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Wednesday, 25 December, 2024
होमदेशIIMC का हो रहा भगवाकरण? मेनस्ट्रीम मीडिया पर टिप्पणी करने के आरोप में पत्रकार को लेक्चर से रोका

IIMC का हो रहा भगवाकरण? मेनस्ट्रीम मीडिया पर टिप्पणी करने के आरोप में पत्रकार को लेक्चर से रोका

आईआईएमसी के एक पूर्व छात्र ने एक ट्विटर पोस्ट में दावा किया कि फैकल्टी के एक सदस्य द्वारा कोठारी की मुख्यधारा के मीडिया के लिए की गई जोरदार टिप्पणी को संदर्भित करने के बाद उनके लेक्चर को रद्द किया गया.

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नई दिल्लीः भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी), दिल्ली आरोपों के बीच विवाद का एक केंद्र बन गया है. संस्थान से खबर आ रही है कि यहां एक पत्रकार को मीडिया एथिक्स कोर्स की विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर पढ़ाने से रोक दिया गया. इसका कारण उनके एक सोशल मीडिया पोस्ट में मुख्यधारा की मीडिया की आलोचना करना बताया जा रहा है.

दिप्रिंट ने संस्थान के महानिदेशक, संजय द्विवेदी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उक्त आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. द्विवेदी ने दावा किया कि क्लासरूम लेक्चर उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं. टिप्पणी के लिए आईआईएमसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास भी इसी तरह असफल रहा.

पिछले गुरुवार को द लॉजिकल इंडियन की पूर्व प्रबंध संपादक श्वेता कोठारी ने ट्वीट किया कि वे आईआईएमसी दिल्ली के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स के छात्रों को ‘मीडिया की भूमिका, नैतिकता और जिम्मेदारी’ विषय पर पढ़ाएंगीं. वहीं, क्लास शुरू करने के तुरंत बाद, उन्हें सूचित किया गया कि 16 दिसंबर के लिए निर्धारित उनका अगला लेक्चर ‘छात्रों के एक इवेंट’ के कारण रद्द किया गया है.

इस बीच, आईआईएमसी के एक पूर्व छात्र और स्वतंत्र पत्रकार ऋषिकेश शर्मा ने एक ट्विटर पोस्ट में संस्थान के भगवाकरण में रंगने का दावा करते हुए कहा कि फैकल्टी के एक सदस्य द्वारा कोठारी की मुख्यधारा के मीडिया के लिए की गई जोरदार टिप्पणी को संदर्भित करने के बाद उनके लेक्चर को रद्द किया गया.

शर्मा ने कहा, हिंदी पत्रकारिता कोर्स के निदेशक राकेश उपाध्याय ने कथित तौर पर छात्रों के समक्ष उनका एक ट्वीट दिखाते हुए कोठारी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की.

उपाध्याय ने सवाल करते हुए कि क्या उन्होंने (श्वेता) कभी मुख्यधारा के मीडिया में काम किया था और वह कैसे ‘सरकार या पीएम के खिलाफ’ लिख सकती हैं जब वह एक ‘सरकारी संस्थान’ में पढ़ाने के लिए आ रहीं थीं जहां उन्हें ‘केवल उन्हें सैलरी भी सरकार से मिलेगी’.

शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, उक्त जानकारी उन्हें कुछ छात्रों से मिली थी.

दिप्रिंट से बात करते हुए, कोठारी ने कहा कि उन्होंने कथित टिप्पणी को सीधे तौर पर कभी नहीं सुना था, लेकिन उन्होंने आईआईएमसी के रेडियो और टीवी पत्रकारिता कोर्स के निदेशक से संपर्क किया था. उन्हें इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला कि क्या उन्हें वहां पढ़ाना दोबारा से शुरू करना है या नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि एक छात्र ने उन्हें बताया था कि 16 दिसंबर के लिए निर्धारित किसी अन्य लेक्चर को इसके अलावा रद्द नहीं किया गया था.

कोठारी ने भी उक्त आरोपों के संबंध में एक ट्वीट कर छात्रों के भविष्य के लिए डर व्यक्त किया.

इस मामले पर उनके द्वारा पोस्ट किए गए कईं ट्वीट में से एक में कहा गया है, ‘मुझे उम्मीद है कि आईआईएमसी से पास होने वाला हर पत्रकार सत्तारूढ़ सरकार से सवाल करेगा. अपना काम ठीक से नहीं करने के लिए अपनी ही बिरादरी पर सवाल उठाएगा. जवाब के तौर पर यही काफी होगा. जहां तक मेरा सवाल है, मैं अपनी सैलरी अपनी नौकरी से लेती हूं, सरकार से नहीं. ऐसे व्यक्तियों से मुझे डर नहीं लगता.’

एक अन्य ट्वीट में कोठारी ने उम्मीद जताई कि आईआईएमसी के महानिदेशक द्विवेदी इस मामले पर संज्ञान लेंगे. उन्होंने कहा, ‘कक्षाओं में दुराचार और घृणा का कोई स्थान नहीं है’.


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‘मेरी विचारधारा को निशाना बनाया’

दिप्रिंट से बात करते हुए, कोठारी ने कहा कि उक्त टिप्पणी, अगर सच में उपाध्याय ने की थी, तो यह बहुत बुरा है क्योंकि उन्होंने ‘उनकी विचारधारा-जवाबदेही और सत्ता के लिए सच बोलने’ की क्षमता को टारगेट किया था.

इस बात पर जोर देते हुए कि उनके (कोठारी) के ट्वीट राजनीति से प्रेरित नहीं थे और न ही किसी अन्य संगठन से जुड़े थे, पूर्व छात्र शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि अन्य पूर्व छात्रों ने भी इस मामले के बारे में सवाल उठाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘प्रशासन में किसी के साथ हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. अगर ये चीजें फिर से होती हैं, तो हम आईआईएमसी के पूर्व छात्रों के रूप में निश्चित तौर पर आवाज़ उठाएंगे.’

कोठारी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के ए.जे. किदवई मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर में कन्वर्जेंट जर्नलिज्म के मास्टर प्रोग्राम में पढ़ाना शुरू कर दिया.

(अनुवादः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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