scorecardresearch
Thursday, 19 September, 2024
होमदेशआईआईटी दिल्ली के अनुसंधान को अगर एनआईवी ने हरी झंडी दी तो कोविड-19 की जांच होगी सस्ती

आईआईटी दिल्ली के अनुसंधान को अगर एनआईवी ने हरी झंडी दी तो कोविड-19 की जांच होगी सस्ती

आईआईटी के प्रोफेसर मनोज मेनन ने कहा, मौजूदा जांच प्रक्रियाएं 'उपकरण आधारित' हैं जबकि आईआईटी टीम द्वारा विकसित प्रक्रिया ‘उपकरण मुक्त' है जिससे जांच की कीमत शुद्धता से समझौता किए बिना काफी हद तक घट जाती है.

Text Size:

नयी दिल्ली: अगर दिल्ली आईआईटी द्वारा किए गए शोध को पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने क्लीनिकल नमूनों की जांच के बाद हरी झंडी दे दी तो कोविड-19 संक्रमण की जांच स्वदेशी, सस्ती और किफायती हो जाएगी. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए एक तरीका विकसित किया है जो जांच की कीमत को काफी हद तक घटा कर इसे किफायती बना सकता है.

पुणे का राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) क्लीनिकल नमूनों पर इस जांच को प्रमाणित करने की प्रक्रिया में है.

प्रतिष्ठित संस्थान के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित ‘उपकरण मुक्त जांच’ को संस्थान की अनुसंधान प्रयोगशालाओं में अनुकूल परिस्थितियों में परखा गया और संवेदनशीलता के लिए इसकी जांच की गई.

टीम के मुताबिक, जारी वैश्विक महामारी के पैमाने को देखते हुए स्वदेश विकसित जांच किट तैयार करना इस समय की जरूरत है.

केंद्र सरकार ने शनिवार को अनुशंसा की कि निजी प्रयोगशालाओं द्वारा कोविड-19 की जांच के लिए अधिकतम शुल्क 4,500 से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से निजी प्रयोगशालाओं में कोवि़ड-19 की जांच के संबंध में जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक आरएनए वायरस के लिए रियल टाइम पीसीआर एसए को लेकर जो निजी प्रयोगशाला एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं उन्हें ही कोविड-19 जांच की अनुमति होगी. इन निर्देशों को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार रात अधिसूचित किया गया था.

सस्ती हो जाएगी जांच

हालांकि आईआईटी टीम का दावा है कि उनके द्वारा विकसित जांच बेहद सस्ते दामों पर की जा सकती है और आम जनता के लिए किफायती होगी.

टीम के मुख्य सदस्य प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल ने बताया, ‘तुलनात्मक अनुक्रमिक विश्लेषण का इस्तेमाल कर हमने कोविड-19 में अनोखे क्षेत्रों की पहचान की है. ये अनोखे क्षेत्र अन्य मानव कोरोना वायरसों में नहीं मौजूद होते हैं जिससे कोविड-19 का विशिष्ट रूप से पता लगाने का अवसर प्रदान होता है.’

उन्होंने बताया, ‘एनआईवी की ओर से जांच प्रमाणित होने के बाद इसे देश में बढ़ती जरूरत के अनुकूल प्रयोग में लाया जा सकता है.’

प्रोफेसर मनोज मेनन के मुताबिक मौजूदा जांच प्रक्रियाएं ‘उपकरण आधारित’ हैं जबकि आईआईटी टीम द्वारा विकसित प्रक्रिया ‘उपकरण मुक्त’ है जिससे जांच की कीमत शुद्धता से समझौता किए बिना काफी हद तक घट जाती है.

share & View comments