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Monday, 4 November, 2024
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उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर रहा है लॉकडाउन

दिल्ली जैसे शहर पूरी तरह बंद हैं ऐसे में गांवों में त्यागी जैसे किसान जो कच्चा माल सप्लाई करते हैं वो काफी प्रभावित हो रहे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है.

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बागपत: बागपत के गांव में रहने वाले डेयरी किसान शशांक त्यागी एक बात से निश्चिंत थे कि राष्ट्रीय स्तर पर हुए लॉकडाउन से उनका व्यवसाय प्रभावित नहीं होने वाला है क्योंकि दूध एक रोजमर्रा की जरूरत का सामान है.

लेकिन उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित भनेरा गांव के त्यागी को उस समय गहरा धक्का लगा जब स्थानीय इलाकों में और दूसरे शहरों तक लॉकडाउन के कारण दूध पहुंचाने में उन्हें बाधा पहुंच रही है.

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में कोरोनावायरस से निपटने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी.

त्यागी ने दावा किया कि पिछले 10 दिनों में उन्हें 70 हज़ार रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, ‘जहां मैं पहले 60 रुपए प्रति लीटर दूध बेचता था अब मुझे 40 रुपए प्रति लीटर बेचना पड़ रहा है.’

वो बागपत के उन डेयरी किसानों में से एक हैं जो दूध को दिल्ली के आसपास के बाज़ारों में बेचते हैं. लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है उनके दैनिक ग्राहक दूध नहीं खरीद रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में मेरे ज्यादातर ग्राहक मिठाई की दुकान वाले हैं जो मेवा बनाने के लिए दूध का इस्तेमाल करते हैं. कुछ पनीर बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब न तो मिठाई वाले और न ही राशन वाले दूध खरीद रहे हैं. लोग तो दुकानों से कोरोनावायरस के कारण कुछ भी चीज़ खरीदने से बच रहे हैं.’

Farmer Shashank Tyagi at his dairy farm in Uttar Pradesh's Baghpat. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
बागपत के अपने डेयरी फार्म में किसान शशांक त्यागी | फोटो: प्रवीन जैन/दिप्रिंट

दिल्ली जैसे शहर पूरी तरह बंद हैं ऐसे में गांवों में त्यागी जैसे किसान जो कच्चा माल सप्लाई करते हैं वो काफी प्रभावित हो रहे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है.


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त्यागी ने कहा, ‘मेरे पास छह गाय हैं. अगर मुझे मेरे पैसे नहीं मिले तो मैं इन्हें ठीक तरह से खाना नहीं खिला पाउंगा और ये शायद मर भी सकते हैं.’

गन्ने की खेती मैदान में खराब हो रही है

गन्ने की खेती के लिए मशहूर बागपत जिले के किसान लॉकडाउन के कारण अपने गन्नों को चीनी मिलों तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं. जिन में से बहुत सारे बंद पड़े हैं.

38 वर्षीय प्रिंस त्यागी ने कहा, ‘पुलिस किसी भी परिवहन के साधन को इजाजत नहीं दे रही है.’ ‘बहुत सारे चीनी मिल पूरी तरह से बंद हैं. इसलिए हमारे गन्ने खेतों में पड़े खराब हो रहे हैं.’

लेकिन प्रिंस के खेतों में मजदूर अभी भी काम कर रहे हैं. इसी बीच उन्हें डर भी है कि उनकी कड़ी मेहनत बेजा न चली जाए. त्यागी कहते हैं, ‘हम घर नहीं बैठ सकते हैं. मैं इस आश में अपने खेतों में काम कर रहा हूं कि आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर होगी. जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा मैं अपने गन्नों के साथ तैयार रहना चाहता हूं.’

एक और 38 वर्षीय गन्ना किसान नीरज त्यागी भी इसी तरह परेशान हैं. वो कहते हैं, ‘अगर मिलें नहीं खुलीं तो हमारे गन्ने मर जाएंगे? सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए.’

लेकिन डेयरी उत्पादों की तरह ही चीनी उत्पादों पर भी फर्क पड़ रहा है जिससे किसानों की आय प्रभावित हो रही है. नीरज कहते हैं, ‘अगर मिलें खुल भी जाती हैं लेकिन जब तक लोग चीनी उत्पादों को खरीदेंगे नहीं तो हमें नुकसान होता रहेगा.’

Farmer Prince Tyagi (third from right) and labourers working on his sugarcane farm in Baghpat. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
बागपत के गन्ने के खेत में किसान प्रिंस त्यागी | फोटो: प्रवीन जैन/दिप्रिंट

बागपत क्षेत्र से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह भी मानते हैं कि लॉकडाउन के कारण किसानों की समस्या बढ़ रही है.

सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं इस बात को जानता हूं कि हमारे किसान संघर्ष कर रहे हैं खासकर आलू और गन्ना किसान. मैंने अपने सांसद निधि से कुछ फंड जारी किया है और हम किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधा का भी इंतजाम कराएंगे.”

सांसद निधि (एमपीलैड) के तहत सांसद प्रतिवर्ष अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपए तक खर्च कर सकते हैं.

कीमतों में वृद्धि

किसान अपने उत्पादों को दुकानों और गांवों से बाहर के बाजारों में बेचने को जहां संघर्ष कर रहे हैं वहीं स्थानीय किराना दुकानदार चीजों के दामों में वृद्धि कर रहे हैं.

मजदूरी करने वाले नरेंद्र शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे जानते हैं कि इस समय लोग चिंतित हैं. वो अभी के समय में लोगों को लूट रहे हैं और जरूरी चीजें जैसे की गेहूं और चावल को दोगुने दामों पर बेच रहे हैं.’ ‘ये निश्चित तौर पर लॉकडाउन के दौरान काला बाजारी को बढ़ाएगा.’

बागपत के जिलाधिकारी शंकुतला गौतम भी ऐसी घटनाओं को सही मानती हैं और कहती हैं कि प्रशासन इस पर प्रतिक्रिया दे रहा है.


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गौतम ने कहा, ‘हमारे सामने एक ऐसी घटना आई और हमने तुरंत अपनी टीम मौके पर भेजी और गैरकानूनी काम को रोका.’ उन्होंने कहा कि जिले के दफ्तर ने घरों तक राशन के सामानों को पहुंचाने के लिए गाड़ी की सुविधा भी की है.

स्वास्थ्य चुनौती

इस जिले में लॉकडाउन, किसानों के लिए कोरोनावायरस महामारी से ज्यादा आर्थिक संकट के तौर पर सामने आया है.

एक स्थानीय किसान ने कहा, ‘हमारे पास यहां उचित चिकित्सा के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है. इसलिए हमारे नियंत्रण से बाहर की चीजों के बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं है.’

हालांकि यह जिला इस महामारी की तैयारियों के लिए तैयार नहीं जान पड़ता है. अभी तक कहा जा रहा है कि देश में 17 लोगों की मौत हुई है और करीब 650 लोग संक्रमित पाए गए हैं.

बागपत के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी आरके टंडन के अनुसार, कोरोनावायरस से निपटने के लिए दो अस्पताल हैं. ‘दूसरा अस्पताल केवल आंशिक तौर पर तैयार है.’

टंडने कहते हैं, ‘हमारे पास छाती के विशेषज्ञ नहीं है जो कोरोनावायरस के मरीज़ों का इलाज कर सके. हमारे पास तीन फिजिशियन हैं जिन्हें मरीजों के इलाज करने की जिम्मेदारी दी गई है.

बागपत में कोविड-19 की जांच की सुविधा नहीं है इसिलए खून के सैंपल को जांच के लिए लखनऊ भेजा जाता है. उसके बाद इसके नतीजे को टंडन के दफ्तर से साझा किया जाता है.

अभी तक बागपत में कोविड-19 का सिर्फ एक मामला आया है. 32 वर्षीय व्यक्ति जो हाल ही में दुबई से आया था उसे संक्रमित पाया गया है. टंडन ने कहा, ‘हमने अपनी टीम को हाई-अलर्ट पर रखा हुआ है. जो भी विदेश से आ रहा है उसे क्वारेंटाइन किया जा रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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