scorecardresearch
Wednesday, 24 April, 2024
होमदेश'भारत में भूखे सोने वाले 19 से बढ़कर 35 करोड़ हुए', केंद्र ने आंकड़ा देने के लिए SC से मांगा समय

‘भारत में भूखे सोने वाले 19 से बढ़कर 35 करोड़ हुए’, केंद्र ने आंकड़ा देने के लिए SC से मांगा समय

पीठ पूरे देश में सामुदायिक रसोई स्थापित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जब यह जवाब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से भूख से संबंधित सभी डेटा इकट्ठा करने के लिए समय मांगा क्योंकि सरकार को राज्य सरकारों से भुखमरी से होने वाली मौतों की घटनाओं से संबंधित सामग्री पाने के लिए वक्त चाहिए.

केंद्र की तरफ से पेश हुए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि भुखमरी से होने वाली मौतों की घटनाओं के संबंध में सभी राज्य सरकारों से विवरण मांगा जा रहा है. एएसजी माधवी दीवान ने सामग्री को जुटाने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा है.

इसके बाद जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने मामले को 3 नवंबर 2022 को सूचीबद्ध कर दिया है.

पीठ पूरे देश में सामुदायिक रसोई स्थापित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

यह याचिका अनु धवन नाम के एक व्यक्ति ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर की थी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशिमा मंडला, मंदाकिनी सिंह, फुजैल अहमद अय्यूबी, इबाद मुश्ताक, एसएम अहमद पेश हुए.

याचिकाकर्ता के वकील, एडवोकेट आशिमा मंडला ने कोर्ट को अवगत कराया कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भूखे सोने वाले भारतीयों की संख्या 2018 में 19 करोड़ से बढ़कर 2022 में 35 करोड़ हो गई है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा नीतियां जैसे मध्याह्न भोजन योजना, आईसीडीएस और अन्य केवल एक सीमित वर्ग की आबादी जैसे कि 14 वर्ष तक के बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भोजन प्रदान करती हैं और आम जनता के लिए इसलिए पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने की कोई योजना नहीं है.

अदालत ने इस साल 18 जनवरी को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें भुखमरी से होने वाली मौतों, यदि कोई कुपोषण का शिकार हो, की जानकारी दी जाए.


यह भी पढ़ें: कर्नाटक में तेजी से गिरा सेक्स रेश्यो, विशेषज्ञ बोले- आंकड़ों में छिपे हैं कई मायने


 

share & View comments