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Monday, 18 November, 2024
होमदेशआईएएस, आईपीएस अधिकारियों ने कहा- वेतन कटौती अनावश्यक है, मनोबल पर चोट पहुंचेगी

आईएएस, आईपीएस अधिकारियों ने कहा- वेतन कटौती अनावश्यक है, मनोबल पर चोट पहुंचेगी

कोरोनावायरस के मद्देनज़र महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, ओडिशा और आंध्र ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और सरकार के कर्मचारियों के वेतन की कटौती घोषणा की है.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस महामारी के समय में राज्य सरकारों द्वारा वहां तैनात सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती का फैसला लिया गया है, जिससे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के बीच आक्रोश फैल गया है.

हालांकि, कुछ अधिकारियों ने निर्णय को ‘मात्र दिखावा’ के रूप में खारिज कर दिया है अन्य अधिकारियों ने कहा कि सिविल सेवक बहुत ज्यादा नहीं कमाते हैं, उन्होंने यह भी बताया कि कटौती स्वैच्छिक दान पीएम केयर फंड के लिए हुई थी.

महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने घोषणा की है कि सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ-साथ अधिकांश सरकारी कर्मचारियों को मार्च में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहायता करने के लिए 50-70 प्रतिशत कम वेतन मिलेगा.

महाराष्ट्र और तेलंगाना ने वेतन में कटौती की घोषणा की है, जबकि राजस्थान, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में निर्वाचित प्रतिनिधियों का 100 प्रतिशत वेतन स्थगन शामिल है, कुछ राज्यों ने छूट की घोषणा की है, जिनमें राजस्थान में पुलिस और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए और महाराष्ट्र में तृतीय श्रेणी से नीचे के कर्मचारी शामिल हैं.

सभी राज्यों ने कोरोनावायरस महामारी की वजह से वित्त पर हुए प्रभाव और धन जुटाने की आवश्यकता के लिए कटौती को सही ठहराया है. लेकिन कई आईएएस , आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों ने बताया दिप्रिंट को बताया कि यह तर्क सही नहीं है.

राजस्थान के एक आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘एक आईएएस अधिकारी का वेतन 2.5 लाख रुपये (एक महीने) से अधिक नहीं है, भले ही वे राज्य में सबसे वरिष्ठ स्तर पर हों, औसत वेतन 1.5-1.75 लाख रुपये है.

यहां तक ​​कि अगर राजस्थान जैसे राज्य में 250 अधिकारी हैं, तो आप वास्तव में कितना बचा रहे हैं? 5 करोड़? सभी आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के वेतन को जोड़ें और आप 10-12 करोड़ रुपये से अधिक की बात नहीं कर रहे हैं.

एक आईएएस एसोसिएशन के पदाधिकारी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने केंद्र सरकार और राज्यों दोनों में कर्मचारियों का गठन किया गया है.

अधिकारी ने कहा, ‘सेना, रेलवे और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, जिस पर सरकार अपने संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती है. लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन को विलंब से देना बेहतर होता. क्योंकि यह सिर्फ विलम्ब है, वेतन में कटौती नहीं है.

एक आईएफएस अधिकारी ने कहा यह मात्र दिखावा है. सरकार कोरोना की वजह से हजारों-हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है… 20 करोड़ रुपये की बचत करके भी वे कितना बदलने जा रहे हैं?

‘हमारा काम कई गुना बढ़ गया है’

अफसरों ने बताया कि कई एसोसिएशन पीएम के कोविड-19 फंड को हजारों और लाखों रुपये दान करने के लिए आगे आए थे, जिससे कटौती ‘अनावश्यक’ लग रही थी.

आईएफएस अधिकारी ने कहा ‘हमने खुद सामने आकर निधि के लिए एक दिन का वेतन या उससे अधिक का दान किया. अब हर कोई सोच रहा है कि इसका क्या मतलब है. क्या देश में वित्तीय आपातकाल है. जिसकी वजह से सरकारें इस तरह के उपायों को अपना रही हैं? अगर है, तो बताना चाहिए.

एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, जिन्हें सरकार ने फिर से नियुक्त किया है, ने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा कदम नहीं उठाया गया था. युद्धों या अन्य आपात स्थितियों के दौरान भी ऐसा कदम कभी नहीं उठाया गया था … लेकिन फिर, ऐसी स्थिति अभूतपूर्व है.’

यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विकास यादव ने दावा करते हुए कहा, ‘मुझे नहीं याद है कि सरकार ने पहले कभी ऐसा निर्णय लिया होगा लेकिन चूंकि सिविल सेवक सरकारी कर्मचारियों में सबसे विशेषाधिकार प्राप्त हैं, इसलिए इस समय में ऐसी स्थिति की जरुरत है.’

दिल्ली के एक आईपीएस अधिकारी ने कहा कि वेतन कटौती उस समय हुई थी जब बोर्ड भर में सरकारी कर्मचारी ‘बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं.’ अधिकारी ने कहा कि वे डर गए थे कि देश भर में अन्य राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें इसी तरह के कदम उठा सकती हैं.

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस को देखो … हमारा काम कोरोना प्रकोप के बाद कई गुना बढ़ गया है. फिर वेतन में कटौती क्यों की जा रही है? इस कठिन समय में काम करने वाले हजारों अधिकारियों और कर्मचारियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डालने के लिए बाध्य है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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11 टिप्पणी

  1. Most of the govt.employees donate self for the said corona peril and a huge population do such activities to spread this deadly infectious virus . Then how can employees help them . The govt. order such persons to bury them live or order Army to shoot them. The govt. always crush employee sector. This is not good at all.

  2. सरकार को उनके ऊपर दबाव नही डालनी चाहिए। प्रेम से मांगने पर तो हमारे देश लोग जान भी दे देंगे।

  3. प्रशासनिक अधिकारियों के दो हजार से अधिक स्टाफ के द्वारा अपने नियमित वित्तीय ब्यौरे नहीं दिए गए हैं सबसे पहले उनको इस दायरे में लाना होगा और राजनीतिक दलों के कारण भी अधिकारी दो गुटों में बंटे हुए हैं जो देश के लिए कहीं से भी उचित नहीं है और सरकार को आईएएस अधिकारियों या प्रशासनिक अधिकारियों के वेतन काटने के निर्णय के दो पहलू होंगे सबसे ज्यादा खराब स्थिति न्यायालय के योगदान की है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने33जज मात्र पचास पचास हजार रुपये दान किए हैं मात्र पन्द्रह लाख पचास हजार रुपए देश के कोरोना जैसे संकट के कारण उतपन्न आर्थिक समस्याओं के समय सुप्रीम कोर्ट के जजों के योगदान से ही पता चलता है कि वे देश में आर्थिक सहयोग की कितनी सोच रखते हैं और केंद्र सरकार को भी चाहिए था कि आय से अधिक संपत्ति के मामलों में जब्त की गई नगद राशि को इस समय कोरोना के कारण उतपन्न आर्थिक संकट में उपयोग करने के लिए विचार करे मजदूरों के लिए सिर्फ 500 रुपये की आर्थिक सहायता जनधन खातों में डाला जा रहा है जो बहुत ही कम है लेकिन बेहतर होता कि सभी कर्मचारी संघ के शीर्ष राष्ट्रीय प्रमुखों से चर्चा करते और उनकी सहमति और सुझावों के बाद निर्णय लेते तो सभी कर्मचारियों का निर्विवाद समर्थन मिलता देश की जरूरत के समय देश के सभी विभागों से सहयोग नहीं मिलता ऐसा नहीं है सरकार को कोई भी निर्णय लेने के समय सकारात्मक नकारात्मक दोनों पहलुओं का अध्ययन करके कोई निर्णय लेती तो शायद ढेरों खराब व असमर्थन की स्थिति निर्मित ही नहीं होती और वैचारिक मतभेद के कारण हमारे प्रधानमंत्री के कई अच्छे निर्णयों को भी राजनीतिक दलों द्वारा राजनीतिकरण का रंग दिया जाता है जो कहीं से भी उचित नहीं है ।क्योंकि यह देश के लिए सबसे कठिन घडी है और कई विभागों के कर्मचारियों को जान जोखिम में डालकर भी अपनी सेवा दे रहे हैं उनको सम्मानित करने के लिए विचार करना होगा ताकि मनोबल बढ़े । प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए यह कवायद नहीं कर रहे हैं और कोरोना जैसी गम्भीर संकट पहली बार अंतरास्ट्रीय समस्या बनकर आया है इसलिए इस पर राजनीतिकरण करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

  4. Agar desh ke Kam anewale ias ips Hai is samay desh KO Apke jarurat Hai ap desh madat kare Har Mahina milta rahega salary jiske pass Nahi Hai unke bareme soche krpya desh Ki madat kare sab ias our ips Apke jarurat Hai desh KO desh ke sath khade raho please sab Sarkari karmachari ias our ips bhi help kare

  5. IAS/IPS/IFS ki salary katna galat hai, isse manobal girega. Vaise bhi itni badi post hote hue bhi inking salary koi jyada nahi hai. Mere vichar se Minister or Neta logo ka one year ka payment katna chahiye.Aaj ke samay me inhi logo ke pas sabse jyada paisa hai.

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