नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील अरावली पर्वत शृंखला में आने वाले गांवों में खतरनाक कचरे को खुले में जलाए जाने के आरोपों के सिलसिले में तथ्यों का पता लगाने और इसके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी ने 30 मई को उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया, जिसमें नूंह जिले के खोरी कलां और खोरी खुर्द गांव में खतरनाक कचरे को अवैध रूप से खुले में जलाने का आरोप लगाया गया है। इस आदेश की प्रति दो जून को उपलब्ध कराई गई।
याचिका में दावा किया गया था कि इन गांवों में अनधिकृत कबाड़ प्रसंस्करण, ‘ड्रम-रिसाइक्लिंग’ और ‘टायर पायरोलिसिस’ इकाइयां खुलेआम अपशिष्ट पदार्थ जलाती हैं, जिससे खतरनाक धुआं निकलता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य, भूजल, कृषि भूमि एवं अरावली की नाजुक पारिस्थितिकी प्रभावित होती है।
एनजीटी अध्यक्ष प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि उल्लंघन करने वाली किसी भी इकाई को पक्ष नहीं बनाया गया है और सही तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने के लिए जमीनी सर्वेक्षण जरूरी है।
पीठ ने कहा, “अग्रिम सूचना पर उपस्थित एचएसपीसीबी के वकील ने कहा है कि अगर याचिकाकर्ता पूर्ण विवरण के साथ विस्तृत शिकायत करता है, तो बोर्ड जमीनी स्तर पर सही स्थिति का पता लगाएगा और उचित उपचारात्मक कार्रवाई करेगा।”
एनजीटी ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता को बोर्ड के सदस्य सचिव के समक्ष सभी सहायक सामग्री के साथ एक विस्तृत एवं व्यापक अभ्यावेदन दाखिल करने का निर्देश दिया।
अधिकरण ने कहा कि सामग्री मिलने पर अधिकारी जमीनी स्तर पर सही स्थिति का पता लगाएंगे, उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करेंगे और उचित सुधारात्मक एवं दंडात्मक कार्रवाई करेंगे।
भाषा पारुल माधव
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