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शनिवार, 17 मई, 2025
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जेयू दीक्षांत समारोह आयोजित करने के कारण मुझे पद से हटा दिया गया: पूर्व कुलपति भास्कर गुप्ता

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(सौगत मुखोपाध्याय)

कोलकाता, दो अप्रैल (भाषा) यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के अंतरिम कुलपति के पद से कुछ दिन पहले हटाये गए प्रोफेसर भास्कर गुप्ता ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस के फैसले में “दोनों तरह के नैतिक और कानूनी आधार की कमी है।’’

गुप्ता ने यह भी दावा किया कि पिछले वर्ष दिसंबर में विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह आयोजित करने में कोई प्रक्रियागत चूक नहीं हुई थी, जिस पर राजभवन ने नियमों के उल्लंघन के आधार पर आपत्ति जतायी थी।

गुप्ता सोमवार को जेयू के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हो गए, उससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने उन्हें अंतरिम कुलपति के पद से हटा दिया था। राज्यपाल सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति भी हैं। प्रोफेसर गुप्ता को उनकी निर्धारित सेवानिवृत्ति से केवल चार दिन पहले ही पद से हटा दिया गया था।

गुप्ता को हटाने के दो दिन बाद 29 मार्च को राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह का खर्च उन्हें अपनी जेब से वापस करने का निर्देश भी दिया। इस निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले पर तभी विचार करेंगे जब आदेश “उचित माध्यम” अर्थात राज्य शिक्षा विभाग से आएगा।

गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘दीक्षांत समारोह का आयोजन सभी नियमों का पालन करते हुए, छात्रों के सर्वोत्तम हितों और विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा को ध्यान में रखते हुए किया गया। इसके लिए राज्य के बजट में आवश्यक मंजूरी दी गई थी और खर्च पूरी तरह से सरकारी मंजूरी के आधार पर किए गए थे। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया और मुझे इसके लिए जरा भी खेद नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह से संबंधित सभी प्रस्ताव विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय कार्यकारी परिषद में सर्वसम्मति से पारित किए गए थे और इसके खर्चों को संस्थान की वित्त समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी।

गुप्ता ने कहा, ‘‘उन बैठकों में कुलाधिपति के नामित व्यक्ति ने भाग लिया था और उन्होंने उस समय निर्णयों पर कोई आपत्ति नहीं जतायी थी।’’

राजभवन ने कहा था, ‘‘पिछले साल 24 दिसंबर को कई नियमों का उल्लंघन करते हुए दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था और यह अवैध था। इसे बिना किसी आधिकारिक अनुमति के आयोजित किया गया था।’’

हटाये गए अंतरिम कुलपति ने कहा कि राज्यपाल ने उनकी बर्खास्तगी के लिए कोई औपचारिक कारण नहीं बताया। उन्होंने कहा, ‘‘कुलाधिपति के कार्यालय से मुझे जो कारण बताओ पत्र मिला वह हास्यास्पद था और इसका कोई कानूनी आधार नहीं था।’’

पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय (कुलपति की सेवा की शर्तें और नियम तथा आधिकारिक संचार की प्रक्रिया) नियम, 2019 का हवाला देते हुए गुप्ता ने कहा कि कानून में यह प्रावधान है कि ‘कुलाधिपति से संवाद करने के लिए कुलपति को शिक्षा विभाग के माध्यम से पत्र लिखना होगा।’’

उन्होंने दलील देते हुए कहा, ‘‘मैं सीधे तौर पर उन्हें जवाब नहीं दे सकता था।’’ उन्होंने कहा कि पद से हटाने के फैसले में ‘‘नैतिक और कानूनी दोनों तरह की कमी थी।’’

गुप्ता ने कहा कि पद से हटाये जाने के बाद सहकर्मियों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के छात्रों से मिले समर्थन से वह अभिभूत हैं।

राज्यपाल कार्यालय के एक अधिकारी ने इस सप्ताह की शुरुआत में ‘पीटीआई-भाषा’ को स्पष्ट किया था, ‘‘गुप्ता को हटाने के पीछे कई कारण हैं। वह यादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में हिंसा को रोकने में विफल रहे और फिर कुलाधिपति के निर्देशों का पालन करने में बार-बार विफल रहे। उन्हें कुलाधिपति द्वारा (इस महीने की शुरुआत में) बुलाई गई कुलपतियों की आपातकालीन बैठक में भाग लेने के लिए बुलाया गया था। लेकिन वह न तो उपस्थित हुए और न ही अपनी अनुपस्थिति के लिए कोई उचित जवाब दिया।’’

हालांकि, गुप्ता ने आरोपों को ‘कमजोर बहाने’ के रूप में खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई ‘‘कुलाधिपति की आपत्ति के बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह आयोजित करने का नतीजा है।’’

भाषा अमित देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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