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Friday, 20 December, 2024
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दिल्ली दंगे में मारे गए आईबी अधिकारी अंकित के भाई ने कहा- नहीं पता था सीएए प्रदर्शन ले लेगा उसकी जान

मृतक आईबी अधिकारी अकंति का परिवार शोक में डूबा है. उनकी मां सुधा शर्मा ने कहा कि अगर पुलिस ने तत्परता दिखाई होती तो उनके बेटे की जान बच सकती थी. 

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नई दिल्ली: ‘मुझे नहीं पता था सीएए विरोधी प्रदर्शन इतने हिंसक हो जाएंगे कि मेरे भाई की जान चली जाएगी,’ आंखों मे हल्की नमी लिए ये बात सीएए हिंसा में जान गंवाने वाले इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा के बड़े भाई अंकुर शर्मा ने दिप्रिंट से कही.

दंगा प्रभावित राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिन की संभवत: सबसे सनसनीख़ेज ख़बर तब आई जब पता चला कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा का शरीर चांद बाग़ के इलाक़े में पाया गया है. पूर्वोत्तर दिल्ली के ख़जूरी ख़ास में रहने वाले शर्मा का पूरा परिवार इस घटना से सदमे में हैं.

उनकी मां सुधा शर्मा ने कहा, ‘हमने कई बार पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की. दसियों बार फ़ोन किए लेकिन सब बेकार गया.’ अंकित की मां का कहना है कि अगर पुलिस ने तत्परता दिखाई होती तो उनके बेटे की जान बच सकती थी.

अंकुर ने बताया कि अंकित ऑफ़िस से जब घर लौटे तो हिंसा हो रही थी. घर आकर उन्होंने कपड़े बदले और हालात का जायज़ा लेने पहुंचे. भाई की मानें तो इस दौरान दंगाई भीड़ ने अंकित वो अपनी ओर खींच लिया और उन्हें वहां से ले जाकर उनकी हत्या कर दी.


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परिवार का आरोप ये भी है कि इलाक़े के एक अल्पसंख्यक नेता ने दंगाईयों को अपना घर दे रखा था. अंकुर ने पूछा, ‘हम अब तक ये समझ नहीं पा रहे कि इस नेता ने दंगाईयों को अपना घर क्यों दे रखा था.’ परिवार ये जानना चाहता है कि मकान दंगाईयों के लिए खुला था या उस पर कब्ज़ा किया गया था.

ख़जूरी ख़ास के हिंदू बहुल इलाक़े का आरोप है कि मुस्लिम इलाक़ों से छतों से गोलियां चलाई जा रही थीं. यही आरोप मुस्लिम बहुलइ इलाक़े के लोगों का भी है. दोनों ही तरफ़ के लोगों का सवाल है कि इतनी बंदूकें आईं कहां से? अंकित के परिवार ने इसकी भी जानकारी दी कि हालांकि उनका इलाक़ा हिंदू बहुल है, लेकिन यहां लोग प्यार से रहते हैं.

यही मुस्लिम इलाक़े में रह रहे लोगों का भी कहना है. अपवाद को छोड़कर दोनों इलाक़ों के लोगों में एक बात की सहमति है कि हिंसा के लिए लोगों को बाहर से बुलाया गया था. ऐसी ही भीड़ की बातों के बीच अंकित का परिवार भी यही कह रहा है कि उनके भाई को भीड़ खींच ले गई और हत्या करके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया.

अंकुर ने ये भी बताया कि जब अंकित देर तक घर नहीं लौटे तो लोगों ने उन्हें अस्पतालों में भाई का पता लगाने की सलाह दी. इसके बाद परिवार वाले कश्मीरी गेट ट्रॉमा सेंटर गए. अंकुर ने कहा, ‘हम रात 11 बजे खजुरी थाने गए. उन्होंने हमारी शिकायत लिखने से ये कहकर मना कर दिया कि ये उनका इलाक़ा नहीं है.’ जिसके बाद वो दायलपुर गए.

दयालपुर में उन्हें बताया गया कि कंप्यूटर काम नहीं कर रहा है. इन्हीं बातों का हवाला देकर मामले में एफ़ाआईआर दर्ज नहीं की गई. इसके बाद परिवार वालों को जीटीबी हॉस्पिटल भेजा गया जहां मौजूद शरीरों में वो अपने लड़के को नहीं ढूंढ सके. इन सबके बाद परिवार वाले फिर रात 1.30 मिनट पर दायलपुर एफ़ाईआर दर्ज कराने गए.

अंकित के परिवार को बताया गया कि हिंसा में मारे गए लोगों का शरीर इलाक़े में फेंका गया है जिसके बाद उन्होंने बुधवार को सुबह 7 बजे से तलाश शुरू कर दी पर कुछ हासिल नहीं हुआ. इसके बाद पुलिस 10 बजे के करीब आई और अंकित का शरीर 11 बजे चांद बाग़ के पास नाले से मिला.

उनके भाई का अंदाज़ा है कि अंकित की हत्या करके उनके शरीर को आठ बजे नाले में डाल दिया गया होगा. परिवार को अब पोस्टमार्टम का इंतज़ार है.

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1 टिप्पणी

  1. दिल्ली की दंगा की जड़ मे विपक्ष का आधारहीन विरोध ।
    जो बिल संसद मे पास होकर कानून बना,उसका विरोध सडक पर क्यो?
    मै यदि42वा सशोधन को चुनौती दूँ तो?
    दिल्ली का दंगा प्रायोजित था,आप ने आधार बनाया,कोन्ग्रेस ने सुलगाया ,सुप्रिम कोर्ट ने माचिस लगाई,बीजेपी ने सबकुछ होने दिया,ताकि हिन्दू सबक ले 5 राज्यो मे हारने का।
    शान्ति।

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