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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशजब भूजल 72% हुआ खत्म, कैसे पूरा होगा पीएम मोदी का 'हर घर जल, हर घर नल' का सपना

जब भूजल 72% हुआ खत्म, कैसे पूरा होगा पीएम मोदी का ‘हर घर जल, हर घर नल’ का सपना

2018 के आंकड़ें के मुताबिक देश के कई हिस्सों में 40 मीटर तक नीचे तक ग्राउंड वाटर पहुंच गया है. 365 जिले और 17 राज्य पानी के संकट से जूझ रहा है.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार 2 में पीएम मोदी की प्राथमिकता जल संरक्षण है जिसे लेकर उन्होंने अभियान भी शुरू कर दिया है. सरकार ‘हर घर जल, हर घर नल’ पहुंचाने को लेकर मैदान में उतरी है. इसलिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है. सरकार का उद्देश्य पानी को सहजने के साथ हर किसी को स्वच्छ और साफ पीने का पानी उपलब्ध करवाना भी है. लेकिन सरकार के सामने सूखती नदियां, कुंए और तालाब बड़ी चुनौती बने हुए है. वहीं गिरता भू-जल स्तर भी बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है. हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि 2030 तक 40 फीसदी लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल पाएगा.

मैग्सेसे अवार्ड विजेता और जलपुरुष के नाम से मशहूर राजेंद्र सिंह ने दिप्रिंट हिंदी से कहा कि 10 वर्ष पहले देश में 15 हज़ार नदियां थीं, आज साढ़े चार हजार के करीब नदियां सूख गई हैं.अब यह केवल बारिश के दिनों में ही बहती हैं.भू-जल का भंडार 72 प्रतिशत से ज्यादा खाली हो गया है. इस वक्त भारत में केवल सतही जल का संकट नहीं है, गिरता भू-जल भी सबसे बड़ा संकट बन गया है. भूजल खाली होने के कारण पानी का संकट और गहरा होता जा रहा है.

सिंह ने कहा, ‘आज 365 जिले और 17 राज्य पानी के संकट से जूझ रहा है. अगर इसे पानीदार बनाना है तो सामुहिक रूप (सामुदायिक विकेंद्रित प्रबंधन) से कदम उठाना होगा और काम करना पड़ेगा. जल सुरक्षा अधिकार नियम बनाना होगा. जब तक कानून नहीं बनेगा जब तक लोग पानी को ऐसे ही लुटते रहेंगे. पैसे वाले लोग पानी का दुरुपयोग करेंगे और गरीब लोग बेपानी हो जाएंगे.’
जल संरक्षण का काम करना और जल का अनुशासित होकर उपयोग यह दो काम सरकार और समाज मिलकर करेंगे तभी भारत बच सकता है. सिंह ने सरकार की ‘हर घर जल हर घर नल’ योजना पर कहा कि जब देश में जल ही नहीं होगा तो नल क्या करेंगा. हर घर में नल लगा सकते है. कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नल तो लगा सकते है, लेकिन जल नहीं दे सकते है. नल से ज्यादा जरूरी है जल का अनुशासित होकर उपयोग करना.

पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुंए सूखने की कगार पर 

जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डाले तो 2008 से 2017 के बीच पंजाब में 84 और उत्तर प्रदेश में 83 प्रतिशत कुओं के जलस्तर में कमी देखने को मिल रही है. वहीं यह आंकड़ा जम्मू कश्मीर में 81, हिमाचल में 76, हरियाणा में 75, दिल्ली में 76, मध्यप्रदेश में 59 और तमिलनाडु में 59 प्रतिशत कुंए मे पानी की कमी को दर्शाता है. इनमें से कुछ कुआं तो पूरी तरह से सूख गए हैं.

देश के 14 हजार 243 कुएं की जांच की गई. इनमें सामने आया कि देशभर के 52 प्रतिशत कुओं के पानी में कमी देखने को मिली है. वहीं 48 प्रतिशत कुओं में पानी का स्तर बढ़ा है.जबकि त्रिपुरा में 84, पश्चिम बंगाल में 66,गोवा में 75, ओडिशा में 61 प्रतिशत कुएं के पानी में बढोत्तरी हुई है.

18.7 फीसदी बढ़ेगी पानी की डिमांड 

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2010 के मुकाबले 2025 में पानी की डिमांड 18.75 प्रतिशत बढ़ेगी. इसके अलावा खेती में 10 फीसदी, पीने  के पानी में 44 फीसदी, उर्जा क्षेत्र में 73 फीसदी और उद्योग क्षेत्र में सबसे ज्यादा 80 फीसदी पानी की बढोत्तरी होगी. मंत्रालय के मुताबिक सभी क्षेत्रों के लिए अभी 1137 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी सलाना उपलब्ध है. इसमें 427 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी अतिरिक्त है. लेकिन अतिरिक्त पानी 2025 में यह पानी एक तिहाई घटकर 294  बिलियन क्यूबिक मीटर पर आ जाएगा.

उत्तर प्रदेश और पंजाब कर रहे है एक तिहाई पानी का उपयोग

मंत्रालय की 2013 रिपोर्ट के मुताबिक भारत के एक तिहाई ग्राउंड वाटर का उपयोग उत्तर प्रदेश और पंजाब कर रहे है. इनमें सबसे ज्यादा खपत खेती के लिए की जा रही है. भारत में  झारखंड और जम्मू कश्मीर में ही खेती के मुकाबले घरेलु उपयोग के लिए ग्राउंड वाटर का उपयोग ज्यादा किया जा रहा है.

2018 के आंकड़ें के मुताबिक देश के कई हिस्सों में 40 मीटर तक नीचे तक ग्राउंड वाटर पहुंच गया है. इनमें राजस्थान में 20 प्रतिशत स्थान, हरियाणा में 20 प्रतिशत स्थान, गुजरात में 12 प्रतिशत से ज्यादा स्थान, चंडीगढ़ में 22 प्रतिशत से ज्यादा स्थानों पर ग्रांउट वाटर नीचे पहुंच गया है.

दिल्ली के 11 फीसदी और हरियाणा के 20 फीसदी कुओं में कम हुआ पानी 

2008 से लेकर 2018 के आंकड़ों पर नजर डाले तो दिल्ली के 11 प्रतिशत कुओं में 40 मीटर या उससे अधिक पानी का स्तर नीचे गया है. वहीं हरियाणा में 20 प्रतिशत कुओं के पानी का स्तर 40 मीटर तक कम हुआ है.

गुजरात के 12 प्रतिशत कुओं में पानी का स्तर 20 से 40 मीटर और मध्यप्रदेश के 39.4 प्रतिशत कुओं में 10 से 20 मीटर पानी का स्तर कम हुआ है. इसी तरह राजस्थान और पंजाब में भी 20 से 40 मीटर पानी घटा है.

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