जयपुर, 19 जुलाई (भाषा) राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव शर्मा ने मानव तस्करी को गंभीर समस्या बताते हुए शनिवार को कहा कि इससे निपटने के प्रयासों में सुधार की आवश्यकता है।
डीजीपी ने राजस्थान पुलिस की मानव तस्करी विरोधी इकाई (एएचटीयू) द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय राज्य-स्तरीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
डीजीपी शर्मा ने मानव तस्करी की वैश्विक और स्थानीय चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘तस्करी अपने सभी प्रारूपों में एक गंभीर समस्या है, न केवल यहां, बल्कि पूरी दुनिया में। यह समस्या बहुत बड़ी है, लेकिन हमारी प्रतिक्रिया अभी भी कम पड़ रही है। हमें अपने प्रयासों में महत्वपूर्ण सुधार करने की आवश्यकता है।’’
आधिकारिक बयान के अनुसार डीजीपी शर्मा ने बचाव अभियानों के बाद बच्चों के फिर से तस्करी की स्थितियों में लौटने पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने विशेष रूप से अंतरराज्यीय तस्करी से निपटने के लिए एक अंतरराज्यीय सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।
डीजीपी शर्मा ने संगठित अपराधों, विशेषकर तस्करी के मामलों में गहन जांच की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि क्या हम असली अपराधियों की पहचान कर रहे हैं या केवल बचाव के दौरान मौके पर पाए गए कुछ व्यक्तियों पर ही आरोप लगा रहे हैं।
उन्होंने मजबूत मामले बनाने और अदालतों में सफल अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए गहन जांच को आवश्यक बताया।
पुलिस महानिदेशक (एएचटीयू) मालिनी अग्रवाल ने बताया कि यह सम्मेलन गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप राजस्थान पुलिस की मानव अधिकार एवं मानव तस्करी विरोधी शाखा के नेतृत्व में आयोजित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी के उभरते रुझानों को समझना, जांच के तरीकों में सुधार करना, पीड़ितों की पहचान और बचाव, बचे हुए लोगों का प्रभावी पुनर्वास, और तस्करों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई लागू करना था।
अग्रवाल ने मानव तस्करी को व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला एक गंभीर, संगठित और संज्ञेय अपराध बताया।
पुलिस महानिदेशक (खुफिया विभाग) संजय अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि तस्करी सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि अक्सर छोटे कस्बों और गांवों से शुरू होती है।
उन्होंने सड़कों पर भीख मांगने वाले या सामान बेचने वाले बच्चों की पृष्ठभूमि की जांच करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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पृथ्वी, रवि कांत
रवि कांत
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