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Sunday, 17 November, 2024
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IIM अहमदाबाद, बेंगलुरु के कर्मियों और छात्रों ने ‘हेट स्पीच’ के इस्तेमाल पर PM Modi को लिखा खुला खत

दो आईआईएम के 180 से अधिक छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षा संकाय के सदस्यों (फैकल्टी मेंबर्स) द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में मोदी से कथित तौर पर 'घृणास्पद भाषण ' (हेट स्पीच) और बर्बरता जैसे अहम मुद्दों पर अपनी चुप्पी तोड़ने' का आग्रह किया गया है.

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नई दिल्ली: भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट- आईआईएम-बी) और आईआईएम अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के 180 से अधिक छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षा संकाय के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उनसे देश में कथित तौर पर घृणास्पद भाषण और बर्बरता जैसे अहम मुद्दों पर ‘अपनी चुप्पी तोड़ने’ का अनुरोध किया है. पत्र पर आईआईएम-बी के 178 और आईआईएम-ए के पांच लोगों ने हस्ताक्षर किए, और पीएम मोदी से इस देश के बहु-सांस्कृतिक लोकाचार और इतिहास को ध्यान में रखते हुए एक अधिक सहिष्णु समाज की स्थापना में मदद करने का आग्रह किया.

इस पत्र, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास भी है, में कहा गया है कि धर्म और जाति की पहचान के आधार पर समुदायों के खिलाफ घृणास्पद भाषण (हेट स्पीच) और हिंसा के आह्वान पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. हालांकि इस पत्र में घृणास्पद भाषण या सांप्रदायिक रूप से किसी को निशाना बनाये जाने की किसी विशेष घटना का कोई उल्लेख नहीं है, फिर भी यह पिछले महीने उत्तराखंड में आयोजित एक धर्म संसद, जहां कथित तौर पर हिंदू धार्मिक नेताओं द्वारा मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए गए थे, के मद्देनजर लिखा गया लगता है. फिलहाल उत्तराखंड पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा इन आरोपों की जांच की जा रही है.

इस पत्र का मसौदा आईआईएम बैंगलोर के पांच संकाय सदस्यों द्वारा तैयार किया गया था, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतीक राज, एसोसिएट प्रोफेसर दीपक मलघन, एसोसिएट प्रोफेसर डालहिया मणि, एसोसिएट प्रोफेसर राजलक्ष्मी वी. मूर्ति और एसोसिएट प्रोफेसर हेमा स्वामीनाथन शामिल हैं.

इस पत्र में कहा गया है,‘ माननीय प्रधानमंत्री जी, हमारे देश में बढ़ती असहिष्णुता पर आपकी चुप्पी, हम सभी के लिए, जो हमारे देश के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने को महत्व देते हैं, निराशाजनक है. माननीय प्रधानमंत्री जी, आपकी चुप्पी नफरत भरी उन आवाजों को बढ़ावा देती है और हमारे देश की एकता एवं अखंडता के लिए खतरा पैदा करती है.’

संविधान द्वारा प्रदत्त सम्मान के साथ एवं बिना किसी डर या शर्म के सभी धर्मों का पालन करने के अधिकार का उल्लेख करते हुए, इस पत्र में दावा किया गया है कि हमारे देश में अब डर की भावना व्याप्त हो रही है क्योंकि चर्च सहित कई पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की जा रही है. इस पत्र में मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने के कथित आह्वान का भी जिक्र है. पत्र में दावा किया गया है कि, ‘यह सब किसी तरह के दंड की परवाह किये बिना अथवा किसी न्यायोचित प्रक्रिया के डर के बगैर किया जाता है.’

आईआईएम के कर्मियों (स्टाफ), फैकल्टी मेंबर्स और छात्रों के इस पत्र में ‘सभी नेताओं से हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए’ एक बड़ा आह्वान भी किया गया है.


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‘हर भारतीय नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करें’

इसमें आगे लिखा गया है: ‘हम उम्मीद करते हैं कि हमारे नेता प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए पूरी- पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि हमारे नेता हमें इंसान बनने और जाति, धर्म, भाषा और अन्य तरह की पहचानों पर आधारित मतभेदों से परे देखने के लिए प्रेरित करेंगे.’

यह पत्र प्रधानमंत्री से उन ताकतों के खिलाफ जो कथित तौर पर भारतीय समाज को विभाजित करना चाहते हैं, मजबूती से खड़े होने के अनुरोध के साथ समाप्त होता है.

इस पत्र में अनुरोध किया गया है, ‘हम आपके नेतृत्व से, एक राष्ट्र के रूप में, हमारे दिलों और दिमाग को हमारे ही लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने से दूर ले जाने का आग्रह करते हैं. हम यह आशा और प्रार्थना करते हैं कि आप इस बारे में सही चुनाव करने हेतु देश का नेतृत्व करेंगे.’

इसमें कहा गया है: ‘हम मानते हैं कि कोई भी समाज या तो रचनात्मकता, नवाचार और विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है, या वह फिर समाज अपने ही भीतर विभाजन पैदा कर सकता है. हम एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो पूरे विश्व में समावेशिता और विविधता के उदाहरण के रूप में जाना जाता हो.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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