नई दिल्ली: आईआईटी-मद्रास के एक सहायक प्रोफेसर ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह संस्थान छोड़ रहे हैं और इसके पीछे की बड़ी वजह उनके साथ संस्थान में हुआ जातिगत भेदभाव है.
संस्थान के सहायक प्रोफेसर की ओर से संकाय सदस्यों को भेजे गए कथित ईमेल में लिखा है, ‘संस्थान छोड़ने के पीछे की प्राथमिक वजहों में से एक मानविकी और समाज विज्ञान विभाग में मेरे साथ हुआ जातिगत भेदभाव है, जो मार्च, 2019 में मेरी नियुक्ति के समय से ही जारी है.’
हालांकि जब संस्थान से यह पूछा गया कि क्या सहायक प्रोफेसर ने औपचारिक तौर पर इस्तीफा दे दिया है या उन्होंने संस्थान को भेजे अपने ‘इस्तीफ़ा’ पत्र में यह आरोप लगाया है, तो इसपर आईआईटी-मद्रास ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
इस प्रतिष्ठित संस्थान ने एक बयान में कहा, ‘इस ईमेल पर संस्थान की कोई प्रतिक्रिया नहीं है. कर्मचारियों या शिक्षकों से मिली किसी भी शिकायत पर शिकायत निवारण की तय प्रक्रिया के जरिए तत्काल कार्रवाई की जाती है.’
दिप्रिंट ने मेल, टेक्स्ट मैसेज और फोन कॉल के जरिए वीटिल तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन वह टिप्पणी के लिए अनुपलब्ध रहे.
इस मुद्दे पर बोलते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा, ‘अभी तक हमें किसी से कोई औपचारिक अनुरोध नहीं मिला है, लेकिन हम इस मामले को देख रहे हैं पीड़ित प्रोफेसर की मदद के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे.’
पिछले कुछ वर्षों में, आईआईटी-मद्रास ऐसे पीड़ितों के भेदभावपूर्ण व्यवहार और खराब शिकायत निवारण के आरोपों के लिए चर्चा में रहा है. 2019 में छात्रा फातिमा लतीफ की आत्महत्या की मौत ने संस्थान में जाति आधारित भेदभाव के मुद्दे को सामने ला दिया था.