नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि वे राजनीति नहीं छोड़ेंगे और नया सियासी दल बनाने का विकल्प उनके लिए हमेशा खुला है.
सोरेन ने कहा कि वे “झामुमो नेताओं के हाथों अपमान का सामना करने” के बाद अपनी योजनाओं पर अडिग हैं.
पार्टी के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि उन्होंने अपना पूरा जीवन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को समर्पित किया है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता ने मंगलवार आधी रात के बाद सरायकेला-खरसावां जिले में अपने पैतृक गांव झिलिंगोरा पहुंचने के तुरंत बाद कहा, “यह मेरे जीवन का नया अध्याय है. मैं राजनीति नहीं छोड़ूंगा, क्योंकि मुझे अपने समर्थकों से बहुत प्यार और समर्थन मिला है. अध्याय समाप्त हो गया है, मैं एक नया संगठन बना सकता हूं.”
सोरेन (67) को 1990 के दशक में पृथक राज्य बनाने की लड़ाई में उनके योगदान के लिए “झारखंड का टाइगर” उपनाम दिया गया था.
झारखंड को 2000 में बिहार के दक्षिणी भाग से अलग करके बनाया गया था.
चंपई सोरेन ने कहा, “झामुमो से किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया है. यह झारखंड की धरती है…मैंने छात्र जीवन से ही संघर्ष किया है. मैंने पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के नेतृत्व में अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन में हिस्सा लिया था.”
झामुमो नेता ने कहा कि अगर उन्हें समान विचारधारा वाला संगठन मिलता है तो वह किसी भी संगठन से हाथ मिला सकते हैं.
उन्होंने 18 अगस्त को एक्स पर की गई अपनी पोस्ट का हवाला देते हुए कहा, “मैंने वही पोस्ट किया जो मुझे उचित लगा. पूरा देश जानता है कि मैंने क्या सोचा.”
भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच वरिष्ठ नेता ने कहा था कि मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें “घोर अपमान” का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें वैकल्पिक रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ा.
चंपई सोरेन ने कहा था, “इतने अपमान के बाद, मुझे वैकल्पिक रास्ता तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा.”
उन्होंने आरोप लगाया कि जुलाई के पहले सप्ताह में उनके सभी सरकारी कार्यक्रम पार्टी नेतृत्व द्वारा उनकी जानकारी के बिना अचानक रद्द कर दिए गए थे.
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