मुंबई, 10 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने एक महिला द्वारा उसके ससुराल वालों के खिलाफ की गई शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि मानव दांतों को ऐसा खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता है, जिससे गंभीर नुकसान की संभावना हो।
महिला ने अपनी शिकायत में ससुराल पक्ष की अपनी एक रिश्तेदार पर उसे दांतों से काटने का आरोप लगाया था।
उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ की न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति संजय देशमुख ने 4 अप्रैल को अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के चिकित्सा प्रमाणपत्र से पता चलता है कि दांतों के निशान से उसे केवल मामूली चोट लगी।
महिला की शिकायत पर अप्रैल 2020 में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, हाथापाई के दौरान उसे ससुराल पक्ष की एक रिश्तेदार ने काट लिया और इस तरह उसे खतरनाक हथियार से नुकसान पहुंचा।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत खतरनाक हथियारों से नुकसान पहुंचाने और चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘मानव दांतों को खतरनाक हथियार नहीं कहा जा सकता।’’
उसने आरोपियों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और प्राथमिकी को खारिज कर दिया।
भारतीय दंड संहिता की धारा 324 (खतरनाक हथियार का उपयोग करके चोट पहुंचाना) के तहत, चोट किसी ऐसे उपकरण से लगी होनी चाहिए जिससे मृत्यु या गंभीर नुकसान होने की आशंका हो।
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता के चिकित्सा प्रमाण पत्र से पता चलता है कि दांतों से केवल साधारण चोट लगी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि जब धारा 324 के तहत अपराध नहीं बनता है, तो अभियुक्त को मुकदमे का सामना कराना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करना होगा। अदालत ने प्राथमिकी को रद्द कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त और शिकायतकर्ता के बीच संपत्ति का विवाद प्रतीत होता है।
भाषा वैभव नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.