नई दिल्ली: भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर 23.7 लोगों का परीक्षण किया जा रहा है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रति लाख लोगों के 14 लोगों के परीक्षण के दिशानिर्देशों से बहुत अधिक है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने आंतरिक समाचार पत्र ई-समवाद के दूसरे संस्करण में यह जानकारी दी है.
इसमें यह भी कहा गया है कि उन क्षेत्रों में भी परीक्षण बढ़ा दिया गया है जहां संक्रमण 10 प्रतिशत से अधिक है. आईसीएमआर देश का शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय है.
नए अंक के फ्रंट पेज पर प्रकाशित एक संपादकीय में अपने स्वयं के प्रयासों की सराहना करते हुए आईसीएमआर ने कहा है. इस धारणा के बावजूद कि भारत जैसा विकासशील देश कोविड-19 से लड़ने में सक्षम नहीं होगा, आईसीएमआर ने दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है.
कोविड के खिलाफ युद्ध में वैश्विक धारणा टूटने के शीर्षक से संपादकीय में आईसीएमआर ने कहा, आईसीएमआर अपनी पूरी ताकत के साथ इस महामारी से लड़ रहा है. संस्थान का पूरा ध्यान बढ़े हुए परीक्षण पर है. कुछ राज्यों को छोड़कर स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुधार की स्थिति इस बात का प्रमाण है.’
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि भारत ने चुनौती (संसाधनों की कमी) को स्वीकार किया है और परिदृश्य को उलटने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया है. अब, भारत में पर्याप्त समर्पित कोविड अस्पताल, परीक्षण प्रयोगशाला और उपचार के लिए आवश्यक लोगिस्टिक है.
आईसीएमआर के अनुसार, ‘देश भर के संस्थानों से नवीनतम अपडेट’ प्रदान करने के उद्देश्य से समाचार पत्र प्रकाशित किया जा रहा है. जून का पहला अंक 2 जुलाई को जारी किया गया था.
जबकि पिछले अंक में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव द्वारा एक कॉलम था, नए संस्करण में कॉलम गायब है. भार्गव को ई-समवाद के संरक्षक के रूप में नामित किया गया है.
परीक्षण, उपचार और ट्रैकिंग पर ध्यान
लेख में कहा गया है लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से ‘आईसीएमआर ने- परीक्षण, उपचार और ट्रैकिंग पर ध्यान केंद्रित किया है.’
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यही कारण है कि भारत अभी भी कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, उन्होंने बाद में स्पष्ट करते हुए कहा कि संक्रमण की संख्या में पिछले दो महीनों में वृद्धि दर्ज की गई है. यह पूरी तरह से बढ़ाये गए परीक्षण के कारण हो रहा है. भारत ने अब तक एक करोड़ पचास लाख नमूनों का परीक्षण किया है.
देश के सबसे दूरस्थ भागों में परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के अपने प्रयासों का पता लगाने और मुंबई, कोलकाता और नोएडा संस्थानों को उच्च तकनीक परीक्षण मशीनों से लैस करने के साथ लेख में कहा गया है कि ‘आईसीएमआर का प्रयास लाभांश दे रहा है क्योंकि भारत में रिकवरी रेट लगातार बढ़ रही है.
बिग हेल्थकेयर सिस्टम ध्वस्त हो गया लेकिन भारत मजबूत हुआ
नए संस्करण में प्रकाशित संपादकीय में भारत में कोविड-19 के प्रवेश और संसाधनों की उपलब्धता को बताया गया है और पिछले सात महीनों में हुई प्रगति की तुलना करता है.
जब इस साल जनवरी में भारत में कोरोनावायरस का पहला मामला सामने आया था, तो दुनिया भर के विशेषज्ञों ने कहा था कि इस महामारी से 130 करोड़ आबादी वाले देश की कमी सामने आएगी. यह कथन कई लोगों के लिए सच है देश के पास (तब तो) कोविड-19 का परीक्षण करने के लिए केवल एक प्रयोगशाला थी.’
संपादकीय में भारत द्वारा की गई प्रगति की सराहना करते हुए विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य प्रणाली के पतन का वर्णन किया गया है.
इस महामारी ने कई विकसित देशों की रीढ़ तोड़ दी थी या ढहने के कगार पर ला दिया था, यहां तक कि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में अग्रणी देशों में गिने जाने वाले इटली की स्वास्थ्य प्रणाली भी ध्वस्त हो गई थी. उसी समय, संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थिति, जो अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं पर लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करती है, दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है.
स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय ने कहा कि ‘ऐसे परिदृश्य में, विशेषज्ञों के लिए यह धारणा आम थी कि औसत स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ भारत जैसा विकासशील देश इस अदृश्य दुश्मन से लड़ने में सक्षम नहीं होगा.
हम याद कर सकते हैं कि फरवरी और मार्च के दौरान, भारत में रोकथाम और कोविड-19 के प्रसार के लिए संसाधनों की कमी थी, न तो हमारे पास मानक के अनुसार लोगिस्टिक थी, न ही परीक्षण प्रयोगशाला और न ही उपचार के लिए समर्पित कोविड अस्पताल थे.
हालांकि, अपने स्वयं के प्रयासों की सराहना करते हुए आईसीएमआर ने कहा दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है जिसमें भारत के एक बहादुर चेहरे को दिखाया गया है कि कैसे सीमित संसाधनों के बावजूद कुशल तंत्र और दृढ़ संकल्प के साथ उभरती बीमारियों से लड़ने गया है.
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