चेन्नई, नौ अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट दिलाने के उद्देश्य से कार्ययोजना पर विचार-विमर्श करने के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की अध्यक्षता में विधायक दल के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से इस मामले को उच्चतम न्यायालय में नए सिरे से चुनौती देने सहित सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाने का निर्णय लिया गया।
इस संबंध में उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘इस सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया है कि नीट से छूट प्राप्त करने के लिए तमिलनाडु सरकार को कानूनी संघर्ष जारी रखना चाहिए।’’
तमिलनाडु सरकार ने 2023 में नीट परीक्षा का विरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
प्रस्ताव के अनुसार, इस तरह की लड़ाई ऐसे समय में जारी रहनी चाहिए जब राष्ट्रपति ने (हाल में) तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश के लिए नीट से छूट देने के संबंध में राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करके सभी कानूनी कदम उठाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है।
प्रस्ताव में जुलाई 2023 में तमिलनाडु सरकार द्वारा नीट परीक्षा प्रणाली का विरोध करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में दायर मामले को आगे बढ़ाना भी शामिल है।
बैठक में भाग लेने वाले दलों के प्रतिनिधियों ने उपमुख्यमंत्री के प्रस्ताव का स्वागत किया और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) ऐसी परीक्षा नहीं है, जिससे राज्य को छूट नहीं दी जा सकती। मुख्यमंत्री ने कानूनी तरीकों से राज्य को इससे छूट मिलने का विश्वास जताया।
स्टालिन ने विधायक दल के नेताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने 13 सितंबर, 2021 को नीट विरोधी विधेयक का प्रस्ताव रखा था और पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल को तुरंत विधेयक राष्ट्रपति के पास भेज देना चाहिए था। मैं दुख के साथ कहना चाहता हूं कि उन्होंने अपना संवैधानिक कर्तव्य पूरा किए बिना राजनीति करनी शुरू कर दी।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने विधेयक को मंजूरी दिलाने के लिए पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी।
इन परिस्थितियों में, एक फरवरी, 2022 को उन्होंने विधेयक वापस भेज दिया। तुरंत, पांच फरवरी, 2022 को विधायक दल के नेताओं की ऐसी ही बैठक हुई और एक बार फिर से लौटाए गए विधेयक को पारित करने और इसे नए सिरे से राज्यपाल को भेजने का निर्णय लिया गया।
आठ फरवरी, 2022 को विधेयक को फिर से स्वीकृति मिली और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में राज्यपाल, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात की और शीघ्र मंजूरी का अनुरोध किया। सभी पार्टी के सांसदों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा।
स्टालिन ने कहा कि नीट विरोधी विधेयक राज्यपाल द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया था और यह बात उन्होंने चार मई, 2022 को विधानसभा के पटल पर बताई थी।
राज्य सरकार ने केंद्रीय मंत्रालयों को सभी उचित स्पष्टीकरण दिए, लेकिन केंद्र ने नीट विरोधी विधेयक को मंजूरी देने से मना कर दिया।
स्टालिन ने कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने सदन को केंद्र द्वारा नीट विरोधी विधेयक को मंजूरी देने से मना करने के बारे में सदन (विधानसभा) को सूचित किया था।
भाषा सुरभि माधव
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