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Tuesday, 24 December, 2024
होमदेशIC-814 हाइजैक के दौरान रिहा किया गया LeT का आतंकी मुश्ताक जरगर कैसे बन गया मास्टर रिक्रूटर

IC-814 हाइजैक के दौरान रिहा किया गया LeT का आतंकी मुश्ताक जरगर कैसे बन गया मास्टर रिक्रूटर

1990s में जेल भेजे गए ज़रगर को, 1999 में IC-814 अपहरण के बाद बंधकों की रिहाई के बदले में छोड़ दिया गया था. अब बताया जा रहा है कि वो पाकिस्तान में बैठकर आतंकवादियों की भर्ती कर रहा है.

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नई दिल्ली: मुश्ताक़ अहमद ज़रगर उर्फ ‘लतरम’ जिसे भारत ने दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइन्स की उड़ान IC-814 के अपहरण संकट के बाद, आतंकवादियों अज़हर मसूद और उमर शेख़ के साथ रिहा किया था, वह ‘पाकिस्तान के कराची में बैठकर कश्मीर के भीतर अलगाववादी तत्वों की भर्ती कर रहा है’- ये ख़ुलासा ख़ुफिया सूत्रों ने किया है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को अल-उमर मुजाहिदीन के संस्थापक और चीफ कमांडर ज़रगर को, विधिविरुद्ध क्रिया कलाप (निवारण) अधिनियम, 1967, के अंतर्गत एक ‘आतंकवादी’ नामज़द कर दिया.

ज़रगर- जिसने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) से दूर होकर अल-उमर मुजाहिदीन (एयूएम) का गठन कर लिया था, जो कश्मीर के पाकिस्तान में विलय की बात करता है, वह पेशे से एक ठठेरा था और श्रीनगर जामा मस्जिद के पास नौहाटा इलाक़े में पला-बढ़ा था. अल-उमर मुजाहिदीन को भी भारत ने आतंकी संगठनों की सूची में डाला हुआ है.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, ज़रगर ‘हिज़्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को आतंकवादी उपलब्ध करा रहा है’.

एक सूत्र ने कहा, ‘वो एक मास्टर भर्ती करता है. उसने आतंकी संगठनों को न सिर्फ लॉजिस्टिक सहायता उपलब्ध कराई, बल्कि उनके लिए भर्तियां भी कीं. लड़ने के लिए लोग उपलब्ध कराने में उसने इन संगठनों के साथ समन्वय किया’.

सूत्र ने कहा, ‘वो 1992 से जेल में था. 1999 में रिहाई मिलने के बाद उसने मुज़फ्फराबाद में अल-उमर मुजाहिदीन की गतिविधियां फिर से शुरू कर दीं, जो एलओसी के क़रीब है. उसने श्रीनगर के मुख्य शहर में अलगाववादी तत्वों से भी संपर्क स्थापित किए. बल्कि उसने कश्मीर में ‘लड़ाई’ के लिए युवाओं को भर्ती करके उन्हें ट्रेनिंग भी दी है, और स्लीपर सेल्स को फिर से सक्रिय करने की दिशा में काम कर रहा है’.

सूत्रों के अनुसार ज़रगर ‘जबरन वसूली का एक रैकेट’ भी चलाता था, और श्रीनगर शहर के मुख्य इलाक़े में उसकी मज़बूत पकड़ थी.

सूत्र ने कहा, ‘वो जबरन वसूली का एक रैकेट चलाता था, और पैसा जुटाने के लिए घाटी में छोटे कारोबारियों से उगाही करता था’.

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, ज़रगर ‘जेएंडके में दहशतगर्दी को हवा देने के लिए, पाकिस्तान से लगातार मुहिम चला रहा था.’

नोटिफिकेशन में कहा गया, ‘वो बहुत से आतंकी अपराधों में शामिल रहा है जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, आतंकी हमलों की योजना और उनपर अमल, तथा आतंकी फंडिंग आदि शामिल हैं’.

उसमें कहा गया, ‘ज़रगर शांति के लिए ख़तरा है, न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के लिए, चूंकि उसकी अल क़ायदा और जैशे मोहम्मद जैसे कट्टर आतंकी संगठनों के साथ संपर्क और निकटता है’.

‘पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली’

ख़ुफिया एंजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि हथियारों की ट्रेनिंग लेने के लिए ज़रगर पाकिस्तान चला गया, जिसके बाद उसने कई हमलों में हिस्सा लिया, जिनकी योजना भारत में बनाई गई थी.

एक दूसरे सूत्र ने बताया, ‘आईसी-814 के यात्रियों के बदले में भारत से रिहा किए जाने के बाद, वो पाकिस्तान चला गया. उसने पहले वहां से हथियारों की ट्रेनिंग हासिल की थी. पाकिस्तान में बैठकर उसका मुख्य काम था भर्तियां बढ़ाना था, और अब वो इसी काम को सोशल मीडिया पर अंजाम दे रहा है’.

संदेह है कि जून 2019 में कश्मीर के अनंतनाग में हुए आतंकी हमले के पीछे ज़रगर का ही हाथ था, जिसमें पांच सीआरपीएफ कर्मी मारे गए थे और तीन अन्य घायल हुए थे, जब उनके गश्ती दल पर ग्रेनेड से हमला किया गया था.

2017 में ज़रगर ने कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों के ऊपर हुए बहुत से ग्रेनेड हमलों की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली थी.

उस समय उसने डिकन क्रॉनिकल को टेलीफोन करके कहा था, ‘मैं अल-मुजाहिदीन का मुखिया मुश्ताक़ ज़रगर हूं. मैं डोडा में हूं (पूर्वी जम्मू क्षेत्र का एक ज़िला), और मैं अपने संगठन और जैशे मोहम्मद की ओर से आपसे बात कर रहा हूं. ये हमले हमने मिलकर किए हैं, और हमारी योजना इसी तरह के और बहुत से हमले करने की है, चूंकि हम दृढ़ता के साथ मानते हैं कि भारत सिर्फ हिंसा की भाषा समझता है.मुसल्लह जद्दोजिहाद (सशस्त्र संघर्ष) ही एकमात्र रास्ता है, क्योंकि उसी के ज़रिए हम कब्ज़ाधारी बलों को बाहर निकाल सकते हैं, और अपने कश्मीर को भारत की दासता से आज़ाद करा सकते हैं’.

सूत्र के अनुसार, ये भी संदेह था कि ज़रगर 2017 में एक पुलिस उपाधीक्षक, मोहम्मद अयूब पंडित की लिंचिंग के केस में भी शामिल था.

जून 2017 में भीड़ ने पंडित को उस समय मौत के घाट उतार दिया था, जब लोग नौहट्टा में जामा मस्जिद के बाहर शबे क़द्र मना रहे थे.

2016 में, कथित एयूएम आतंकियों ने श्रीनगर में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के क़ाफिले पर भी हमला किया, जिसमें एक जवान मारा गया और कई अन्य घायल हुए.

इससे पहले, भारत ने हाफिज़ सईद और मसूद अज़हर को- जो क्रमश: 2008 के मुम्बई आतंकी हमलों और पुलवामा हमले के मास्टर माइंड्स थे- 2019 में विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) में हुए एक संशोधन के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया था.

भारत के आतंक-विरोधी क़ानून यूएपीए में, संशोधन के ज़रिए एक प्रावधान लाया गया जिसमें ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया गया, जो ख़ुद आतंकवादी कार्रवाई करते या उसमें शरीक होते हैं, या आतंकवाद की तैयारी करते हैं, या आतंकवाद को बढ़ावा या प्रोत्साहन देते हैं. संशोधन के ज़रिए धारा 35-38 में संगठनों के साथ व्यक्तियों को भी आतंकवादियों के तौर पर नामित कर दिया गया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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