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Saturday, 16 November, 2024
होमदेश‘अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने वाले अज्ञानी’, बोले गुलाम नबी आजाद- उन्हें J&K के बारे में पता नहीं

‘अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने वाले अज्ञानी’, बोले गुलाम नबी आजाद- उन्हें J&K के बारे में पता नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी तब की जब उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 के तहत पूर्व राज्य को मिले विशेष दर्जे को छीनने के केंद्र के कदम के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने पर विरोध करने वाले लोग नासमझ हैं और उन्हें इस केंद्र शासित प्रदेश के इतिहास और भूगोल का ज्ञान नहीं है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी तब की जब उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 के तहत पूर्व राज्य को मिले विशेष दर्जे को छीनने के केंद्र के कदम के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.

इस महीने धारा 370 को हटाने की चौथी वर्षगांठ के कुछ दिन बाद उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीर में शांति, विकास और समृद्धि लाई है और इसकी सराहना की जानी चाहिए.

पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा, “जो लोग विरोध कर रहे हैं (सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को रद्द करना) वे जमीनी स्थिति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के इतिहास और भूगोल के बारे में नहीं जानते हैं. अनुच्छेद 370 किसी विशेष क्षेत्र, प्रांत या धर्म के लिए नहीं था बल्कि सभी के लिए समान रूप से फायदेमंद था.”

आजाद ने कहा, “मुझे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है. मेरा मानना ​​है कि वह इस (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) कदम के सभी पहलुओं पर गौर करेंगे.”

इससे पहले बीजेपी ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर में शांति, विकास और समृद्धि आई है.”

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की चौथी वर्षगांठ पर 5 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख, महबूबा मुफ्ती ने दावा किया था कि उन्हें और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को “घर में नजरबंद” कर दिया गया था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पहले एक सुनवाई के दौरान पूछा, “एक प्रावधान (अनुच्छेद 370), जिसे विशेष रूप से संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में उल्लेख किया गया था, स्थायी कैसे हो सकता है?”


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