नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) कला, स्थापत्य, वेद सहित पारंपरिक भारतीय ज्ञान पद्धति को वैश्विक समुदाय तक पहुंचाने के लिये भारतीय संस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) जल्द ही एक नया आनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेगी और इस संबंध दो अप्रैल को एक पोर्टल की भी शुरूआत करेगी। आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने सोमवार को यह जानकारी दी ।
सहस्त्रबुद्धे ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ भारत की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हम पारंपरिक भारतीय ज्ञान पद्धति के सार्वभौमीकरण की दिशा में काम कर रहे हैं । इसके तहत दुनिया के देशों के लोग हमारी ज्ञान परंपरा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और सीख सकेंगे । ’’
उन्होंने कहा कि यह एडएक्स और कोर्सेरा की तरह भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रस्तुत करने का अपना तरीका होगा।
आईसीसीआर के अध्यक्ष ने बताया, ‘‘ इसमें अल्प अवधि और एक दीर्घ अवधि का पाठ्यक्रम होगा, जो चार घंटे से 40 घंटे का होगा । इसमें भारतीय संस्कृति से जुड़े विविध आयामों को शामिल किया जायेगा । ’’
उन्होंने बताया कि इसमें मधुबनी पेंटिंग से लेकर वर्ली पेंटिंग तथा वेद से लेकर रामायण और महाभारत के बारे में शिक्षा दी जाएगी।
सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि इसमें बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जीवनी एवं अजंता-एलोरा गुफाओं आदि के बारे में भी जानकारी दी जाायेगी।
उन्होंने बताया कि इसके लिये अकादमिक सहयोगी सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ इस संबंध में दो अप्रैल को एक पोर्टल शुरू किया जायेगा और इस बारे में हमने विदेश मंत्री से इसका लोकार्पण करने का आग्रह किया है।’’
आईसीसीआर के अध्यक्ष ने कहा कि भारत के विभिन्न संस्थानों द्वारा विदेशी भाषा में प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन इनमें मुख्य रूप में जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश, जापानी और चीनी भाषाओं को पढ़ाया जाता है ।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे करीबी एवं विस्तारित पड़ोस के कई देशों की भाषाओं के शिक्षण प्रशिक्षण के बारे में बहुत ज्यादा काम हमारे देश में नहीं हुआ है, इसे ध्यान में रखते हुए हमने इंडोनेशिया, म्यामां जैसे देशों की भाषा को बढ़ावा देने का विचार किया है।’’
उन्होंने बताया कि इस दिशा में विदेश भाषा संस्थान, हैदराबाद से सहयोग लिया जा रहा।
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