hack or successfully compromised. The report itself clarifies that presence of a number in list doesn't amount to snooping: Ashwini Vaishnaw in LS
— ANI (@ANI) July 19, 2021
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कांग्रेस ने की स्वतंत्र जांच की मांग
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि इजरायली स्पाइवेयर पैगासस का उपयोग करके कई प्रमुख व्यक्तियों एवं पत्रकारों का कथित तौर पर फोन टैप किए जाने के मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस मामले को लेकर कटाक्ष भी किया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम जानते हैं कि वह आपके फोन में सबकुछ पढ़ रहे हैं.’
We know what he’s been reading- everything on your phone!#Pegasus https://t.co/d6spyji5NA
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 19, 2021
गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और एक्टिविस्टों के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों.
यह रिपोर्ट रविवार को सामने आई है. सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है. सरकार ने कहा, ‘इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है.’
रिपोर्ट को भारत के न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के साथ-साथ वाशिंगटन पोस्ट, द गार्डियन और ले मोंडे सहित 16 अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों ने पेरिस के मीडिया गैर-लाभकारी संगठन फॉरबिडन स्टोरीज और राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा की गई एक जांच के लिए मीडिया पार्टनर के रूप में प्रकाशित किया है.
यह जांच दुनिया भर से 50,000 से अधिक फोन नंबरों की लीक हुई सूची पर आधारित है और माना जाता है कि इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पैगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से संभवतया इनकी हैकिंग की गई है.
द वायर के अनुसार लीक आंकडों में बड़े मीडिया संगठनों हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे,नेटवर्क 18, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस के अनेक जाने माने पत्रकार के नंबर शामिल हैं.
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