नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि वह 75 साल की उम्र में पद छोड़ देंगे या किसी को इस आयु में संन्यास ले लेना चाहिए।
भागवत की इस टिप्पणी ने नेताओं के संन्यास लेने संबंधी उनकी हालिया टिप्पणी पर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में देखा जा रहा था। मोदी और भागवत, दोनों अगले महीने 75 वर्ष के हो जाएंगे।
आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम जीवन में किसी भी समय पद छोड़ने को तैयार हैं और जब तक संघ चाहे, तब तक कार्य करने को तैयार हैं।’’
75 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति या संन्यास के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि उन्होंने हाल में नागपुर में दिवंगत आरएसएस नेता मोरोपंत पिंगले की विनोदप्रियता पर प्रकाश डालते हुए उनका उद्धरण दिया था।
भागवत ने कहा, ‘‘वह इतने हास्य-विनोदी थे कि उनकी हाजिरजवाबी सुनकर आप अपनी कुर्सी पर उछल पड़ते थे… एक बार हमारे कार्यक्रम में, हम सभी अखिल भारतीय कार्यकर्ता थे और उन्होंने (पिंगले) अपने 70 वर्ष पूरे कर लिए थे। इसलिए उन्हें एक शॉल प्रदान किया गया और कुछ कहने को कहा गया… उन्होंने खड़े होकर कहा, ‘आप सोच रहे होंगे कि आपने मुझे सम्मानित किया है, लेकिन मैं जानता हूं कि जब यह शॉल दिया जाता है तो इसका मतलब है कि आप शांति से कुर्सी पर बैठें और देखें कि क्या हो रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं कहा कि मैं पद छोड़ दूंगा या किसी और को संन्यास ले लेना चाहिए।’’
संघ प्रमुख ने कहा कि उनके संगठन में स्वयंसेवक को कार्य सौंपा जाता है, भले ही वे चाहें या ना चाहें।
उन्होंने कहा, ‘‘संघ हमें जो कहता है, हम करते हैं।’’
भाषा वैभव माधव
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