(गुंजन शर्मा)
(तस्वीर सहित)
नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास ने अपनी तरह का पहला उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया है जो अग्नाशय के कैंसर का शीघ्र पता लगाने के लिए बायोमार्कर विकसित करने के लिए अनुसंधान कर रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स एंड मॉलिक्यूलर थेरेप्यूटिक्स’ भारत-विशिष्ट कैंसर जीनोम डेटाबेस विकसित करने में मदद करेगा, जो कैंसर का शीघ्र पता लगाने और दवा के असर का अध्ययन करने के लिए अहम है।
अग्नाशय कैंसर (पीडीएसी) दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का चौथा प्रमुख कारण है और एक दशक में इसके दूसरा बड़ा कारण बन जाने की आशंका है। कैंसर के मामलों की दर अत्यधिक होने के कारण अधिकतर दवा कंपनियां विशिष्ट उपचारों के लिए बायोमार्कर स्थापित करने के उद्देश्य से भारतीय-विशिष्ट कैंसर जीनोम (अनुक्रम) डेटा की तलाश कर रही हैं।
फिलहाल भारतीय जनसंख्या-विशिष्ट कैंसर जीनोम डेटा उपलब्ध नहीं है और सभी अध्ययन पश्चिमी आबादी से उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित हैं, इसलिए जीनोमिक विषमता के कारण पश्चिमी समाजों की तुलना में भारत में कैंसर पीड़ित लोगों के जीवित रहने की दर बहुत कम है।
आईआईटी मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में कार्यरत एवं इस अनुसंधान के प्रमुख अन्वेषक एस महालिंगम ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस प्रयास से जिन बायोमार्कर की पहचान की जाएगी, वे कैंसर का शुरुआत में पता लगाने वाली किट विकसित करने में मदद करेंगे और इनसे अग्नाश्य कैंसर की उपचार पद्धतियां विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
भाषा सिम्मी नेत्रपाल
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