रायपुर: देश के प्रोटीन एनर्जी बार के बाजार में छत्तीसगढ़ सरकार अब अपना उत्पाद लेकर आएगी. राज्य के अधिकारियों के अनुसार यह एनर्जी बार अपने तरह के दूसरे उत्पादों की अपेक्षा पूरी तरह से शुद्ध होगा और जैविक लघु वनोपजों से तैयार किया जाएगा.
दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार राज्य वन विभाग द्वारा बनाया जाने वाला यह एनर्जी बार हाई प्रोटीन युक्त होगा जो पूरी तरह जनजातीय ग्रामीणों द्वारा संग्रहित लघु वनोपज महुआ, चिरौंजी दाना और शहद से निर्मित होगा. इसके अलावा रागी, कोदव और तिल भी इस एनर्जी बार के अहम हिस्से होंगे जिनके आधार पर इसकी तीन किस्में तैयार होंगी.
वन विभाग और राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि करीब एक साल के रिसर्च के बाद इस एनर्जी बार को बनाने का फार्मूला मैसूर स्थित केंद्रीय संस्थान सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई) के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है.
अधिकारियों ने कहा, ‘अब इसके नामांकरण और उत्पादन की तैयारी के तहत प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए इंस्टीट्यूट उचित उपकरणों के निर्माण पर काम कर रहा है.’
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सीएफटीआरआई ने एनर्जी बार को दी मंजूरी
एनर्जी बार बनाने के लिए सहकारी संघ द्वारा भेजे गए तीन सैंपल्स को सीएफटीआरआई ने अपनी मंजूरी दे दी है. इस विशेष एनर्जी बार की तीनों किस्मों में महुआ, शहद और चिरौंजी का सामान्य बेस मिश्रण रखा गया है. लेकिन रागी, कोदव और तिल के तीन तरह के एनर्जी बार बनाए जायेंगे.
अधिकारियों के अनुसार इन एनर्जी बार के सैंपल्स का परीक्षण कर उनके पोषक तत्वों का विश्लेषण किया गया है. परीक्षण में पाया गया कि जिस सैंपल में रागी हैं उसमें प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक 14.2% है जो संभवतः बाजार में उपलब्ध वर्तमान समकक्षी एनर्जी बारों से भी अधिक है.
राज्य वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राकेश चतुर्वेदी ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह एनर्जी बार बाज़ार में उपलब्ध सभी बारों से अलग होगा. इसमें प्रोटीन की मात्रा 14.2 प्रतिशत है जो बाजार में उपलब्ध सभी एनर्जी बारों से अधिक मानी जा रही है.’
उन्होंने कहा, ‘इस बार की खासियत इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी सामग्रियों का राज्य में उत्पादन प्राकृतिक और आर्गेनिक होता है. महुआ, शहद, चिरौंजी, रागी, तिल या कोदव सभी लघु वनोपज हैं जो स्थानीय ग्रामीणों द्वारा जंगलों से इकट्ठा किए जाते हैं.’
चतुर्वेदी ने कहा कि इसके उत्पादन से राज्य सरकार द्वारा बाजार में एक ओर शुद्ध और पोषण तत्व युक्त उत्पाद मुहैया कराया जाएगा वहीं दूसरी ओर राज्य में बड़ी मात्रा में पाए जाने वाले लघु वनोपजों का अच्छा इस्तेमाल भी होगा. बार के फार्मूला को सहकारी संघ द्वारा पेटेंट भी कराया जाएगा.
‘देश में यह किसी राज्य सरकार द्वारा एनर्जी बार बनाने का अपने आप में पहला प्रयास है. सीएफटीआरआई से बार के निर्माण की टेक्नोलॉजी और प्रक्रिया का इंतजार हो रहा है. उत्पादन में 3-5 महीनों का समय और लगेगा.’
राज्य लघु वनोपज संघ के एपीसीसीएफ आनंद बाबू ने बताया, ‘संघ द्वारा निर्मित होने वाले एनर्जी बार में किसी प्रकार का प्रिजर्वेटिव नहीं होगा, न ही कोई अनाज. यह सिर्फ निर्धारित लघु वनोपज से निर्मित होगा.’
‘हमारे एनर्जी बार के सैंपल की प्राथमिकी जांच परफेक्ट रही है. इसका स्वाद भी चख लिया गया है और उत्पादन की अनुमति भी मिल चुकी है. लेकिन अभी उत्पादन के लिए आवश्यक मशीनों और उपकरणों पर सीएफटीआरआई में काम चल रहा है जो हमें जल्द मिलने की उम्मीद है. मशीनों के आने के बाद राज्य लघु वनोपज संघ अंतिम निर्णय लेगा कि उत्पादन स्वयं करना है या फिर पीपीपी मोड पर देना है.’
बाबू ने कहा, ‘एनर्जी बार के टाइटल पर भी अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. हमारे पास कई विकल्प हैं जिनपर विचार चल रहा है. इसका नामांकरण राज्य के खाद्य संस्कृति को आधार बनाकर किया जा सकता है.’
बाबू ने बताया कि इस एनर्जी बार की क्वॉलिटी को देखते हुए इसके व्यापारिक उत्पादन का निर्णय लिया गया है. बाजार में पकड़ बनाने के लिए केंद्र सरकार के उपक्रम ट्राइफेड, ऑनलाइन ट्रेडिंग ग्रुप अमेज़न और राज्य सरकार के अपने प्रतिष्ठानों के अलावा अन्य संस्थानों के साथ बात चल रही है.
संघ और वन विभाग के अधिकारियों ने इस एनर्जी बार का कम्पोजीशन शेयर करने से मना कर दिया लेकिन यह जरूर कहा कि इसकी शुद्धता, आर्गेनिक इंग्रेडिएंट्स और हाई प्रोटीन कंटेंट बाज़ार में उपलब्ध सभी समान उत्पादों के लिए चुनौती बनेगा.
मंत्रियों ने लिया स्वाद, कैबिनेट ने किया पास
अधिकारियों ने बताया कि सीएफटीआरआई द्वारा इजात किये गए फार्मूले के तहत एनर्जी बार के तीनों सैंपल राज्य के मंत्रियों को टेस्ट करने के लिए भेजा गया था जिसकी सभी ने प्रशंसा की है.
मंत्रियों द्वारा इन सैंपल्स को बकायदा कैबिनेट बैठक में चखा गया था जिसके बाद यह तय किया गया कि एनर्जी बार और उसके प्रकार पर अंतिम निर्णय लेकर उसका उत्पादन जल्द शुरू किया जाए.
बाबू कहते हैं, ‘सीएफटीआरआई द्वारा भेजे गए एनर्जी बार के सभी सैंपल्स करीब 3-4 महीने पहले राज्य की कैबिनेट के सामने रखे गए थे. सभी कैबनेट मंत्रियों ने इसकी प्रशंसा की और उत्पादन जल्द शुरू करने के लिए कहा.’
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कैसे हुई एनर्जी बार की शुरुआत
चतुर्वेदी और आनंद बाबू ने बताया कि एनर्जी बार बनाने की कवायद बच्चों के लिए राज्य की सुपोषण योजना के तहत क्वॉलिटी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए किये जाने वाले प्रयास के तहत शुरू हुई.
चतुर्वेदी ने कहा, ‘पहले सरकार द्वारा सुपोषण योजना के तहत आंगनवाड़ी के बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और स्वाद बढ़ाने के लिए लघु वनोपज से निर्मित खाद्य सामग्री तैयार करने का निर्णय लिया गया था.’
‘इसी कड़ी में वन विभाग द्वारा लघु वनोपज से एनर्जी बार के उत्पादन का निर्णय लिया गया और उसके परीक्षण, निर्माण की विधि और अनुमति के लिए सैंपल सीएफटीआरआई भेजे गए.’
उन्होंने बताया कि सीएफटीआरआई के परीक्षण में इन सैंपल्स की गुणवत्ता काफी अच्छी बताई गई जिसके बाद इसके उत्पादन का निर्णय लिया गया है.
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अभी कीमत तय नहीं, सब्सिडी पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ
अधिकारियों ने बताया कि एनर्जी बार की कीमत अभी तय नहीं हुई है लेकिन इस पर निर्णय आने वाले दिनों में ले लिया जाएगा.
आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए भी यह एनर्जी बार संबंधित विभाग को एमआरपी पर ही दिया जाएगा क्योंकि अब तक राज्य सरकार ने किसी प्रकार की सब्सिडी पर कोई विचार नहीं किया है.
आनंद बाबू कहते हैं, ‘आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए भी ये बार एमआरपी पर ही उपलब्ध होंगे. लेकिन यदि सरकार सब्सिडी पर निर्णय लेती है तो कीमत कम की जा सकती है. हमें इस बात का एहसास है कि एक बार मार्केट में आने के बाद इस एनर्जी बार की मांग बढ़ेगी. इसलिये इसके पेटेंट की भी तैयारी है.’
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