नई दिल्ली: कोरोनावायरस महामारी से प्रभावित हुए विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ‘स्टे इन इंडिया और स्टडी इन इंडिया ‘ का नया नारा दिया है. इसे साकार बनाने के लिए एक कमेटी बनाई गई है जिसे 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी है.
‘स्टडी इन इंडिया‘ एचआरडी मंत्रालय का एक प्रोग्राम है. मंत्रालय ने शुक्रवार को हुई एक बैठक में ‘स्टे इन इंडिया’ को ‘स्टडी इन इंडिया’ के साथ ऐसे भारतीय छात्रों के लिए जोड़ा है जो या तो विदेश में पढ़ रहे हैं या विदेश में पढ़ाई की तैयारी कर रहे हैं.
इसे लेकर बनाई कमेटी के प्रमुख विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन डीपी सिंह होंगे.
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विदेशी छात्रों के लिए रास्ते तलाशेगी कमेटी
कमेटी को ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों को भारत में रोकने को लेकर दिशानिर्देश तैयार करना है. साथ ही अच्छे विश्वविद्यालयों में छात्रों की संख्या को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसके बारे में भी बताना है.
मल्टी डिसिप्लिनरी और इनोवेटिव प्रोग्राम शुरू करने के रास्ते तलाशने का काम भी कमेटी करेगी.
इन प्रयासों के तहत ट्विनिंग और ज़्वाइंट डिग्री प्रोग्राम, क्रॉस कंट्री डिज़ाइनिंग सेंटर, विदेश के मशहूर शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन लेक्चर, अकादमिक और व्यापार जगत को लिंक करने, ज़्वाइट डिग्री वेंचर शुरू करने और भारतीय उच्च संस्थानों में लैटरल एंट्री देने पर भी गौर किया जाएगा.
एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे तकनीकी संस्थानों से जुड़े मुद्दों पर काम करेंगे.
आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी, काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की अलग से सब कमेटी बनाई जाएगी. ये कमेटियां यूजीसी और एआईसीटीई के चेयरमैन की सहायता करेंगी.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के चेयरमैन और सीबीएसई के चेयरमैन से भी शिक्षा जगत में उनके अनुभव के आधार पर सलाह ली जा सकती है.
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‘छात्र विदेश क्यों जाते हैं, इसे समझना जरूरी’
बैठक में शामिल एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, ‘कोविड से पैदा हुई स्थिति की वजह से विदेश में पढ़ाई करने की चाह रखने वाले कई छात्रों ने भारत में रहने का फैसला लिया है.’
उन्होंने कहा, ‘कई ऐसे छात्र जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं वो भारत आना चाहते हैं. मंत्रालय को दोनों ही तरह के छात्रों को ध्यान में रखकर उनकी ज़रूरतों को पूरा करने की तमाम कोशिशें करनी चाहिए.’
विदेश जाने की चाह रखने वाले छात्रों को ध्यान में रखकर बैठक में फैसले लिए गए ताकि उन्हें भारत में ही रोका जा सके. इसके लिए मंत्रालय उन्हें भारत के सर्वोत्तम संस्थानों में पढ़ाई का मौका देने की तैयारी करने वाला है.
वहीं, विदेश में पढ़ रहे ऐसे छात्र जो भारत लौटना चाहते हैं उन्हें उनका प्रोग्राम पूरा करने में मदद करने की भी तैयारी की जा रही है.
शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा, ‘हमें इसके जड़ को समझने की ज़रूरत है कि छात्र विदेश क्यों जा रहे हैं. इसी से इसका हल निकलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘भारतीय संस्थान में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाना चाहिए ताकि छात्र भारत में ही रहें.’
मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने इस पर ज़ोर दिया कि स्टडी इन इंडिया के तहत विदेशी छात्रों को आर्कषित करने के लिए प्रयास तेज़ होना चाहिए.
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