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Monday, 3 November, 2025
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जब मेरी कोशिशों को मान्यता नहीं मिली तो मुझे बुरा लगा: शाहरुख खान

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नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नहीं मिलने का मलाल था, लेकिन वह इस बात के लिए आभारी हैं कि उन्हें ‘जवान’ में उनके अभिनय के लिए आखिरकार यह सम्मान प्रदान किया गया।

शाहरुख को इस साल उनके करियर के पहले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने ‘जवान’ में अपने दमदार अभिनय के लिए 2023 का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विक्रांत मेसी के साथ साझा किया। विक्रांत को ‘12वीं फेल’ में उनके शानदार अभिनय के लिए यह पुरस्कार दिया गया।

रविवार को अपने 60वें जन्मदिन पर प्रशंसकों से बातचीत में शाहरुख ने कहा कि उन्हें अवॉर्ड हासिल करके बहुत अच्छा लगता है और कई मौकों पर जब उन्हें नजरअंदाज किया जाता है, तो उन्हें बहुत बुरा महसूस होता है।

शाहरुख ने कहा, “10-15 साल पहले बुरा भी लगता था कि मुझे नहीं मिला। क्योंकि मुझे तो ऐसा लगता है कि मैं हर बार अच्छी एक्टिंग करता हूं।”

उन्होंने कहा, “मैं बहुत मेहनत करता हूं, लेकिन कभी-कभी मुझे बुरा लगा कि मेरी कोशिशों को मान्यता नहीं दी गई। सच कहूं तो, रचनात्मक कार्य को मान्यता दिए जाने की जरूरत होती है, क्योंकि इसे आंकने का कोई और तरीका नहीं है। रंगमंच पर जब हम अभिनय करते थे, तो लोग तालियां बजाकर हमारे काम को मान्यता देते थे।”

शाहरुख ने कहा कि लगभग एक दशक पहले उन्होंने फैसला किया कि वह पुरस्कारों के बजाय प्रशंसकों के प्यार के रूप में मान्यता हासिल करना चाहेंगे।

उन्होंने कहा, “मैंने तय किया कि मुझे कोई पुरस्कार मिले या न मिले, मैं अपने चाहने वालों से मिलता रहूंगा, जो मुझे सबसे ज्यादा संतुष्टि देता है। मुझे पता है कि यह हमेशा संभव नहीं होता।”

शाहरुख ने कहा, “पहले मैं हर जगह प्रशंसकों से मिलता था-मॉल से लेकर सड़कों, ट्रक, हवाई जहाजों और कार्यक्रमों तक में। लेकिन अब मैंने यह कम कर दिया है और मैं मुख्य रूप से अपनी फिल्मों पर ध्यान केंद्रित करता हूं। हालांकि, मेरे लिए प्रशंसकों के साथ बिताया गए पल ही मेरे हर काम को मान्यता हैं। सभी पुरस्कार एक तरफ और प्रशंसकों के साथ बिताए गए पल एक तरफ।”

हालांकि, अभिनेता ने माना कि पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने कहा, “मैं उन सभी लोगों का बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझे इस पुरस्कार के लिए चुना। मेरे मित्र आशुतोष गोवारिकर चयन समिति में थे। आशुतोष को लगता था कि मैं उनकी फिल्म (स्वदेस) के लिए भी इसका हकदार था।”

भाषा पारुल धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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