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मंगलवार, 29 अप्रैल, 2025
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मैं रॉकेट को अपने बच्चों की तरह देखता हूं: इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ

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हैदराबाद, 15 जुलाई (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रॉकेट के प्रति अपने गहरे प्यार और जुड़ाव को व्यक्त करते हुए कहा कि वह प्रक्षेपण यानों को अपने बच्चों की तरह देखते हैं।

सोमनाथ ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को चंद्रयान-3 के प्रथम चरण के प्रक्षेपण के दौरान बहुत आनंद आया, यान से जुड़े पूरे डेटा को देखा और रॉकेट की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध रह गया।

भारत ने शुक्रवार को यहां एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया। इस अभियान के तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का एक बार फिर प्रयास करेगा, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई है।

इसरो ने कहा है कि उसने 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सॉफ्ट-लैंडिंग करने की योजना बनाई है। चंद्रयान-2 तब ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में विफल हो गया था, जब इसका लैंडर ‘विक्रम’ सात सितंबर, 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करते समय ब्रेकिंग प्रणाली में गड़बड़ी के कारण चंद्रमा की सतह पर गिर गया था।

सोमनाथ ने पड़ोस के संगारेड्डी जिले में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), हैदराबाद के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में मुझे रॉकेट से प्यार है। मैं रॉकेट को अपने बच्चों की तरह देखता हूं। मैं उसके सृजन, उसके विकास, उसके विकास में आने वाली समस्याओं और उसकी भावनाओं को देखता हूं तथा इसकी यांत्रिकी एवं गतिविधि एवं इसके जीवन की गहरी समझ विकसित करता हूं।’’

उन्होंने पिछले चंद्रयान-2 प्रक्षेपण का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें लगभग 2,000 माप थे जो ग्राफ और वक्रों के रूप में समन्वित थे।

उन्होंने कहा कि इसरो हजारों मापों को वक्रों और अध्ययन मॉडलों में परिवर्तित करता है और इसके प्रदर्शन के बारे में जानकारी देता है।

सोमनाथ ने अंतरिक्ष में मानव को अंतरिक्ष में भेजने पर कहा कि हर कोई उनसे पूछता है कि मानव को क्यों अंतरिक्ष में जाकर ग्रहों का पता लगाना चाहिए और रोबोट यह काम क्यों नहीं कर सकते?

उन्होंने कहा कि एक दिक्कत यह है कि रोबोट में संवेदना की अनुभूति और भावनाओं का अभाव होता है जो अनुभवों और इनकी मदद से निर्णय लेने की प्रक्रिया से उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि यह अंतर जल्द ही समाप्त हो जाएगा।’’

सोमनाथ ने कहा कि यदि बाहरी इलेक्ट्रॉनिक सेंसर का मानव तंत्रिका तंत्र में विद्युत द्वारा विलय करने, देखे और महसूस किए गए संकेतों को प्राप्त करने और संसाधित करने का कोई तरीका हो, तो मानव जाति, (मनुष्य) जीवन के साथ मशीन के एकीकरण के एक कदम करीब होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम विचार से उत्पन्न विद्युत संकेत के साथ प्रणालियों को सक्रिय कर सकते हैं और फिर बाहरी यांत्रिक और विद्युत उपकरणों को सक्रिय कर सकते हैं? तो आप वास्तव में अपनी विचार प्रक्रियाओं से एक रोबोट या मशीन को नियंत्रित कर सकते हैं।’’

सोमनाथ ने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए रोबोट के सभी सेंसर को किसी न किसी रूप में मानव के साथ एकीकृत किया जा सकेगा ताकि यह समझा जा सके कि रोबोट क्या महसूस करता है और इस प्रकार दूरस्थ अनुभूति क्षमता प्राप्त की जा सकती है। तो, आप वास्तव में अपनी एक प्रतिकृति बना रहे हैं। ऐसे में मनुष्यों के लिए कहीं यात्रा करना जरूरी नहीं होगा यानी आप अपने कमरे में बैठे-बैठे बाहरी अंतरिक्ष एवं अन्य सभी ग्रहों सहित दुनिया का अनुभव कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मानव शरीर एक दिन मानव मस्तिष्क के साथ विद्युत सेंसर और उपकरणों की एक एकीकृत प्रणाली में विकसित होगा। इसलिए, किसी और मानव भौतिक शरीर की आवश्यकता नहीं होगी।’’

सोमनाथ ने कहा कि जब इसरो मानव अंतरिक्ष के लिए प्रक्षेपण करता है, तो उन्हें उड़ान की चरम परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए चयापचय और मानव शरीर का अध्ययन करने के लिए चिकित्सकों की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम वर्तमान में उनका मूल्यांकन करने के लिए एक परीक्षण सेट-अप विकसित और डिजाइन कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि भौतिक विज्ञान, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, क्वांटम प्रौद्योगिकियों, डेटा विज्ञान, एआई और एमएल, जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास मनुष्य के जीवन को आज से कहीं बेहतर बनाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की ताकत का उपयोग गरीबी, कुपोषण, राष्ट्र की सुरक्षा, सभी के लिए शिक्षा और नौकरी आदि की चुनौतीपूर्ण समस्याओं को हल करने का समाधान है।

इस मौके पर आईआईटी हैदराबाद संचालन मंडल के अध्यक्ष बी वी आर मोहन रेड्डी और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी एस मूर्ति समेत कई गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में मौजूद थे।

भाषा सिम्मी सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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