(तस्वीर के साथ)
(बेदिका)
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) लोकप्रिय गायक-गीतकार अली कैंपबेल का कहना है कि वह प्रतिष्ठित पार्श्व गायिका लता मंगेशकर और आशा भोंसले के गाने सुन-सुनकर बड़े हुए हैं, क्योंकि ब्रिटिश शहर बर्मिंघम के कैफे में अक्सर हिंदी संगीत बजाया जाता है।
इस साल के अंत में भारत दौरे पर आने वाले कैंपबेल ने कहा कि बर्मिंघम में ज्यादातर जमैका, वेस्ट इंडीज, भारत और पाकिस्तान के प्रवासी हैं और जब वह छोटे थे तो हिंदी संगीत और रेगे (जमेकाई संगीत) बहुत लोकप्रिय थे।
लोकप्रिय ब्रिटिश रेगे-पॉप बैंड ‘यूबी40’ के पूर्व अग्रणी गायक ने फोन पर एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “यह उस तरह का सांस्कृतिक मिश्रण है, जिसमें पलकर मैं बड़ा हुआ हूं।”
संगीतकार कैंपबेल यूबी40 के साथ अपने ‘द गोल्डीज’ टूर के हिस्से के रूप में 25 अक्टूबर को दिल्ली, 27 अक्टूबर को मुंबई और 28 अक्टूबर को बेंगलुरु में संगीत कार्यक्रम आयोजित करने वाले हैं। अली ने 2008 में यूबी40 समूह के प्रबंधन के साथ विवाद होने के बाद इस समूह को छोड़कर यह नया बैंड बनाया था।
उन्होंने कहा, “मैं बर्मिंघम जैसे प्रवासी क्षेत्र में पला-बढ़ा हूं जहां मुख्य रूप से जमैका, वेस्ट इंडियन, भारतीय और पाकिस्तानी रहते हैं। मुझे याद है कि मैंने बचपन में ‘मदर इंडिया’ और ‘प्यासा’ जैसी पुरानी भारतीय फिल्में देखी थी। हम लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी और अन्य बेहतरीन भारतीय गायकों को सुनने के आदी थे, क्योंकि ये गाने उन कैफे में ज्यूकबॉक्स पर बजते थे, जहां हमने अपनी युवावस्था बिताई थी।”
पंजाब से ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों के साथ, भारत के उत्तरी राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य भांगड़ा भी 90 के दशक में बड़े पैमाने पर लोकप्रिय हुआ, यहां तक कि कैंपबेल ने “भांगड़ामफिन” शैली में एक टी-शर्ट भी बनवाई ठीक उसी तर्ज पर जैसे “रेगेमफिन” टी-शर्ट को रेगे प्रशंसकों द्वारा लोकप्रिय बनाया गया।
कैंपबेल 90 के दशक में बॉलीवुड संगीत पुरस्कार समारोह के लिए पहले भी भारत आ चुके हैं। अपने आगामी तीन शहरों के दौरे के माध्यम से, उन्हें एक बार फिर देश का रंग देखने की उम्मीद है।
गायक ने कहा, “मैं चाहता हूं कि मैंने भारत में जो देखा उसका मिलाजुला संस्करण हर कोई देखे। मुझे यकीन है और उम्मीद है कि हम 2024 में अपने विश्व दौरे के लिए भारत वापस आएंगे।”
गायक – “रेड रेड वाइन”, “किंग्स्टन टाउन” और “ब्रिंग मी योर कप” जैसे गानों के लिए जाने जाते हैं।
भाषा प्रशांत सुरेश
सुरेश
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