कोलकाता, एक मई (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि मध्य कोलकाता में स्थित एक होटल में लगी भीषण आग में मरने वालों की संख्या अधिक नहीं होती अगर राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाई जाती।
उन्होंने कहा कि आग लगने की घटना में 14 लोग मारे गए क्योंकि दमकल वाहन देरी से पहुंचे।
अधिकारी ने कहा कि होटल स्थानीय जोरासांको थाने के काफी नजदीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि अग्निशमन विभाग ने घटनास्थल पर पहुंचने में देरी की।
अधिकारी ने बड़ा बाजार के मछुआपट्टी में घटनास्थल का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर बचाव और राहत कार्य तेजी से किया गया होता तो मौत का आंकड़ा इतना अधिक नहीं होता।’’ यहां मंगलवार रात को भीषण आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई थी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘चूंकि पूरी सरकार दीघा में थी, इसलिए होटल में ठहरे अन्य राज्यों के लोगों और अन्य प्रभावित लोगों को ‘हेल्पलाइन’ जैसी आवश्यक आपातकालीन सेवाएं प्रदान नहीं की गईं।’’
उन्होंने बुधवार को जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन करने के लिए पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दीघा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की यात्रा की ओर इशारा किया।
अधिकारी ने दावा किया कि पार्षद सजल घोष और विजय ओझा सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने पीड़ितों के रिश्तेदारों को सहायता प्रदान की।
उन्होंने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री ने इस घटना पर सार्वजनिक रूप से तभी प्रतिक्रिया दी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और मृतकों एवं घायलों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की।
बनर्जी ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर कहा था कि उन्होंने ‘‘पूरी रात बचाव और अग्निशमन अभियान’’ की निगरानी की।
भाजपा नेता ने दावा किया कि दिसंबर 2011 में एएमआरआई (एडवांस्ड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट) अस्पताल में हुई आगजनी की घटना सहित कई बड़ी घटनाओं के बावजूद कोलकाता के भीड़भाड़ वाले इलाकों में अवैध निर्माण के कारण आग लगने की घटनाएं हुईं और सरकार एवं नगर निकायों ने ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए कुछ नहीं किया। एएमआरआई अस्पताल में आग लगने की घटना में 90 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
उन्होंने आश्चर्य जताया कि अगर कोलकाता में ऐसी घटना हो सकती है, तो जिले के अन्य शहरों में आग लगने की ऐसी घटना होने पर क्या होगा।
अधिकारी ने दावा किया कि होटल में आपातकालीन अग्नि निकास और अग्नि सुरक्षा मंजूरी नहीं थी, लेकिन उसे बेखौफ होकर कारोबार जारी रखने की अनुमति दी गई।
भाषा सुरभि मनीषा
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