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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकैसे जयपुर से भागीं दो किशोर बहनें, अपनी 'ड्रीम' जॉब हासिल की और दो महीने बाद पुलिस ने खोज निकाला

कैसे जयपुर से भागीं दो किशोर बहनें, अपनी ‘ड्रीम’ जॉब हासिल की और दो महीने बाद पुलिस ने खोज निकाला

दो महीने तक चले पुलिस ऑपरेशन—जिसमें सौ से अधिक पुलिस अधिकारी शामिल थे—के बाद इन लड़कियों के घर से करीब 574 किलोमीटर दूर लखनऊ में कीटनाशक बेचते पाया गया. घर से भागने का यह उनका तीसरा प्रयास था.

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जयपुर: उन दोनों बहनों की उम्र 16 और 17 साल थी, और एक वकील की इन बेटियों ने अच्छे अंकों से अपनी परीक्षा पास की थी—लेकिन उनके मन में तो ‘उद्यमिता’ के सपने थे. फरवरी में दोनों अपने स्कूल से भाग निकलीं और 574 किमी दूर लखनऊ के लिए ट्रेन पकड़ ली. करीब 56 दिनों बाद पुलिस द्वारा ढूंढ़ निकाले जाने से पहले उन्होंने एक निजी फर्म में अपने लिए काम खोज लिया था और 15 प्रतिशत कमीशन पर पेस्ट रिपेलेंट बेचने लगी थीं.

यह जयपुर स्थित अपने घर से भागने का उनका तीसरा और एकमात्र सफल प्रयास था और खोज निकाले जाने से पहले करीब दो महीने तक वह अपने परिवार की नजरों से बची रहीं.

इन लड़कियों ने 3 फरवरी को यह कदम तब उठाया, जब उनके वकील पिता ने उन्हें स्कूल छोड़ा. उन्होंने टीचर्स से झूठ बोला कि घर में कोई अस्वस्थ है, और फिर भाग निकलीं.

लड़कियों के लापता होने के बाद वकीलों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और त्वरित पुलिस कार्रवाई पर जोर देते हुए उनका पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने की मांग भी की. जयपुर पुलिस ने सात टीमों का गठन किया और लखनऊ पुलिस के साथ मिलकर काम किया. गहन जांच-पड़ताल और करीब 1,000 घंटे के सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस उनका पता लगाने में सफल रही.


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जयपुर से लखनऊ पहुंची

लड़कियों के 50 वर्षीय पिता ने दिप्रिंट को बताया, ‘सुबह मैंने उन्हें स्कूल छोड़ा, लेकिन जब वे नहीं लौटीं, तो हम घबरा गए.’ लड़कियों ने बाद में अपने फोन बंद कर लिए थे और थोड़ी देर इंतजार के बाद पिता ने महेश नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 (अपहरण) और 366-ए (नाबालिग को भगाने) के तहत शिकायत दर्ज कराई.

इस बीच, लड़कियां लखनऊ के लिए एक ट्रेन में सवार हो चुकी थीं, उनके पास करीब 7,000 रुपये नकद थे और शहर में उनका कोई परिचित नहीं था—यहां तक कि उन्होंने टिकट भी नहीं लिया था. उन्हें जल्द ही यात्रा टिकट परीक्षक (टीटीई) ने पकड़ लिया, जिसने उन पर 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया.

वे 4 फरवरी को लखनऊ पहुंची और एक ऑटोरिक्शा में सवार हो गईं और फिर अपने स्कूल की एक पूर्व संस्कृत टीचर को फोन करके कहा कि उनकी दादी की तबीयत खराब है और 30,000 रुपये की मांग की. 70 वर्षीय शिक्षिका ने तुरंत स्कूल प्रशासन और पुलिस को सूचित किया. हालांकि, इससे पहले कि उनका पता लगाया जा सकता, लड़कियों ने अपना ठिकाना बदल लिया और 25 मार्च तक फिर गायब रहीं.

लेकिन यह कॉल उम्मीद की पहली किरण थी. पड़ताल में पता चला कि फोन लखनऊ से आया था और इस तरह पहली बार उनकी लोकेशन का पता लग पाया.

डीसीपी जयपुर (दक्षिण) मृदुल कछावा ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘एक बार यह पता लगने पर कि वह लखनऊ में हैं, हमने टीमों को तैनात करना शुरू कर दिया. लड़कियों ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था और अपनी मर्जी से गई थी, इसलिए उनका कोई अता-पता नहीं चल पा रहा था.’

लखनऊ में 100 से अधिक अधिकारियों की तैनाती के साथ सात टीमों का गठन किया गया, और अतिरिक्त पुलिस बल दिल्ली, कानपुर और कोटा भेजा गया.

उधर, नौकरी की तलाश में चार दिनों तक पेइंग गेस्ट के रूप में रहने वाली इन बहनों को सेल्स जॉब के लिए लड़कियां खोजने वाले विज्ञापन का एक होर्डिंग दिखा और वे इनमें से एक प्रोजेक्ट में शामिल हो गईं. नौकरी के साथ ही उन्हें कंपनी की तरफ से रहने की जगह मिल गई. उनकी मां ने बताया, ‘अपनी पहचान छिपाने के लिए वे हर समय अपना चेहरा ढंके रहती थीं.’

आखिरकार 25 मार्च को पुलिस को 15 मार्च के एक सीसीटीवी फुटेज में लड़कियां नजर आईं. स्थानीय व्यापारियों से संपर्क करने पर जांचकर्ताओं ने लखनऊ के गुंडवा इलाके में ग्रोअप ग्रुप ढूंढ़ निकाला, इसी फर्म ने इन दोनों बहनों को नौकरी पर रखा था. आखिरकार 30 मार्च को लड़कियों की पहचान हो गई.


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अपने सपने पूरा करना चाहती थीं

पहचान की पुष्टि होने के बाद इन बहनों को जयपुर वापस ले आया गया. लेकिन इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.

पुलिस को दिए बयान में लड़कियों ने कहा कि वे घर के ‘खराब’ माहौल से बचने के लिए भागी थीं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘उनका कहना है कि घर का माहौल उनके विकास के लिए ठीक नहीं था.’

पिता ने लड़कियों की कस्टडी की मांग करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट में दीवानी रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी.

लड़कियों को पिता की कस्टडी में देने के अपने आदेश मे कोर्ट ने कहा कि वो अपनी मर्जी से गई थीं और माता-पिता उन्हें लखनऊ वापस भेजने पर सहमत हैं. कोर्ट ने कहा, ‘लड़कियों ने कहा है कि अब माता-पिता उनके सपनों को पूरा करने और उन्हें लखनऊ ले जाने पर सहमत हो गए हैं, जहां दोनों लड़कियां रहना और काम करना चाहती हैं.’

अदालत ने उनका पता लगाने के लिए पुलिस की तरफ से किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ‘याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह आश्वासन भी दिया है कि लड़कियों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं होगा और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. याचिकाकर्ता के इस आश्वासन पर ही लड़कियों को उसे सौंपा जा रहा है.’


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एक टीचर, उनका बेटा, और नियोक्ता

माता-पिता को संदेह है कि उनकी बेटियों को पूर्व टीचर्स ने बहकाया था, जिसमें 70 वर्षीय वह बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिनसे उन्होंने लखनऊ से संपर्क किया था.

पिता ने टीचर के बेटे के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘टीचर ने उनका ब्रेनवॉश किया था. इसमें क्या उद्यमिता है? उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और पेस्ट रिपैलेंट बेचने लगीं. वहां उनका शोषण हो रहा था—यह एक लेबर रैकेट था. क्योंकि वे कम की उम्र हैं, इसलिए न तो ज्यादा पैसे मांगेंगी और सवाल भी कम पूछेंगी.’ हालांकि, डीसीपी कछावा ने इन आरोपों से इनकार किया है.

दिप्रिंट से बातचीत में 70 वर्षीय शिक्षिका ने कहा, ‘मुझे शिक्षण का तीन दशकों से अधिक का अनुभव है. लॉकडाउन के दौरान वे मेरे संपर्क में थीं. मैंने संस्कृत में भी उनकी मदद की है. सभी टीचर चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छा प्रदर्शन करें, और हम उन्हें महत्वाकांक्षी बनने को कहते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें अपने घरों से भागने के लिए कहते हैं. जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया तो मैंने तुरंत पुलिस को बताया.’

अपने बेटे के बारे में शिक्षिका ने कहा, ‘वह 50 साल का है जिसकी 22 साल की बेटी है. वह उन्हें जानता तक नहीं है. वह कई सालों तक रियाद में था और सात साल पहले लौटा था. मैं इस सबमें अपने बेटे का नाम आने को लेकर परेशान हूं.’

पुलिस ने पुष्टि की कि लड़कियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया था, और कहा कि उनके नियोक्ता ने उनका ठीक से ख्याल रखा था. पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘उसे लखनऊ से लाया गया था और पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया. उसके खिलाफ कुछ भी नहीं मिला और लड़कियों ने भी उसके पक्ष में बयान दिया था.’ हालांकि, पुलिस अभी भी नियोक्ता पर नजर रखे हुए है.

राजस्थान राज्य महिला आयोग की प्रमुख सुमन शर्मा ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि लगता है कि लड़कियों को इंटरनेट ने गुमराह किया था. उन्होंने बताया, ‘16 अप्रैल को उनकी मां उन्हें लखनऊ लेकर जाएंगी. उन्होंने वहां छह महीने में से दो महीने की ट्रेनिंग पूरी कर ली है.’

शर्मा ने दावा किया, ‘दोनों लड़कियां बेहद महत्वाकांक्षी हैं, साथ ही उन्हें जमीनी हकीकत की भी समझ नहीं है. इंटरनेट और गूगल के अत्यधिक उपयोग ने उन्हें दिग्भ्रमित कर दिया है.’


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तीसरा प्रयास, फर्जी आईडी का इस्तेमाल

दिप्रिंट ने 3 अप्रैल को जब लड़कियों के घर का दौरा किया, तो उनके माता-पिता ने बताया कि वे ऊपर के कमरे में अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. उनकी दो बड़ी बहनें हैं—एक 25 वर्ष की है और विवाहित है, और दूसरी 22 वर्षीय आयुर्वेद की छात्रा है. उनका 13 साल का एक छोटा भाई भी है.

22 वर्षीय बहन ने इन दावों को खारिज कर दिया कि उनके घर का माहौल खराब है और यहां उनका ठीक से विकास नहीं हो सकता. उसने कहा, 16 वर्षीय बहन ने 10वीं कक्षा में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और 17 वर्षीय ने 93 प्रतिशत अंक पाए. यदि घर का माहौल इतना ही खराब और नकारात्मक है तो उन्होंने इतने शानदार अंक कैसे हासिल किए.’

परिवार के मुताबिक, 16 वर्षीय लड़की ने पहले मेडिकल प्रवेश परीक्षा, नीट में बैठने के बाद आईएएस अधिकारी बनने की इच्छा जताई थी. वहीं, 17 वर्षीय—जो रविवार को ही 18 साल की हुई है—एक फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी.

जयपुर पुलिस के सूत्रों ने बताया कि लड़कियों के घर से भागने का यह तीसरा प्रयास था. अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने अक्टूबर में योजना बनाई थी, लेकिन ऐसा कर नहीं पाईं. 3 नवंबर को फिर वे रेलवे स्टेशन पहुंचीं लेकिन ट्रेन में नहीं चढ़ीं.’

पुलिस ने कहा कि लड़कियों ने लखनऊ जाने से पहले एक मंदिर जाकर दर्शन किए थे. डीसीपी कछावा ने बताया, ‘उन्होंने चिट बनाई और उन पर ‘चेन्नई’, ‘मुंबई’ और ‘लखनऊ’ लिखा, फिर एक चिट निकालकर लखनऊ जाना चुना. इस तरह उन्होंने तय किया कि उनकी मंजिल कहां होगी.’ साथ ही जोड़ा कि लड़कियों ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल कर ऑनलाइन नौकरी की तलाश की.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह घर से कपड़े लेकर गई थीं. मां ने कहा, ‘उन्होंने अपने बैग में एक-दो जोड़ी कपड़े रख रखे थे. हमें उनकी योजना की भनक तक नहीं लगी, दोनों बहुत करीब हैं.

माता-पिता ने बताया कि बेटियों ने कभी भी उनसे यह नहीं बताया कि वे उद्यमी बनना चाहती हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या लड़कियों ने अपने घर से भागने पर माफी मांगी है, मां ने कहा, ‘अभी, उन्होंने विद्रोह वाला रुख अपना रखा है. उन्हें लगता है कि इस सेल्स ट्रेनिंग का मतलब है एक व्यवसाय की नींव रखना. हम उन्हें लखनऊ ले जाएंगे और खुद देखेंगे कि यह सब क्या है. पिता ने कहा, ‘हमने उन्हें उनकी स्पेस दी है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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