श्रीनगर, पांच अप्रैल (भाषा) उच्च न्यायालय में आरक्षण के मुद्दे पर दाखिल अपने हलफनामे को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही जम्मू-कश्मीर सरकार ने शनिवार को कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह नया जवाब दाखिल करेगी।
हलफनामे में सरकार ने उसकी आरक्षण नीति को चुनौती देने वाली याचिका को ‘शरारतपूर्ण और ओछा’ बताया है।
समाज कल्याण मंत्री एवं आरक्षण के मुद्दे पर मंत्रिमंडल की उप समिति की अध्यक्ष सकीना इटू ने अनंतनाग में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस मामले को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है और संबंधित हलफनामा अस्पष्ट है।
सरकारी नौकरियों में मौजूदा आरक्षण नियमों के खिलाफ उम्मीदवारों के कई वर्गों द्वारा उठाई गई शिकायतों पर विचार करने के लिए सरकार ने पिछले साल दिसंबर में मंत्रिमंडल की उप-समिति गठित की थी।
इटू ने कहा कि मंत्रिमंडल की उप-समिति युवा प्रतिनिधियों से मिल रही है और इस मुद्दे पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समिति को छह महीने की समयसीमा दी गई है। समिति हर दिन मुख्यमंत्री को बताती है कि उसने कितने प्रतिनिधियों से मुलाकात की और क्या घटनाक्रम हुआ।’’
इटू ने कहा कि सरकार इस मुद्दे के प्रति सहानुभूति रखती है और चाहती है कि इसका समाधान हो।
समाज कल्याण विभाग द्वारा उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हलफनामे पर मंत्री ने कहा कि यह “अस्पष्ट” तरीके से तैयार किया गया था। इस हलफनामे में आरक्षण नीति को चुनौती देने वाली याचिका को “शरारती और ओछा” कहा गया है।
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने शनिवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार की उच्च न्यायालय में आरक्षण नीति का बचाव करने पर आलोचना की। इस नीति के तहत विभिन्न समूहों को 70 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाता है।
इस बीच, सत्तारूढ़ नेकां ने हलफनामे से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा, ‘‘हम हलफनामे का समर्थन नहीं करते हैं। इसे जमीनी हकीकत को ध्यान में रखे बिना विकृत तरीके से पेश किया गया है।’’
इससे पहले, पुलवामा से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक वहीद पारा ने आरोप लगाया कि मंत्रिमंडल की उप-समिति लोगों को गुमराह करने के लिए है।
पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने कहा कि सरकार ने अपने हलफनामे में मंत्रिमंडल की उप-समिति गठित करने का उल्लेख नहीं किया है।
भाषा धीरज प्रशांत
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