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Saturday, 29 June, 2024
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गेहूं खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में ढील देकर मोदी सरकार ने कैसे पंजाब में AAP की मदद की

15 मई को यानि कि मोदी सरकार के फैसले के दिन, पंजाब में अनुमेय सीमा से अधिक सिकुड़े और टूटे हुए अनाज होने के कारण एफसीआई द्वारा खारिज किए गए बैच के रूप में लगभग 6 लाख मीट्रिक टन गेहूं फंसा पड़ा था.

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चंडीगढ़: गेहूं खरीद के लिए गुणवत्ता मानकों में ढील देने के केंद्र सरकार के फैसले से आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को थोड़ी राहत मिली है.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार 15 मई को गुणवत्ता मानदंडों में ढील देने की केंद्र सरकार की घोषणा की तारीख तक पंजाब में आप सरकार के तहत खरीद एजेंसियों के पास लगभग 6 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं का सामूहिक भंडार (स्टॉक) दर्ज किया था जो एफसीआई द्वारा 6 प्रतिशत की अनुमति प्राप्त सीमा से अधिक सिकुड़े और टूटे खारिज किए गए अनाज के बैच से संबंधित था.

15 मई को, इस अनुमेय सीमा को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया था. केंद्र सरकार ने एफसीआई को 31 मई तक अपनी गेहूं की खरीद जारी रखने की अनुमति भी दे दी है.

पंजाब के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकार इस बात को लेकर असमंजस में थी कि उसके गोदामों में भरे अस्वीकृत स्टॉक का क्या किया जाए.

इस अधिकारी ने कहा, ‘राज्य सरकार ने मंडियों में किसानों से गेहूं की खरीद की थी. अगर एफसीआई ने इसे खारिज कर दिया तो गेहूं का क्या होगा? एफसीआई द्वारा खरीद के लिए किसी भी नमूने में प्रभावित अनाज की अनुमेय सीमा को बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का केंद्र सरकार का निर्णय राज्य सरकार के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है.’

पंजाब का गेंहू की खरीद के राष्ट्रीय पूल में सबसे बड़ा योगदानकर्ता होता है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सरकारी एजेंसियों (राज्य एजेंसियों और केंद्र की एफसीआई दोनों) के माध्यम से की जाने वाली कुल 179 एलएमटी गेहूं की खरीद में से पंजाब का योगदान 96 एलएमटी का है जो कुल खरीद का लगभग 54 प्रतिशत हिस्सा है.

सरकारी आंकड़ों से पता चलता कि इस साल राज्य की मंडियों में 102 एलएमटी गेहूं की आवक हुई, जबकि उम्मीद के मुताबिक 135 एलएमटी गेहूं की आवक होनी थी. गेहूं के उत्पादन में यह कमी इस क्षेत्र में अत्यधिक (भीषण) गर्मी की स्थिति के कारण हुई है जिससे अनाज सिकुड़ गया है. सरकारी खरीद के बाद बचा हुआ स्टॉक निजी व्यापारियों द्वारा खरीदा गया.

पंजाब में एफसीआई के महाप्रबंधक हेमंत कुमार जैन ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी एजेंसी की योजना पंजाब के गोदामों से गुणवत्ता के मानदंडों को पूरा करने वाले सारे गेहूं की खरीद की है, सिवाय उस मात्रा के जो राज्य को अपने स्वयं के उपभोग के लिए चाहिए.

उन्होंने बताया,  ‘सरकार द्वारा की गई 96 एलएमटी की कुल खरीद में से, एफसीआई द्वारा सीधे मंडियों से लगभग 6 एलएमटी की खरीद की गई है, 16 एलएमटी को एफसीआई ने राज्य की एजेंसियों से लिया है और 9.5 एलएमटी राज्य द्वारा अपने स्वयं के उपभोग के लिए रखा जाएगा.’

उन्होने आगे कहा, ‘राज्य की एजेंसियों से बाकी गेहूं को लेने के लिए एफसीआई की एक मूल्यांकन समिति काम कर रही है. एफसीआई राज्य सरकार की एजेंसियों से शेष गेहूं भी ले लेगी, बशर्ते वे खरीद के मानदंड (18 प्रतिशत से कम सूखे या टूटे हुए अनाज के साथ) पर खरा उतरें .’

आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए यह मुद्दा इसके लिए विशेष रूप से संवेदनशील है. आप के इस पदाधिकारी ने कहा, ‘पार्टी (आप) विशेष रूप से चिंतित थी क्योंकि यह अब देश भर में अपनी पहचान का विस्तार कर रही है और कई राज्यों में सीधे भाजपा को चुनौती दे रही है. (इसी वजह से) भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार गेहूं खरीद के मुद्दे पर परेशानी खड़ी कर सकती थी.’


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ये कैसे संभव हुआ?

पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले चार सप्ताह की अवधि में केंद्र सरकार को कम-से-कम चार पत्र लिखे हैं– जिनमें एक मान द्वारा और दूसरा राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारुचक द्वारा लिखा गया था.

इस अधिकारी का कहना था कि राज्य सरकार के इन पत्रों का 15 मई की घोषणा तक को जवाब नहीं दिया गया था.

इस सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘उम्मीद है कि इस साल उत्पादित सारे गेहूं को अब एफसीआई से मंजूरी मिल जाएगी. किसी भी बैच में 18 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्त अनाज होने की संभावना नहीं है.’

उन्होंने कहा कि आम तौर पर राज्यों को एफसीआई के सामने पेश करने के लिए नए बैच बनाने के लिए कई अस्वीकृत खेपों में से ठीक-ठाक अनाज को मिलाने की अनुमति होती है.

उदाहरण के लिए, यदि किसी खेप में 20 प्रतिशत क्षतिग्रस्त अनाज पाया जाता है, तो राज्य की खरीद एजेंसियां ठीक-ठाक अनाज को टूटे हुए अनाज से अलग करती हैं और अनाज का एक नया बैच बनाने के लिए दूसरे बैच के ठीक-ठाक अनाज के साथ पहले वाले को मिला देती हैं.

मगर, यह सारी प्रक्रिया काफी समय लेने वाली होती है.

अधिकारी ने कहा, ‘वार्षिक गेहूं खरीद के सीजन में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित खुलने और बंद होने की तारीखें शामिल होती हैं. इसलिए इस काम की एक समय सीमा है. अक्सर, इस तरह के बड़े पैमाने पर छांटने और मिलाने की कवायद  खरीद अवधि के अंत में एक असंभव कार्य बन जाती है.’


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खरीद की प्रक्रिया

अनाज की खरीद एक जटिल प्रक्रिया है. पंजाब में, चार खरीद एजेंसियों- पंग्रेन, पुन्सप, वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन और मार्कफेड को खरीद के सीजन के दौरान कृषि विपणन बोर्डों द्वारा प्रबंधित मंडियों और अन्य खरीद केंद्रों पर किसानों से गेहूं की खरीद के लिए अधिकृत किया गया है.

राज्य कृषि विपणन बोर्ड, कृषि बाजार को विनियमित करने के उद्देश्य से राज्य द्वारा स्थापित संस्थाएं हैं.

इसके बाद ये खरीद एजेंसियां देश भर में सब्सिडी वाले राशन के वितरण और अन्य योजनाओं के लिए खरीदे गए अनाज को एफसीआई को सौंप देती हैं और वर्ष के बाद वाले समय में सामूहिक रूप से इसके लिए भुगतान करती हैं.

एफसीआई द्वारा कुछ गेहूं सीधे राज्य की मंडियों और इसके अपने खरीद केंद्रों से खरीदा जाता है.

इस बीच, एफसीआई अपनी क्वॉलिटी-असेसमेंट टीम्स (गुणवत्ता की जांच करने वाले दलों) को उन राज्यों के हर जिले में भेजता है जहां से वह अनाज खरीदना चाहता है. इन निरीक्षण टीमों को वहां पहुंचने वाले अनाज के नमूने लेने के लिए मंडियों में जाना का आदेश होता है.

सरकारी अधिकारी ने कहा कि जो बैच 6 प्रतिशत की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं, उन्हें खारिज कर दिया जाता है.

उपर उद्धृत सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अक्सर इसी तरह से अस्वीकृत बैचों का पहला दौर सामने आता है. जब राज्य एफसीआई को गेहूं सौंपते हैं तो अनाज का फिर से मूल्यांकन किया जाता है, जिससे और बैच अस्वीकृत हो सकते हैं.’


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चिलचिलाती गर्मी का असर

भारत के कई हिस्से पिछले दो महीनों से भीषण लू वाले हालात से गुजर रहे हैं.

मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में पड़ी चिलचिलाती और झुलसा देने वाली गर्मी की वजह से पंजाब में पिछले सीजन की तुलना में इस साल गेहूं के उत्पादन में 13.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.

कटाई के समय भीषण गर्मी की स्थिति गेहूं के दानों की गुणवत्ता को प्रभावित करती है और अक्सर उनके सिकुड़ने का कारण बनती है.

मुख्य रूप से कृषि-प्रधान राज्य के रूप में देखे जाने वाले पंजाब में किसानों के मुद्दे एक बड़ी राजनीतिक संवेदनशीलता का विषय होते हैं.

पिछले महीने खरीद सत्र की शुरुआत में, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य की गेहूं की उपज का शत-प्रतिशत खरीदे जाने का वादा किया था- ठीक वैसा ही वादा जैसा कि उनसे पहले शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस सरकारों ने भी किया था.

आप के पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य के अधिकांश दल ऐसा कोई भी निर्णय लेने से हिचक रहे हैं जो राज्य के किसानों के लिए ‘कठिन’ साबित हो सकता है.

आप के इस पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पंजाब में किसानों के मुद्दे बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए हर पार्टी आमतौर पर कोई भी ऐसा फैसला लेने से पहले दो बार सोचती है जो किसानों के लिए कठिन हो सकता है.’ उन्होंने कहा,  ‘इस समय तो हमारे लिए यही बात एक बड़ी उपलब्धि है कि हमने सत्ता में आने के बाद के अपने पहले वर्ष में ही गेहूं की सौ-प्रतिशत बिना किसी परेशानी वाली खरीद सुनिश्चित की.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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