नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना जगुआर विमानों के नवीनीकरण के फैसले को स्थगित करने के बारे में सोच रही है. इसका बड़ा कारण ये है कि जगुआर विमानों के नवीनीकरण में काफी खर्च होता है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार भारतीय वायु सेना जगुआर विमानों के बजाए सुखोई-30 की संख्या बढ़ाएगी.
रक्षा विभाग के उच्च सूत्रों के मुताबिक 1980 के रॉल्स राएस 811 इंजन की क्षमता में लगातार गिरावट आ रही है. जिसके कारण जगुआर अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर पा रहा है.
भारतीय वायु सेना ने जगुआर विमानों के इंजन में सुधार के लिए यूएस की हनीवेल्स एफ125 इन इंजन को चुना था. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक जगुआर विमानों के नवीनीकरण का काम काफी अटपटा है और इसमें खर्च भी ज्यादा होगा.
हनीवेल और एचएएल ने जो इंजन के नवीनीकरण का खर्च बताया है वो काफी ज्यादा है. सूत्रों के मुताबिक दो विमानों के नवीनीकरण में जितना पैसा खर्च होगा उतने में एक राफेल विमान आ जाएगा.
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वर्तमान में भारतीय वायु सेना जगुआर के 6 स्कावड्रन का संचालन करती है. वायु सेना में अभी 5 स्कावड्रन पूरी तरह से काम कर रहा है, जबकि एक स्कावड्रन अधूरा है.
इलेक्ट्रिक नवीनीकरण मददगार साबित नहीं हो रही है
जगुआर विमानों में वैमानिक नवीनीकरण चल रहा है, जिसके तहत डेरिन-1 से डेरिन-3 में बदलाव होना है. लेकिन ये योजना अपने निर्धारित समय से 7 साल पीछे चल रही है.
सूत्रों के अनुसार डेरिन-3 इलेक्ट्रिक तकनीक पर ज़ोर देता है. लेकिन जगुआर विमानों के इंजन में ही काफी दिक्कते हैं. विमान क्षमता के अनुसार काम नहीं कर पा रहा है और भार भी नहीं उठा पा रहा है.
वायु सेना के पायलट मजाक के लहजे में आपस में कहते हैं कि अगर जगुआर का एक इंजन काम करना बंद कर दें तो दूसरा इंजन भी काम करना बंद कर देता है और क्रैश होने का खतरा बढ़ जाता है.
ज्यादा सुखोई विमानों की जरूरत
सूत्रों का कहना है कि सुखोई विमान खरीदने से वायु सेना की मांग पूरी हो जाएगी. सूत्रों का कहना है कि एक सुखोई विमान दो जगुआर विमानों के समान है.
अगर विमानों के इंजन में खराबी आती रही तो हम अपने विमानों के बेड़ों को पूरा नहीं कर पाएंगे. ऐसे में हमारी स्कावड्रन क्षमता पाकिस्तान से भी क कमज़ोर हो जाएगी. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 25 स्कावड्रन में से कई सारे स्कावड्रन में पुराने मिग विमान शामिल है.
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