नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि देश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी भारतीय कानून के तहत विदेशी पाए गए तो उन्हें निर्वासित किया जाएगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने शीर्ष अदालत के एक आदेश का जिक्र करते हुए कि शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी पहचान पत्र कानून के तहत उनके लिए कोई मददगार नहीं हो सकते हैं।
न्यायमूर्ति दत्ता ने राहत का अनुरोध कर रहे विभिन्न रोहिंग्या याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस और अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा, ‘‘यदि वे विदेशी अधिनियम के अनुसार विदेशी हैं, तो उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए।’’
शीर्ष अदालत को बताया गया कि महिलाओं और बच्चों सहित यूएनएचसीआर कार्ड रखने वाले कुछ शरणार्थियों को पुलिस अधिकारियों ने कल देर रात गिरफ्तार कर लिया और बृहस्पतिवार को सुनवाई होने के बावजूद निर्वासित कर दिया।
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘यदि वे (रोहिंग्या) सभी विदेशी हैं और यदि वे विदेशी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं, तो उनके साथ विदेशी अधिनियम के अनुसार ही व्यवहार किया जाना चाहिए।’’
अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई करने का फैसला किया और सुनवाई 31 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
भाषा शफीक माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.